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कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा में PM आवास योजना में 16 करोड़ का घोटाला, देखें ये हैं भ्रष्टाचार की परतें

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा में प्रधानमंत्री आवास योजना में करीब 16 करोड़ रुपए के घोटाले (MP Chhindwara PM Aawas Corruption) का खुलासा हुआ है. नगर निगम के अफसरों ने मनमाने तरीके से ठेकेदारों को काम दिया और फिर नियम-कायदों की परवाह किए बगैर उन्हें पेमेंट भी करवा दिया. हितग्राहियों द्वारा बार-बार शिकायत करने के बाद नगर निगम ने घोटाले की गोपनीय जांच कराई तो चौंकाने वाले खुलासे हुए. घोटाले की परतें खोलती पढ़ें ये EXCLUSIVE स्टोरी...

MP Chhindwara 16 crore scam in PM Awas Yojana
छिंदवाड़ा में PM आवास योजना में 16 करोड़ का घोटाला
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Published : Apr 11, 2023, 1:59 PM IST

छिंदवाड़ा। बीते 4 साल से अपने मकान का सपना संजोए प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को झटका लगा है.आवास योजना में हुए करोड़ों के घोटाले की गोपनीय रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं. प्रोजेक्ट ठेकेदार की बजाय निगम अधिकारियों ने करोड़ों के काम अपने चहेते ठेकेदारों से करवा लिए. विवाद होने पर आनन-फानन में अपने चहेतों ठेकेदारों को करोड़ों का भुगतान कर दिया गया. अफसर बदलने के बाद प्रोजेक्ट को लेकर हंगामा हुआ तो नगर निगम अधिकारियों ने आनंदम्, परतला, इमलीखेड़ा और खजरी की गोपनीय जांच करवाई. इसमें घोटाले की एक-एक गड़बड़ियों का जिक्र किया गया है. सबसे बड़ी बात है कि पूर्व परिषद का कार्यकाल खत्म होने के बाद इस बड़े घोटाले का नगर निगम में अंजाम दिया गया.

प्रशासक की जानकारी के बिना पेमेंट : निविदा और प्रोजेक्ट कास्ट को लेकर तात्कालिक प्रशासक सौरभ कुमार सुमन के हस्ताक्षर होने थे, लेकिन प्रशासक के संज्ञान में लाए बगैर अधिकारियों ने ये कार्य करवा लिए. हाल ही में बनी रिपोर्ट में अधिकारियों ने जिक्र किया है कि टाइल्स, सेनेटरी, बिजली फिटिंग के कार्य की अलग निविदाएं निकाली गईं, जबकि ये प्रोजेक्ट रिपोर्ट में होनी थीं. जिस वजह से निगम को करोड़ों का घाटा हुआ है. नगर निगम छिंदवाड़ा ने पीएम आवास योजना के तहत चार हाउसिंग प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. जिसमें बिल्डिंग के आंतरिक कार्य व मधु संरक्षण के कार्य कराए जाने की निविदाएं जारी की गईं. लेकिन इनका कोई ठोस कारण फाइल में नहीं बताया गया निविदा की शर्तों का पालन नहीं किया गया. सक्षम अधिकारी की स्वीकृति भी नहीं ली गई. प्रशासक के संज्ञान में लाए बिना निविदा निकाली गई और काम का भुगतान भी कर दिया गया.

ऐसे किया गोलमाल : नियम है कि उसी हितग्राही को पीएम आवास के मकान दिए जाएंगे, जिनका कहीं कोई भूखंड ना हो. लेकिन एक व्यक्ति एक परिवार को 33 भूखंड आवंटित कर दिए गए. सभी प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की परतें खुल रही हैं. सोनपुर रोड में बनाए गए आनंदम प्रोजेक्ट के तहत ₹32 करोड़ प्रस्तावित था लेकिन अतिरिक्त काम करवाने की बजाय इसकी लागत कई गुना बढ़ गई. इस प्रोजेक्ट में ₹10 करोड़ 44 लाख रुपए का अतिरिक्त खर्च किया गया. यहां कुल 228 मकान बनाए गए हैं. इसी तरह इमलीखेड़ा प्रोजेक्ट में 78 मकानों का निर्माण किया जाना है. प्रोजेक्ट में सीसी रोड, नाली, सीवर लाइन, मैनहोल सहित सुंदरता के अलावा 86 लाख का एक्स्ट्रा काम करवाया गया. 21.09 स्क्वायर मीटर का क्षेत्रफल भी बढ़ा दिया गया, जिसकी कोई सहमति किसी हितग्राही से नहीं ली गई. इसी तरह परतला प्रोजेक्ट में 23 मकान बनाए जाने हैं, इसका काम भी सालों से रुका है. निगम को 2.40 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हुई है. इस राशि से ठेकेदार को 1.50 करोड़ का भुगतान किया गया. निर्माण की गलत लागत से एक मकान की कीमत ₹45 लाख आ रही है. जबकि इसे 30 से 33 लाख रुपए में बेचे गए. खजरी में भी 43 मकान बनाए गए हैं, जिनका इंतजार हितग्राहियों को है.

घोटाले में तीन किरदार : प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रोजेक्ट की गड़बड़ी के मुख्य किरदार वर्तमान ईई एनएस बघेल, सहायक यंत्री और सब इंजीनियर हैं, जिन्होंने निविदा शर्तों का खुला उल्लंघन किया. चहेतों को काम देने के चक्कर में निगम को करोड़ों की चपत लगाई गई, लेकिन अभी तक किसी अफ़सर पर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं दूसरी भूमिका सागर की आभा कंसलटेंट को प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने का काम दिया गया था लेकिन प्रोजेक्ट रिपोर्ट ऑफिस में बैठकर गलत बना दी गई. निगम के तत्कालीन ईई, सब इंजीनियर ने बिना रिपोर्ट का परीक्षण किए प्रोजेक्ट को हरी झंडी भी दे दी. एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड करने के लिए पत्राचार किया गया. गड़बड़ी के तीसरे किरदार एजिस इंडिया लिमिटेड है. चारों हाउसिंग प्रोजेक्ट को सुपरविजन का जिम्मा निगम द्वारा एजिस इंडिया लिमिटेड को दिया गया लेकिन कागजी सुपरविजन हुआ, जिस वजह से चारों प्रोजेक्ट में जमकर गड़बड़ी हुई. इस मामले में कार्रवाई कोई नहीं हुई सिर्फ नोटिस जारी करने की बात की जा रही है.

नगर निगम में सियासत गर्माई : नगर परिषद के गठन के बाद जब हितग्राहियों ने परिषद के पदाधिकारियों से मकान नहीं मिलने की शिकायत की तो इसके बाद नगर निगम के अध्यक्ष सोनू मागो ने कलेक्टर से जांच की मांग की. लगातार विवाद होने पर निगम ने गोपनीय रिपोर्ट तैयार की. जिसमें पूरा मामला सामने आया है. वहीं, इस मामले में नगर निगम की अध्यक्ष धर्मेंद्र सोनू मागो का कहना है कि निगम के तात्कालिक अधिकारियों ने पूरी गड़बड़ी की है. हितग्राही परेशान हो रहे हैं, लेकिन अभी तक अधिकारियों ने दोषी अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं की है. पूरे मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ FIR होनी चाहिए. वहीं इस मामले में नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष विजय पांडे ने का कहना है कि परिषद से लेकर वर्तमान अधिकारी, तत्कालिक अफसरों को बचा रहे हैं. इस मामले में सिर्फ जांच की नौटंकी चल रही है. करोड़ों का घोटाला करने वालों को आखिर बचाया क्यों जा रहा है. यह समझ से परे है.

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कलेक्टर व निगम कमिश्नर ये बोले : इस मामले में कलेक्टर शीतला पटले का कहना है कि पीएम आवास योजना के तहत हितग्राहियों और नगर निगम के जनप्रतिनिधियों ने शिकायत की थी. इसके बाद नगर निगम के अधिकारियों से जांच करवाई है. जैसे ही जांच रिपोर्ट आएगी, उचित कार्रवाई कर हितग्राहियों को जल्द से जल्द मकान सुपुर्द किए जाएंगे. वहीं इस मामले में नगर निगम के कमिश्नर राहुल सिंह का कहना है कि तत्कालीन अधिकारियों द्वारा पीएम आवास योजना का काम करवाया गया था. जांच में कुछ अनियमितता पाई गई हैं. जल्दी कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपी जाएगी.

छिंदवाड़ा। बीते 4 साल से अपने मकान का सपना संजोए प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को झटका लगा है.आवास योजना में हुए करोड़ों के घोटाले की गोपनीय रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं. प्रोजेक्ट ठेकेदार की बजाय निगम अधिकारियों ने करोड़ों के काम अपने चहेते ठेकेदारों से करवा लिए. विवाद होने पर आनन-फानन में अपने चहेतों ठेकेदारों को करोड़ों का भुगतान कर दिया गया. अफसर बदलने के बाद प्रोजेक्ट को लेकर हंगामा हुआ तो नगर निगम अधिकारियों ने आनंदम्, परतला, इमलीखेड़ा और खजरी की गोपनीय जांच करवाई. इसमें घोटाले की एक-एक गड़बड़ियों का जिक्र किया गया है. सबसे बड़ी बात है कि पूर्व परिषद का कार्यकाल खत्म होने के बाद इस बड़े घोटाले का नगर निगम में अंजाम दिया गया.

प्रशासक की जानकारी के बिना पेमेंट : निविदा और प्रोजेक्ट कास्ट को लेकर तात्कालिक प्रशासक सौरभ कुमार सुमन के हस्ताक्षर होने थे, लेकिन प्रशासक के संज्ञान में लाए बगैर अधिकारियों ने ये कार्य करवा लिए. हाल ही में बनी रिपोर्ट में अधिकारियों ने जिक्र किया है कि टाइल्स, सेनेटरी, बिजली फिटिंग के कार्य की अलग निविदाएं निकाली गईं, जबकि ये प्रोजेक्ट रिपोर्ट में होनी थीं. जिस वजह से निगम को करोड़ों का घाटा हुआ है. नगर निगम छिंदवाड़ा ने पीएम आवास योजना के तहत चार हाउसिंग प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. जिसमें बिल्डिंग के आंतरिक कार्य व मधु संरक्षण के कार्य कराए जाने की निविदाएं जारी की गईं. लेकिन इनका कोई ठोस कारण फाइल में नहीं बताया गया निविदा की शर्तों का पालन नहीं किया गया. सक्षम अधिकारी की स्वीकृति भी नहीं ली गई. प्रशासक के संज्ञान में लाए बिना निविदा निकाली गई और काम का भुगतान भी कर दिया गया.

ऐसे किया गोलमाल : नियम है कि उसी हितग्राही को पीएम आवास के मकान दिए जाएंगे, जिनका कहीं कोई भूखंड ना हो. लेकिन एक व्यक्ति एक परिवार को 33 भूखंड आवंटित कर दिए गए. सभी प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की परतें खुल रही हैं. सोनपुर रोड में बनाए गए आनंदम प्रोजेक्ट के तहत ₹32 करोड़ प्रस्तावित था लेकिन अतिरिक्त काम करवाने की बजाय इसकी लागत कई गुना बढ़ गई. इस प्रोजेक्ट में ₹10 करोड़ 44 लाख रुपए का अतिरिक्त खर्च किया गया. यहां कुल 228 मकान बनाए गए हैं. इसी तरह इमलीखेड़ा प्रोजेक्ट में 78 मकानों का निर्माण किया जाना है. प्रोजेक्ट में सीसी रोड, नाली, सीवर लाइन, मैनहोल सहित सुंदरता के अलावा 86 लाख का एक्स्ट्रा काम करवाया गया. 21.09 स्क्वायर मीटर का क्षेत्रफल भी बढ़ा दिया गया, जिसकी कोई सहमति किसी हितग्राही से नहीं ली गई. इसी तरह परतला प्रोजेक्ट में 23 मकान बनाए जाने हैं, इसका काम भी सालों से रुका है. निगम को 2.40 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हुई है. इस राशि से ठेकेदार को 1.50 करोड़ का भुगतान किया गया. निर्माण की गलत लागत से एक मकान की कीमत ₹45 लाख आ रही है. जबकि इसे 30 से 33 लाख रुपए में बेचे गए. खजरी में भी 43 मकान बनाए गए हैं, जिनका इंतजार हितग्राहियों को है.

घोटाले में तीन किरदार : प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रोजेक्ट की गड़बड़ी के मुख्य किरदार वर्तमान ईई एनएस बघेल, सहायक यंत्री और सब इंजीनियर हैं, जिन्होंने निविदा शर्तों का खुला उल्लंघन किया. चहेतों को काम देने के चक्कर में निगम को करोड़ों की चपत लगाई गई, लेकिन अभी तक किसी अफ़सर पर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं दूसरी भूमिका सागर की आभा कंसलटेंट को प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने का काम दिया गया था लेकिन प्रोजेक्ट रिपोर्ट ऑफिस में बैठकर गलत बना दी गई. निगम के तत्कालीन ईई, सब इंजीनियर ने बिना रिपोर्ट का परीक्षण किए प्रोजेक्ट को हरी झंडी भी दे दी. एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड करने के लिए पत्राचार किया गया. गड़बड़ी के तीसरे किरदार एजिस इंडिया लिमिटेड है. चारों हाउसिंग प्रोजेक्ट को सुपरविजन का जिम्मा निगम द्वारा एजिस इंडिया लिमिटेड को दिया गया लेकिन कागजी सुपरविजन हुआ, जिस वजह से चारों प्रोजेक्ट में जमकर गड़बड़ी हुई. इस मामले में कार्रवाई कोई नहीं हुई सिर्फ नोटिस जारी करने की बात की जा रही है.

नगर निगम में सियासत गर्माई : नगर परिषद के गठन के बाद जब हितग्राहियों ने परिषद के पदाधिकारियों से मकान नहीं मिलने की शिकायत की तो इसके बाद नगर निगम के अध्यक्ष सोनू मागो ने कलेक्टर से जांच की मांग की. लगातार विवाद होने पर निगम ने गोपनीय रिपोर्ट तैयार की. जिसमें पूरा मामला सामने आया है. वहीं, इस मामले में नगर निगम की अध्यक्ष धर्मेंद्र सोनू मागो का कहना है कि निगम के तात्कालिक अधिकारियों ने पूरी गड़बड़ी की है. हितग्राही परेशान हो रहे हैं, लेकिन अभी तक अधिकारियों ने दोषी अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं की है. पूरे मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ FIR होनी चाहिए. वहीं इस मामले में नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष विजय पांडे ने का कहना है कि परिषद से लेकर वर्तमान अधिकारी, तत्कालिक अफसरों को बचा रहे हैं. इस मामले में सिर्फ जांच की नौटंकी चल रही है. करोड़ों का घोटाला करने वालों को आखिर बचाया क्यों जा रहा है. यह समझ से परे है.

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कलेक्टर व निगम कमिश्नर ये बोले : इस मामले में कलेक्टर शीतला पटले का कहना है कि पीएम आवास योजना के तहत हितग्राहियों और नगर निगम के जनप्रतिनिधियों ने शिकायत की थी. इसके बाद नगर निगम के अधिकारियों से जांच करवाई है. जैसे ही जांच रिपोर्ट आएगी, उचित कार्रवाई कर हितग्राहियों को जल्द से जल्द मकान सुपुर्द किए जाएंगे. वहीं इस मामले में नगर निगम के कमिश्नर राहुल सिंह का कहना है कि तत्कालीन अधिकारियों द्वारा पीएम आवास योजना का काम करवाया गया था. जांच में कुछ अनियमितता पाई गई हैं. जल्दी कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपी जाएगी.

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