छतरपुर। बुंदेलखंड का नाम जुबां पर आते ही हमारे सामने सूखे खेतों, सूखे कुओं और हवा उगलते हैंडपंप की तस्वीर सामने आने लगती है. सरकारें तमाम दावे करती रहीं कि बुंदेलखंड की तस्वीर बदल गई है लेकिन आजादी के 70 साल भी स्थिति जस की तस है. यहां आज भी लोगों को पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है और रोजाना छूआछूत का दंश झेलना पड़ता है.
बुंदेलखंड में पानी हमेशा से ही एक बड़ी समस्या रही है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आज बुंदेलखंड के एक गांव में पानी ने अब वोट का रूप ले लिया है. जी हां पानी के नाम पर मतों का ध्रुवीकरण किया जा रहा है. दलित बस्ती में रहने वाले ग्रामीणों एवं महिलाओं की मानें तो उनको पानी के नाम पर वोटों को लेकर दबाव बनाया जाता है.
हम बात कर रहे हैं छतरपुर जिले के राजनगर क्षेत्र से लगा हुआ गांव जमुनिया कि जहां लगभग एक हजार दलित रहते हैं, ऐसा नहीं है कि इस गांव में अन्य जातियां नहीं रहती हैं और पानी की व्यवस्था नहीं है, लेकिन इन दलित परिवारों को आसपास पानी की सुविधा ना होने के कारण खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दलित बस्ती के लोगों की मानें तो इनके पास एक भी कुआं नहीं है लिहाजा वह किसी जाति विशेष के वहां से पानी भरते हैं, क्योंकि कुआं प्राइवेट है इसलिए जब उनकी मर्जी होती है वह भरने देते हैं जब मर्जी नहीं होती है वक्त से मना कर देते हैं.
वहीं बस्ती में रहने वाले युवक छबि लाल का आरोप है कि जब चुनाव नजदीक आते हैं तब हमें किसी विशेष पार्टी को सहयोग करने के लिए या वोट देने के लिए कहा जाता है, लेकिन जब हम उनकी बात नहीं मानते हैं तो हमें पानी देना बंद कर दिया जाता है. ऐसी स्थिति में हमारे बच्चे एवं गांव की महिलाएं कई किलोमीटर दूर जाकर पानी भरते हैं और आखिरकार हार थककर हमें उनकी बात माननी पड़ती है. ऐसी अक्सर चुनावों के दौरान होता है.
वहीं गांव में रहने वाली महिलाओं का कहना है कि जिन का कुआं है वह चुनावी समय में पार्टी से संबंधित वोट डालने की बात तो करती ही हैं, साथ में रोजमर्रा के कई काम भी हमें पानी के लिए करने पड़ते हैं. सारे काम हमें छोड़ कर उनका काम करना पड़ता है मजबूरी यह है कि उनके पास केवल वही एक कुआं है अगर सरकार हमारी मदद करें तो हमें इस परेशानी से मुक्ति मिल सकती है.
गांव में ही रहने वाली एक युवती पूजा अहिरवार का कहना है कि जब स्कूल से पानी भरने जाती है तो उसके साथ छुआछूत का व्यवहार किया था है कई बार तो उसके बर्तन भी वहां से फेंक दिए गए लेकिन मजबूरी है कि पास में कोई कुआं नहीं है और वहां जाना पड़ता है.
इस संबंध में जब हमने ADM प्रेम सिंह चौहान से बात की तो उन्होंने मामले को बेहद गंभीर बताते हुए कहा क्योंकि चुनाव नजदीक है, हम एसडीएम से बात करते हुए पूरे मामले की जांच कराएंगे. गांव में एक जांच दल भी जाएगा उसके बाद उस बस्ती के लोगों को जो भी हमारी मदद की आवश्यकता होगी हम करेंगे. पानी के नाम पर कोई भी व्यक्ति मतों का ध्रुवीकरण नहीं कर सकता है अगर ऐसा पाया जाता है तो निश्चित तौर पर कार्रवाई भी की जाएगी.
अब मामला अधिकारियों के सामने आया है और अधिकारी जांच करने के बाद कार्रवाई की बात कर रहे हैं. देखने वाली बात यह होगी कि कितने समय में उस दलित बस्ती में रहने वाले लोगों को पानी की उचित व्यवस्था की जा सकेगी या यह चुनाव भी निकल जायेगा और ग्रामीण पानी की बाट जोहते रहेंगे.