छिंदवाड़ा। जिले के अमरवाड़ा से एक विचित्र मामला सामने आया है. यहां वर्ष 2014 में पुलिस ने जिस लड़की को मृत घोषित कर दिया. वह अचानक घर वापस लौट आई. पुलिस ने 2 साल पहले 2021 में लड़की के कंकाल की बरामदगी दिखाई थी. इसके बाद लड़की के पिता और भाई को जेल भेज दिया गया था. प्रकरण का चालान भी न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया गया. लेकिन अचानक से लड़की के घर पहुंचते ही पुलिस के पूरे इंवेस्टिगेशन पर मानो घड़ों पानी फिर गया. लड़की बोली रही है कि 'मैं अपनी मर्जी से घर से गई थी. पुलिस ने परिजनों को झूठा फंसाया है'.
2021 में चलाया आपरेशन मुस्कान: पुलिस की कहानी के अनुसार 13 जून 2014 को सोनू ने अपनी बहन की हत्या लाठी मारकर की थी. इसके बाद पिता की मदद से शव को घर के पास खेत में गाड़ दिया था. 2021 में ही तमाम गवाहों के सामने पुलिस द्वारा पंचनामा बनाकर शव की बरामदगी कर ली गई. आरोप है कि लड़की के भाई और पिता से डंडे के दम पर अपराध कबूल करवा लिया गया. मेडिकल रिपोर्ट और तमाम शिनाख्ती दस्तावेज भी बनाए गए. तहसीलदार और डॉक्टरों की पुष्टि हासिल कर ली गई. फिर इन सबूतों के आधार पर लड़की के भाई और पिता को जेल भेज कर सारी औपचारिकताएं पूरी कर न्यायालय में चालान पेश कर वाहवाही भी लूट ली गई.
इंसाफ की गुहार: अब घर पहुंची लड़की ने बताया कि वह अपनी मर्जी से घर से गई थी. इतने समय तक वो उज्जैन के पास एक गांव में थी. उसने यहीं पर एक लड़के के साथ शादी भी कर ली है. लड़की का कहना है कि, उसके पिता और भाई निर्दोष हैं. उन्हें पुलिस ने जबरन फंसाया है. लड़की का भाई 2 साल से जेल में ही है. पिता को 1 साल जेल में रहने के बाद उम्र के आधार पर जमानत मिली है. लड़की का कहना है 'मेरे निर्दोष भाई और पिता के साथ इंसाफ किया जाए'.
पुलिस ने बनाया मनगढ़त केस: डॉक्टर और तमाम अधिकारियों ने ब्लड रिपोर्ट के आधार पर लड़की की मौत की पुष्टि कर दी. मगर अब आरोप लग रहे हैं कि पुलिस ने केस को मजबूत बनाने के लिए ऐसे अनेकों मनगढ़ंत साक्ष्य पेश किए जिनका जबाब देना अब पुलिस के लिए भारी पड़ रहा है. घटना के समय लड़की की उम्र 14 साल थी. इसलिए इस मामले की जांच वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई थी. बताया जा रहा है कि पुलिस ने 2 वर्ष पहले वाहवाही लूटने के लिए इस तरह के कई पेंडिंग प्रकरणों का निपटारा कर दिया था.
लड़की बोली मैं जिंदा हूं: लड़की ने सिंगोड़ी चौकी में पहुंचकर पुलिस के सामने अपनी आमद दे दी है. अब पुलिस फिर एक बार मामले की जांच में जुट गई है. वर्तमान चौकी प्रभारी धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि, इस घटना के समय वह यहां पदस्थ नहीं थे. इसलिए उन्हें जानकारी नहीं है. पूरे मामले की जांच करने के बाद वे कुछ कहने की स्थिति में रहेंगे. नाबालिग का मामला होने के कारण 2 वर्ष पहले इस मामले की जांच एसडीओपी अमरवाड़ा द्वारा की गई थी. अब उनका ट्रांसफर हो चुका है. इसलिए वर्तमान अधिकारी भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है.
जुर्म कबूलने के लिए किया था मजबूर: गुम हुई लड़की कंचन ऊइके के पिता का कहना है कि, पुलिस ने बेवजह परेशान किया और जबरदस्ती खुद की बेटी को मारने का जुर्म कबूल कराने के लिए मजबूर किया था. बेटे की बेरहमी से पिटाई की गई और झूठा आरोप लगाकर जेल में बंद कर दिया गया. 3 साल से बेटा जेल में है. वे खुद 1 साल जेल की सजा काट चुके हैं.
डीएनए रिपोर्ट की होगी जांच: इस मामले में छिंदवाड़ा एडिशनल एसपी संजीव कुमार ऊइके ने बताया कि, 2014 में लड़की गायब हुई थी. इसके बाद मामले की विवेचना 2021 में तत्कालीन चौकी प्रभारी के द्वारा की गई थी. पुलिस की पूछताछ में लड़की के पिता और भाई ने लड़की कंचन ऊइके को मारकर दफनाने की बात कबूल की थी. बताए गए स्थान पर जब खुदाई कराई गई थी. वहां से कंकाल बरामद हुआ था. इस मामले में अभी DNA रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है. लेकिन एक लड़की खुद को कंचन ऊइके बता रही है. इसकी जांच की जाएगी.