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शिक्षा की ज्योत जलाकर कर रहे जीवन के अंधियारे को दूर, जेल में ग्रेजुएट हो रहे हैं कैदी

छिंदवाड़ा जिला जेल के कैदियों ने अलग-अलग आरोपों में सजा काट रहे 68 कैदियों ने स्नातक तैयारी कार्यक्रम की (बीपीपी) डिग्री पूरी की है. वहीं इस सत्र में 22 कैदी पढ़ाई कर रहे हैं.

जिला जेल में ग्रेजुएट हो रहे हैं कैदी
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Published : Jul 27, 2019, 3:34 PM IST

छिंदवाड़ा। कहते हैं कि शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती. अगर आपमें शिक्षित होने की ललक है, तो कहीं भी और कभी भी शिक्षा ली जा सकती है. इस बात को साबित कर दिखाया है छिंदवाड़ा जिला जेल के कैदियों ने अलग-अलग आरोपों में सजा काट रहे 68 कैदियों ने स्नातक तैयारी कार्यक्रम की (बीपीपी) डिग्री पूरी की है. वहीं इस सत्र में 22 कैदी पढ़ाई कर रहे हैं.

जिला जेल में ग्रेजुएट हो रहे हैं कैदी


बता दें कि जिला जेल में 2014 से लगातार इग्नू पाठ्यक्रम के माध्यम से जेल में सजा काट रहे अशिक्षित कैदियों को शिक्षित करने के लिए लगातार मुहिम चलाई जा रही है. जेल अधिकारी ने बताया कि 2014 से अभी तक 8 सत्र हो चुके हैं, जिसमें अभी तक 68 कैदियों को IGNOU पाठ्यक्रम के द्वारा (बीपीपी) की डिग्री दी जा चुकी है.


बताया जा रहा है कि बीपीपी डिग्री बारहवीं कक्षा के बराबर होती है. जेल अधिकारी का कहना है कि शिक्षा के द्वारा कैदियों के स्वभाव और उनके व्यक्तित्व में बदलाव लाया जा सकता है. इसके लिए जिला जेल में एक पाठशाला है, जहां पर शिक्षक आकर प्रतिदिन कैदियों पढ़ाते हैं.


इस साल के सत्र में 22 कैदी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. जिनकी परीक्षा आगामी जनवरी माह में होगी. इनमें से अधिकांश कैदी ऐसे हैं, जिन्हें अपना नाम तक लिखना नहीं आता. अब कैदियों को इस योग्य बनाया जा रहा है, जिससे वह पढ़कर अपना अच्छा-बुरा समझ सकें.

छिंदवाड़ा। कहते हैं कि शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती. अगर आपमें शिक्षित होने की ललक है, तो कहीं भी और कभी भी शिक्षा ली जा सकती है. इस बात को साबित कर दिखाया है छिंदवाड़ा जिला जेल के कैदियों ने अलग-अलग आरोपों में सजा काट रहे 68 कैदियों ने स्नातक तैयारी कार्यक्रम की (बीपीपी) डिग्री पूरी की है. वहीं इस सत्र में 22 कैदी पढ़ाई कर रहे हैं.

जिला जेल में ग्रेजुएट हो रहे हैं कैदी


बता दें कि जिला जेल में 2014 से लगातार इग्नू पाठ्यक्रम के माध्यम से जेल में सजा काट रहे अशिक्षित कैदियों को शिक्षित करने के लिए लगातार मुहिम चलाई जा रही है. जेल अधिकारी ने बताया कि 2014 से अभी तक 8 सत्र हो चुके हैं, जिसमें अभी तक 68 कैदियों को IGNOU पाठ्यक्रम के द्वारा (बीपीपी) की डिग्री दी जा चुकी है.


बताया जा रहा है कि बीपीपी डिग्री बारहवीं कक्षा के बराबर होती है. जेल अधिकारी का कहना है कि शिक्षा के द्वारा कैदियों के स्वभाव और उनके व्यक्तित्व में बदलाव लाया जा सकता है. इसके लिए जिला जेल में एक पाठशाला है, जहां पर शिक्षक आकर प्रतिदिन कैदियों पढ़ाते हैं.


इस साल के सत्र में 22 कैदी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. जिनकी परीक्षा आगामी जनवरी माह में होगी. इनमें से अधिकांश कैदी ऐसे हैं, जिन्हें अपना नाम तक लिखना नहीं आता. अब कैदियों को इस योग्य बनाया जा रहा है, जिससे वह पढ़कर अपना अच्छा-बुरा समझ सकें.

Intro:छिंदवाड़ा
छिंदवाड़ा की जिला जेल में 2014 से लगातार इग्नू के पाठ्यक्रम से कैदियों को शिक्षित किया जा रहा है अभी तक 8 सत्र हो चुके हैं जिसमें 68 कैदियों को बीपीपी डिग्री दी जा चुकी है इस सत्र में 22 कैदी पढ़ रहे हैं


Body:शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र और कोई सीमा या कोई जगह नहीं होती शिक्षा जब चाहे जैसे चाहे प्राप्त की जा सकती है इसी का उदाहरण एक देखने को मिलता है छिंदवाड़ा की जिला जेल में जहां 2014 से लगातार इग्नू पाठ्यक्रम के माध्यम से जेल में सजा काट रहे अशिक्षित लोग को शिक्षित करने के लिए लगातार मुहिम चलाई जा रही है जेल अधिकारी ने बताया कि 2014 से अभी तक 8 सत्र हो चुके हैं जिसमें अभी तक 68 कैदी को इग्नू पाठ्यक्रम के द्वारा बीपीपी की डिग्री दी जा चुकी है यहां बीपीपी डिग्री बारहवीं कक्षा के समकक्ष होती है जेल अधिकारी ने बताया कि शिक्षा के द्वारा कैदियों के स्वभाव उनके व्यक्तित्व में बदलाव लाया जा सकता है जिला जेल में एक पाठशाला है जहां पर शिक्षक आकर प्रतिदिन कैदियों को शिक्षा प्रदान करते हैं इस साल के सत्र में 22 कैदी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं जिन की परीक्षा आगामी जनवरी माह में होगी
इनमें से अधिकांश कैदी ऐसे हैं जिन्हें अपना नाम तक लिखना नहीं आता उन्हें इस योग्य बनाया जा रहा है जिससे वह पढ़ सके अपना अच्छा बुरा समझने की क्षमता उत्पन्न हो सके
बाईट -01 - यजुवेंद्र वाघमारे, जिला जेल अधिकारी छिंदवाड़ा


Conclusion:छिंदवाड़ा जिला जेल में कैदियों को साक्षर बनाकर उनके व्यक्तित्व का विकास को लेकर खास ध्यान दिया जा रहा है
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