छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के कई जिलों में बेमौसम बारिश के चलते हर व्यापार व्यवसाय पर असर दिखाई दे रहा है. हाल यह है कि जहां अप्रैल और मई के महीने में भीषण गर्मी पड़ती थी, तो वहीं इस साल बारिश के साथ ओले तक गिर रहे हैं. इसका असर सीधा आम जनजीवन पर पड़ रहा है. कहीं फसलें बर्बाद हो रही हैं, तो कहीं बिन मौसम बारिश के कारण बीमारियां बढ़ रही हैं.
कुम्हारों पर पड़ी मौसम की मार: मटकों का व्यापार करने वाले कुम्हारों का हाल भी बेहाल है. मटका व्यापारियों का कहना है कि गर्मी के मौसम में बड़ी संख्या में वे मटके लाकर बाजार में बेचते थे और देसी फ्रिज के रूप में लोग मटका का काफी उपयोग भी करते थे. लेकिन बेमौसम बारिश का ऐसा कहर टूटा की इस साल गर्मी का नामोनिशान नहीं है, जिसके कारण उनका व्यापार काफी प्रभावित हुआ है.
दूसरे जिलों से आते हैं मटके: गर्मी के मौसम में मटकों का व्यापार करने वाले कुम्हारों ने बताया कि मटके दूसरे जिले जैसे बालाघाट और निवाड़ी से लाते हैं और बाजार में बेचते थे. जहां वे हर साल 2 से 3 ट्रक मटके मंगवाते थे, वहीं इस बार कुछ लोगों ने एक ट्रक ही मंगवाया है. कुछ लोग पुराना स्टॉक ही बेच रहे हैं, जिन्होंने मटके मंगवाये हैं उनके मटकों का ट्रांसपोर्ट का पैसा भी नहीं निकल पाया है.
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परिवार के भरण-पोषण का संकट गहराया: कुम्हारों का कहना है कि गर्मी में वे अच्छा खासा पैसा कमा लेते थे, जिससे उनके परिवार का भरण पोषण करने में उन्हें काफी सहूलियत हो जाती थी. इस बार बेमौसम बारिश ने उनके व्यापार पर पूरा पानी फेर दिया है, अब उन्हें उनके परिवार के भरण-पोषण की चिंता सता रही है. जहां दिनभर में 100 से अधिक मटके बिक जाते थे, वहीं अब पांच मटके को बेचना भी मुश्किल हो रहा है. अभी मटके का रेट 60 से 70 रुपए है.
अन्नदाता भी परेशान: सब्जियों की खेती करने वाले किसान भी बेमौसम बारिश की मार से काफी परेशान हैं, जिसके कारण उनके खेतों में लगी हुई सब्जियां में कीड़ों का प्रकोप भी बढ़ा हुआ है. इसके कारण किसानों को सब्जियों का लागत मूल्य भी निकालना मुश्किल हो गया है.