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पर्यावरण बचाने के लिए सरकार की पहल, सिंगल यूज वेस्ट प्लास्टिक वेस्ट बन रही सड़कें

मध्य प्रदेश में अब सिंगल यूज वेस्ट प्लास्टिक (Single Use Waste Plastic) से सड़कें बनाई जा रही है. छिंदवाड़ा जिले में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (Pradhan Mantri Gramin Sadak Yojana) के तहत बनने वाली लगभग 18 सड़कों को प्लास्टिक से बनाई जा रही है. जानकारों का कहना है कि प्लास्टिक को सड़क में मिलाने से सड़क की उम्र कई गुना बढ़ जाती है.

Road built under Pradhan Mantri Sadak Yojana
प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनी सड़क
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Published : Oct 12, 2021, 8:45 PM IST

छिंदवाड़ा। पर्यावरण के लिए खतरा बन रहा सिंगल यूज वेस्ट प्लास्टिक (Single Use Waste Plastic) का दौबारा उपयोग किया जा रहा है. इसे इकट्ठा करके सड़कें बनाई जा रही है. छिंदवाड़ा के ग्रामीण इलाकों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (Pradhan Mantri Gramin Sadak Yojana) के तहत बनने वाली पक्की सड़कें सिंगल यूज प्लास्टिक से बनाई जा रही है. जिले भर में तकरीबन 18 सड़कें सिंगल यूज प्लास्टिक वेस्ट की कतरन मिलाकर बन रही है.

प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनी सड़क

इनोवेटिव टेक्नोलॉजी के तहत बन रही सड़कें

मध्य प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण (MPRRDA) के जनरल मैनेजर वीके रावत का कहना है कि प्लास्टिक पर्यावरण के लिए खतरनाक है. एक बार उपयोग हो जाए तो ये नष्ठ नहीं होता. सभी के लिए खतरनाक होता है. इसलिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत अब जो नई सड़कें बनाई जा रही हैं. उनमें 20 फीसदी हिस्से में प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग किया जा रहा है. इसे इनोवेटिव तकनीक कहते है, जिससे सड़क भी मजबूत बनती है और कभी ना नष्ट होने वाला प्लास्टिक भी खत्म होता है.

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प्लास्टिक वेस्ट से बनी सड़क की उम्र ज्यादा

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अधिकारियों के अनुसार सड़क बनाने के लिए डामर में प्लास्टिक वेस्ट की कतरन को मिलाया जाता है. डामर के साथ तकरीबन 20 फीसदी प्लास्टिक वेस्ट में मिलाया जाता है. फिलहाल जिले में प्लास्टिक वेस्ट कतरन नहीं बनती. इसलिए जबलपुर से लाया जा रहा है. जहां डामर में मिलाकर सड़क बनाई जाती है. इन सड़कों की उम्र दूसरी सड़कों से ज्यादा होती है.

2015 से हुई शुरुआत, 80 किमी सड़क बनाने का लक्ष्य

छिंदवाड़ा जिले में प्लास्टिक वेस्ट मटेरियल से सड़क बनाने की शुरुआत 2015 से हुई थी. जिसके बाद कई सड़कें बन कर तैयार हो गई है. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क विभाग जिले में करीब 18 सड़कें प्लास्टिक वेस्ट की कतरन से बना रहा है. विभाग का लक्ष्य 80 किलोमीटर सड़क प्लास्टिक वेस्ट मटेरियल से बनाने का है.

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ऐसे होता है प्लास्टिक के कचरे का उपयोग

सबसे पहले प्लास्टिक कचरे को जमा किया जाता है. इसे एक विशेष प्रकार की मशीन में डाल कर दो से 4 मिलीमीटर आकार के टुकड़े बनाए जाते हैं. इन प्लास्टिक के टुकड़ों को सड़क निर्माण में प्रयोग होने वाली गिट्टी में डालकर 150 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है. करीब 1 घंटे की इस प्रक्रिया के बाद प्लास्टिक के टुकड़े गिट्टी के साथ उसी के आकार में चिपक जाते हैं. इसके बाद गिट्टी को तारकोल में मिलाया जाता है. फिर सड़क पर बिछाया जाता है. इस तरह प्लास्टिक के टुकड़े गिट्टी और तारकोल के बीच दोगुनी क्षमता के साथ पकड़ बनाए रखता है.

छिंदवाड़ा। पर्यावरण के लिए खतरा बन रहा सिंगल यूज वेस्ट प्लास्टिक (Single Use Waste Plastic) का दौबारा उपयोग किया जा रहा है. इसे इकट्ठा करके सड़कें बनाई जा रही है. छिंदवाड़ा के ग्रामीण इलाकों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (Pradhan Mantri Gramin Sadak Yojana) के तहत बनने वाली पक्की सड़कें सिंगल यूज प्लास्टिक से बनाई जा रही है. जिले भर में तकरीबन 18 सड़कें सिंगल यूज प्लास्टिक वेस्ट की कतरन मिलाकर बन रही है.

प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनी सड़क

इनोवेटिव टेक्नोलॉजी के तहत बन रही सड़कें

मध्य प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण (MPRRDA) के जनरल मैनेजर वीके रावत का कहना है कि प्लास्टिक पर्यावरण के लिए खतरनाक है. एक बार उपयोग हो जाए तो ये नष्ठ नहीं होता. सभी के लिए खतरनाक होता है. इसलिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत अब जो नई सड़कें बनाई जा रही हैं. उनमें 20 फीसदी हिस्से में प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग किया जा रहा है. इसे इनोवेटिव तकनीक कहते है, जिससे सड़क भी मजबूत बनती है और कभी ना नष्ट होने वाला प्लास्टिक भी खत्म होता है.

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प्लास्टिक वेस्ट से बनी सड़क की उम्र ज्यादा

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अधिकारियों के अनुसार सड़क बनाने के लिए डामर में प्लास्टिक वेस्ट की कतरन को मिलाया जाता है. डामर के साथ तकरीबन 20 फीसदी प्लास्टिक वेस्ट में मिलाया जाता है. फिलहाल जिले में प्लास्टिक वेस्ट कतरन नहीं बनती. इसलिए जबलपुर से लाया जा रहा है. जहां डामर में मिलाकर सड़क बनाई जाती है. इन सड़कों की उम्र दूसरी सड़कों से ज्यादा होती है.

2015 से हुई शुरुआत, 80 किमी सड़क बनाने का लक्ष्य

छिंदवाड़ा जिले में प्लास्टिक वेस्ट मटेरियल से सड़क बनाने की शुरुआत 2015 से हुई थी. जिसके बाद कई सड़कें बन कर तैयार हो गई है. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क विभाग जिले में करीब 18 सड़कें प्लास्टिक वेस्ट की कतरन से बना रहा है. विभाग का लक्ष्य 80 किलोमीटर सड़क प्लास्टिक वेस्ट मटेरियल से बनाने का है.

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ऐसे होता है प्लास्टिक के कचरे का उपयोग

सबसे पहले प्लास्टिक कचरे को जमा किया जाता है. इसे एक विशेष प्रकार की मशीन में डाल कर दो से 4 मिलीमीटर आकार के टुकड़े बनाए जाते हैं. इन प्लास्टिक के टुकड़ों को सड़क निर्माण में प्रयोग होने वाली गिट्टी में डालकर 150 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है. करीब 1 घंटे की इस प्रक्रिया के बाद प्लास्टिक के टुकड़े गिट्टी के साथ उसी के आकार में चिपक जाते हैं. इसके बाद गिट्टी को तारकोल में मिलाया जाता है. फिर सड़क पर बिछाया जाता है. इस तरह प्लास्टिक के टुकड़े गिट्टी और तारकोल के बीच दोगुनी क्षमता के साथ पकड़ बनाए रखता है.

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