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हे भगवान! बेच दी सैकड़ों साल पुराने श्मशान घाट की जमीन, वापसी की मांग पर अड़े ग्रामीण - जमीदारी प्रथा

जीते जी सुकून मिले न मिले, मरने पर दो गज जमीं तो मिले, लेकिन यहां के ग्रामीणों के लिए ये टेढ़ी खीर साबित हो रही है क्योंकि जिस श्मशान घाट की जमीन पर सैकड़ों सालों से ग्रामीण अंतिम संस्कार करते आ रहे थे, उसके मालिक ने उसे किसी और को बेच दिया है, जिसने ये जमीन बेची है, उसी के पुरखे इस जमीन को ग्रामीणों को दान किये थे.

villagers facing trouble for last rites in Rajola Panchayat
बेच दी सैकड़ों साल पुराने श्मशान घाट की जमीन
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Published : Oct 1, 2021, 1:44 PM IST

Updated : Oct 1, 2021, 5:25 PM IST

छिंदवाड़ा। जीते जी सुकून मिले न मिले, मरने पर दो गज जमीं तो मिले, अब यहां मरने के बाद न तो दो गज जमीं मयस्सर है और न ही खाक होकर मिट्टी में मिलने के लिए चिता सजाने की जमीन. रजोला पंचायत के ग्रामीण आजकल इसी परेशानी से लड़ रहे हैं कि किसी की मौत के बाद उसका दाह संस्कार कहां करें या उसे सुपुर्द-ए-खाक कहां करें, क्योंकि सैकड़ों सालों से ग्रामीण जहां अंतिम संस्कार करते आ रहे हैं, वहां अब फेंसिंग कर दी गई है क्योंकि श्मशान की जमीन को उसके मालिक ने किसी और को बेच दिया है, नए खरीददार ने पूरी जमीन की घेराबंदी कर कब्जा कर लिया है. जिसने इस जमीन को बेचा है, उसी के दादा-पुरखे इस जमीन को श्मशान के लिए ग्रामीणों को दान किये थे.

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पूर्वजों ने दान की दी थी श्मशान घाट की जमीन

रजोला गांव के ग्रामीणों ने बताया कि सैकड़ों साल पहले गांव में जब जमीदारी प्रथा चलती थी, तब रजोला गांव के जमीदार ने गांव में श्मशान घाट के लिए जमीन दान की थी, बस सरकारी रिकॉर्ड में जमीन का मद परिवर्तन नहीं किया गया था, इसकी वजह से राजस्व रिकॉर्ड में जमीन परिजनों के नाम आ गई और अब जमीदार के पोते राजेश चन्द्रवंशी ने लखी चंद्रवंशी को जमीन बेच दी, खरीददार लक्ष्मी चंद ने जमीन पर कब्जा करते हुए फेंसिंग लगा दी है.

बेच दी सैकड़ों साल पुराने श्मशान घाट की जमीन

गिड़गिड़ाने पर मिली अंतिम संस्कार की अनुमति

हाल ही में गांव के यादव समाज के बुजुर्ग की मौत होने पर उसे श्मशान घाट ले जाया गया, जहां मोक्ष धाम की जगह पर चारों तरफ से तारों की फेंसिंग लगी हुई देखी गई तो ग्रामीण आक्रोशित हो गए, बाद में पता चला कि श्मशान घाट की जमीन पर जिस का मालिकाना हक था, उसने जमीन किसी दूसरे को बेच दिया है और खरीददार ने कब्जा करते हुए फेन्सिंग लगा दी है, मृतक के परिजनों ने जमीन मालिक से गिड़गिड़ाकर अंतिम संस्कार करने की विनती की, तब जाकर अंतिम संस्कार करने दिया गया. वो भी आगे से वहां अंतिम संस्कार नहीं करने की शर्त पर.

पुराने श्मशान घाट की मांग पर अड़े हैं ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि शमशान कि जिस जमीन को बेचा गया है, वहां पर सैकड़ों सालों से गांव के हर घर के किसी न किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया गया है, सभी लोगों की यादें उस जगह से जुड़ी हुई हैं, प्रशासन से उनका कहना है कि जो जमीन अब तक श्मशान घाट के लिए उपयोग होती थी, उसे फिर से वापस किया जाए क्योंकि जहां उनके दादा-पुरखे खाक और सुपुर्द-ए-खाक हुए हैं, इसलिए उन्हें ये जमीन वापस कराई जाए.

ग्रामीणों को सता रही श्मशान घाट की चिंता

ग्रामीणों का कहना है कि मंगलवार को एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी, बड़ी मुश्किल से जमीन मालिक के सामने गिड़गिड़ाने पर अंतिम संस्कार करने दिया गया, लेकिन अब फिर से जमीन पर फेंसिंग लगाकर बंद कर दी गई है, अगर किसी परिवार में कोई गमी हो जाती है तो अंतिम संस्कार के लिए कहीं जगह नहीं है.

श्मशान के लिए जमीन मुहैया कराएगा प्रशासन

वहीं इस मामले में जब अमरवाड़ा की नायब तहसीलदार दीक्षा पटेल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बारे में जानकारी नहीं थी, लेकिन अब ये मामला संज्ञान में आया है तो इसकी जांच करवाते हैं और यदि आसपास कहीं खाली जगह होगी तो श्मशान के लिए ग्रामीणों को जमीन मुहैया कराई जाएगी.

छिंदवाड़ा। जीते जी सुकून मिले न मिले, मरने पर दो गज जमीं तो मिले, अब यहां मरने के बाद न तो दो गज जमीं मयस्सर है और न ही खाक होकर मिट्टी में मिलने के लिए चिता सजाने की जमीन. रजोला पंचायत के ग्रामीण आजकल इसी परेशानी से लड़ रहे हैं कि किसी की मौत के बाद उसका दाह संस्कार कहां करें या उसे सुपुर्द-ए-खाक कहां करें, क्योंकि सैकड़ों सालों से ग्रामीण जहां अंतिम संस्कार करते आ रहे हैं, वहां अब फेंसिंग कर दी गई है क्योंकि श्मशान की जमीन को उसके मालिक ने किसी और को बेच दिया है, नए खरीददार ने पूरी जमीन की घेराबंदी कर कब्जा कर लिया है. जिसने इस जमीन को बेचा है, उसी के दादा-पुरखे इस जमीन को श्मशान के लिए ग्रामीणों को दान किये थे.

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पूर्वजों ने दान की दी थी श्मशान घाट की जमीन

रजोला गांव के ग्रामीणों ने बताया कि सैकड़ों साल पहले गांव में जब जमीदारी प्रथा चलती थी, तब रजोला गांव के जमीदार ने गांव में श्मशान घाट के लिए जमीन दान की थी, बस सरकारी रिकॉर्ड में जमीन का मद परिवर्तन नहीं किया गया था, इसकी वजह से राजस्व रिकॉर्ड में जमीन परिजनों के नाम आ गई और अब जमीदार के पोते राजेश चन्द्रवंशी ने लखी चंद्रवंशी को जमीन बेच दी, खरीददार लक्ष्मी चंद ने जमीन पर कब्जा करते हुए फेंसिंग लगा दी है.

बेच दी सैकड़ों साल पुराने श्मशान घाट की जमीन

गिड़गिड़ाने पर मिली अंतिम संस्कार की अनुमति

हाल ही में गांव के यादव समाज के बुजुर्ग की मौत होने पर उसे श्मशान घाट ले जाया गया, जहां मोक्ष धाम की जगह पर चारों तरफ से तारों की फेंसिंग लगी हुई देखी गई तो ग्रामीण आक्रोशित हो गए, बाद में पता चला कि श्मशान घाट की जमीन पर जिस का मालिकाना हक था, उसने जमीन किसी दूसरे को बेच दिया है और खरीददार ने कब्जा करते हुए फेन्सिंग लगा दी है, मृतक के परिजनों ने जमीन मालिक से गिड़गिड़ाकर अंतिम संस्कार करने की विनती की, तब जाकर अंतिम संस्कार करने दिया गया. वो भी आगे से वहां अंतिम संस्कार नहीं करने की शर्त पर.

पुराने श्मशान घाट की मांग पर अड़े हैं ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि शमशान कि जिस जमीन को बेचा गया है, वहां पर सैकड़ों सालों से गांव के हर घर के किसी न किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया गया है, सभी लोगों की यादें उस जगह से जुड़ी हुई हैं, प्रशासन से उनका कहना है कि जो जमीन अब तक श्मशान घाट के लिए उपयोग होती थी, उसे फिर से वापस किया जाए क्योंकि जहां उनके दादा-पुरखे खाक और सुपुर्द-ए-खाक हुए हैं, इसलिए उन्हें ये जमीन वापस कराई जाए.

ग्रामीणों को सता रही श्मशान घाट की चिंता

ग्रामीणों का कहना है कि मंगलवार को एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी, बड़ी मुश्किल से जमीन मालिक के सामने गिड़गिड़ाने पर अंतिम संस्कार करने दिया गया, लेकिन अब फिर से जमीन पर फेंसिंग लगाकर बंद कर दी गई है, अगर किसी परिवार में कोई गमी हो जाती है तो अंतिम संस्कार के लिए कहीं जगह नहीं है.

श्मशान के लिए जमीन मुहैया कराएगा प्रशासन

वहीं इस मामले में जब अमरवाड़ा की नायब तहसीलदार दीक्षा पटेल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बारे में जानकारी नहीं थी, लेकिन अब ये मामला संज्ञान में आया है तो इसकी जांच करवाते हैं और यदि आसपास कहीं खाली जगह होगी तो श्मशान के लिए ग्रामीणों को जमीन मुहैया कराई जाएगी.

Last Updated : Oct 1, 2021, 5:25 PM IST
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