छिंदवाड़ा। जिले की चौरई में जगतगुरु रामभद्राचार्य राम कथा करने पहुंचे है. जहां राम कथा के दौरान जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी करने वाले नेताओं को खुली चुनौती दी है. रामभद्राचार्य ने कहा कि उन्होंने अपनी मां का दूध पिया है, तो मेरे से आकर बहस करें. मैं बताऊंगा कि सनातन धर्म बीमारी है, या सनातन पर टिप्पणी करने वाले बीमार हैं.
सनातन पर टिप्पणी करने वाले नेताओं को रामभद्राचार्य ने दी चुनौती: स्वामी रामभद्राचार्य ने कथा के दूसरे दिन व्यास पीठ से सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी करने वाले उदयनिधि स्टालिन स्वामी प्रसाद मौर्य और चंद्रशेखर को चुनौती दी. रामभद्राचार्य ने कहा है कि "अगर तुमको अपनी मां ने ईमानदारी से दूध पिलाया है, तो मेरे सामने आओ मैं तुम्हें बताऊंगा कि सनातन धर्म बीमारी है या फिर तुम खुद एक बीमारी हो."
चारों पीठ के शंकराचार्य और संतों पर भी उठाए सवाल: जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा है कि "सनातन धर्म को लेकर कुछ लोग लगातार विरोध में बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन किसी भी पीठ के शंकराचार्य का उनके खिलाफ कोई बयान नहीं आया है. ना ही किसी मण्डलेश्वर ने उनकी खिलाफत की है. उन्होंने कहा कि संत या आचार्य इसलिए नहीं बने जाते हैं, कि वह अपने चेले और चेलियों से पूजे जाएं, और आसन पर बैठकर संतगिरी करें. संत या आचार्य तो वह होता है जब हमारे धर्म पर कोई विपत्ति आए तो उसे बचाने के लिए टूट पड़े और फिर जो होगा वह देखा जाएगा.
किसी की कृपा से नहीं हूं मैं: जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा है की सनातन धर्म पर इतना भयंकर बयान उस मूर्ख ने दिया, पर किसी भी शंकराचार्य या मंडलेश्वर ने इसका विरोध नहीं किया, लेकिन मैं चुप नहीं बैठने वाला हूं. तुलसी पीठाधीश्वर के जगतगुरु यानी कि मैं ना तो की किसी की कृपा से आचार्य हूं और ना ही मैं किसी से डरता हूं, मैं सरस्वती जी की कृपा से आचार्य हूं. इसलिए अगर कोई सनातन धर्म पर उंगली उठाएगा, तो मैंने हमेशा से उसका विरोध किया है और करता रहूंगा, फिर जो होगा सो देखा जाएगा. पहले भी जब धर्म पर संकट आया था, तो तुलसी पीठाधीश्वर के रामानंदाचार्य ने ही क्रांति की थी और अभी भी रामानंदचार्य रामभद्राचार्य ने ही यह बीड़ा उठाया है.