छिंदवाड़ा। कोरोना महामारी से बचाव के लिए स्कूल-कॉलेजों को बंद रखा गया था लेकिन अब छात्रों की पढ़ाई के नुकसान को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था की गई है. छिंदवाड़ा जिले को विकास मॉडल के रूप में प्रदेश में जाना जाता है, लेकिन जिले में एक मजदूर तबका ऐसा है जो दो वक्त की रोटी जुटाकर अपने परिवार का भरण पोषण करता है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा विभाग द्वारा कई माध्यमों के द्वारा उन्हें पढ़ाया जा रहा है. इसके लिए स्कूलों ने डिजिटल माध्यम का उपयोग कर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को शिक्षा की धारा से जोड़ने की कोशिश की है.
लेकिन, जिले के नरसिंहपुर रोड स्थित गणेश कॉलोनी में रहने वाले गरीब तबके के लोगों के पास ना तो पैसे और ना ही अपने बच्चों को ऑनलाइन क्लास के लिए एंड्रॉयड फोन. इन लोगों के पास इतने भी पैसे नहीं है कि वो फोन में बैलेंस डलवा ले. ऐसे में यह तबका आए दिन यहीं सोचता है कि इन बच्चों का भविष्य कैसे संवरेगा. वहीं स्कूल के शिक्षक उपेंद्र कुमार शुक्ला ने कहा कि इन बच्चों तक उन्होंने किताब पहुंचा दी है और बच्चों को व्हाट्सएप के जरिये बच्चों को पढ़ाई के जो वीडियो आते हैं, उन्हें उनके अभिभावकों के मोबाइल में फॉरवर्ड कर दिया जाता है. ताकि बच्चे वीडियो के माध्यम से पढ़ाई को समझ सकें. लेकिन शिक्षक ने भी माना है कि उनके स्कूल में लगभग 60 बच्चे हैं. इनमें से आधे से ज्यादा बच्चे गांव वापस जा चुके हैं और बाकि के बच्चों के पास एंड्रॉयड फोन तक नहीं हैं. इसलिए मुश्किल से लगभग 20 फीसदी बच्चे ही पढ़ाई कर पा रहे हैं.
बच्चों के अभिभावकों का कहना है कोरोना काल में उनके पास रोजगार नहीं है. वह जैसे-तैसे मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. अभिभावकों का कहना है कि कुछ लोगों के पास यदि फोन है भी लेकिन फोन में इंटरनेट के लिए रुपये नहीं हैं, उन्होंने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि उनके पास इतने पैसे नहीं है कि वे एक एंड्रॉइड फोन खरीद सके.