छिंदवाड़ा। दुनिया में अपने नाम के अनुरूप अनोखी पहचान रखने वाले पातालकोट के लिए 2019 बड़ी सौगात लेकर आया. औषधियों का भंडार कहे जाने वाले पातालकोट को जैव विविधता विरासत घोषित करना छिंदवाड़ा और यहां निवास करने वाली भारिया जनजाति के लिए बड़ी सौगात है. बता दें कि मध्यप्रदेश शासन ने पातालकोट को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित कर दिया है, जिसके तहत यहां की जड़ी-बूटियां, पशु-पक्षी, कीट-पतंगे और वनस्पति के साथ ही वन्य प्राणियों की कई प्रजातियों का संरक्षण किया जाएगा.
मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड को पातालकोट में दुर्लभ जड़ी-बूटियों का भंडार मिला है. यहां रहने वाले भारिया जनजाति के लोग इसका उपयोग जानते भी हैं, सरकार इन्हीं की निगरानी में पातालकोट की विरासत को संभालने की योजना बना रही है. जैव विविधता बोर्ड ने छिंदी वन परिक्षेत्र के 4305.25 हेक्टेयर और तामिया परिक्षेत्र के 4062.24 हेक्टेयर क्षेत्र को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया है.
पातालकोट इलाके में ब्रायोफाइट्स और टेरिडोफाइट्स सहित दुर्लभ वनस्पति और प्राणियों का अनूठा भू-भाग है. यहां निवास करने वाले भारिया जनजाति के लोगों को इन जड़ी-बूटियों का पारंपरिक ज्ञान है, जो इन जड़ी-बूटियों की सहायता से कई प्रभावशाली और अचूक औषधियां तैयार करते हैं. मध्यप्रदेश शासन ने पातालकोट के अलावा सतना के नरो हिल्स को भी जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया है, जिसके चलते बोर्ड वन विभाग के सहयोग से इन विरासत स्थलों की प्राकृतिक वनस्पतियों और प्राणियों के संरक्षण के लिए योजना तैयार करेगा.