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यहां पाताललोक से प्रकट हुए थे भगवान शिव, कहलाया पातालेश्वर धाम

छिंदवाड़ा के पातालेश्वर धाम के बारे में मान्यता है कि, करीब ढाई सौ साल पहले पाताल लोक से स्वयं प्रकट हुए भगवान शिव यहां विराजमान हैं. यही वजह है कि, इस मंदिर को पातालेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है.

Pataleshwar Dham of Chhindwara
छिंदवाड़ा का पातालेश्वर धाम
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Published : Jul 6, 2020, 10:30 AM IST

Updated : Jul 8, 2020, 11:13 AM IST

छिंदवाड़ा। करीब ढाई सौ साल पहले पाताल लोक से स्वयं प्रकट हुए भगवान शिव छिंदवाड़ा में विराजमान हैं. तब से ही इस मंदिर का नाम पातालेश्वर धाम हुआ, साथ ही इलाके को भी पातालेश्वर के नाम से जाना जाता है.

छिंदवाड़ा का पातालेश्वर धाम

तपस्वी को सपने में दिया था दर्शन, पाताललोक से हुए थे प्रकट

ढाई सौ साल पहले इस इलाके में घनघोर जंगल हुआ करता था और इसी जंगल में गुजरात के अहमदाबाद से संत श्री 1008 बाबा राजगिरी गोस्वामी जी तपस्या करने आया करते थे, उसी दौरान भगवान शिव ने सपने में आकर कहा कि, वे जमीन के नीचे हैं, उन्हें निकाला जाए और जब बाबा राजगिरी गोस्वामी ने जमीन की खुदाई की, तो वहां से शिवलिंग प्रकट हुआ. इस इलाके को पातालेश्वर के नाम से जान जाने लगा. साथ ही इस मंदिर को भी पातालेश्वर धाम कहा जाने लगा.

शिव भक्त बाबा राज गिरी गोस्वामी ने ली थी समाधि

भगवान शिव की सेवा करते- करते 1008 बाबा श्री राज गिरी गोस्वामी ने इसी परिसर में मंदिर के सामने ही अपनी देह त्याग कर जीवित समाधि ली थी, जो आज भी यहां विराजमान हैं.

सावन के सोमवार और शिवरात्रि में लाखों भक्त करते हैं दर्शन

पातालेश्वर शिव मंदिर में सावन के सोमवार और शिवरात्रि के मौके पर लाखों लोग दर्शन करने आते हैं, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से पुजारी सिर्फ सुबह भगवान का अभिषेक करेंगे, लेकिन भक्तों के लिए गर्भ गृह बंद रहेगा. भक्तों को बाहर से ही भगवान के दर्शन कर लौटना होगा.

पातालेश्वर शिव मंदिर में आज भी बाबा राजगीरी के समाधि लेने के बाद उनकी सातवीं पीढ़ी इस मंदिर में भगवान की सेवा और पूजा कर रही हैं. मौका चाहे सावन सोमवार का हो या शिवरात्रि का, सुबह से ही इलाके में घंटियों की गूंज होती थी. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए मंदिर परिषद की सभी घंटियों को कपड़े से बांध दिया गया है, ताकि कोई इन घंटियों को बजा ना सके.

छिंदवाड़ा। करीब ढाई सौ साल पहले पाताल लोक से स्वयं प्रकट हुए भगवान शिव छिंदवाड़ा में विराजमान हैं. तब से ही इस मंदिर का नाम पातालेश्वर धाम हुआ, साथ ही इलाके को भी पातालेश्वर के नाम से जाना जाता है.

छिंदवाड़ा का पातालेश्वर धाम

तपस्वी को सपने में दिया था दर्शन, पाताललोक से हुए थे प्रकट

ढाई सौ साल पहले इस इलाके में घनघोर जंगल हुआ करता था और इसी जंगल में गुजरात के अहमदाबाद से संत श्री 1008 बाबा राजगिरी गोस्वामी जी तपस्या करने आया करते थे, उसी दौरान भगवान शिव ने सपने में आकर कहा कि, वे जमीन के नीचे हैं, उन्हें निकाला जाए और जब बाबा राजगिरी गोस्वामी ने जमीन की खुदाई की, तो वहां से शिवलिंग प्रकट हुआ. इस इलाके को पातालेश्वर के नाम से जान जाने लगा. साथ ही इस मंदिर को भी पातालेश्वर धाम कहा जाने लगा.

शिव भक्त बाबा राज गिरी गोस्वामी ने ली थी समाधि

भगवान शिव की सेवा करते- करते 1008 बाबा श्री राज गिरी गोस्वामी ने इसी परिसर में मंदिर के सामने ही अपनी देह त्याग कर जीवित समाधि ली थी, जो आज भी यहां विराजमान हैं.

सावन के सोमवार और शिवरात्रि में लाखों भक्त करते हैं दर्शन

पातालेश्वर शिव मंदिर में सावन के सोमवार और शिवरात्रि के मौके पर लाखों लोग दर्शन करने आते हैं, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से पुजारी सिर्फ सुबह भगवान का अभिषेक करेंगे, लेकिन भक्तों के लिए गर्भ गृह बंद रहेगा. भक्तों को बाहर से ही भगवान के दर्शन कर लौटना होगा.

पातालेश्वर शिव मंदिर में आज भी बाबा राजगीरी के समाधि लेने के बाद उनकी सातवीं पीढ़ी इस मंदिर में भगवान की सेवा और पूजा कर रही हैं. मौका चाहे सावन सोमवार का हो या शिवरात्रि का, सुबह से ही इलाके में घंटियों की गूंज होती थी. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए मंदिर परिषद की सभी घंटियों को कपड़े से बांध दिया गया है, ताकि कोई इन घंटियों को बजा ना सके.

Last Updated : Jul 8, 2020, 11:13 AM IST
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