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लॉकडाउन में किसानों की मेहनत हुई खराब, फसल सड़कों पर फेंकने को मजबूर

दिन-रात मेहनत के बाद कमाई हुई फसल को अब अन्नदाता सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं. लॉकडाउन में आंशिक राहत मिलने के बाद भी सब्जियों के भाव नहीं मिल रहे हैं, जिस वजह से किसान सड़कों पर सब्जियां फेंकने को मजबूर हैं, देखिए ETV भारत की ग्राउंड रिपोर्ट.

vegetable farmers
किसान
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Published : Jun 12, 2020, 1:02 PM IST

छिंदवाड़ा। रात को दिन समझकर, अपनी नींद को दरकिनार कर, चिलचिलाती धूप हो या फिर घुटनों तक पानी भरा खेत, हर समय हर हालात में अन्न उगाने वाले किसानों के सामने इन दिनों आलम ये है कि अब उन्हें अपनी सारी मेहनत को सड़कों पर फेंकना पड़ रहा है. लाखों की लागत और दिन-रात की मेहनत के बाद भी जब अन्नदाता को बाजारों में सब्जी के सही दाम नहीं मिल रहे हैं, तो ऐसे में किसान अपनी फसल को मवेशियों को खिलाने और सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं.

सड़कों पर दिख रही अन्नदाता की मेहनत
बाजार में नहीं मिल रहे सही भाव

खेतों में फसल लगाने में ही जहां किसानों के लाखों खर्च हो जाते हैं, वहीं इन फसलों को खेत से बाजार ले जाना भी काफी महंगा होता है. लेकिन जब इतना खर्च कर इन फसलों को बाजार में सही दाम नहीं मिले तो किसान थक-हारकर मजबूर हो जाता है. वहीं लॉकडाउन के कारण ट्रांस्पोर्टेशन भी बंद है, जिस वजह से किसान अपनी फसलों को समय से बाजार नहीं ले जा पाए और ये फसलें खेत में ही खराब होने लगी.

rotten vegetables
खेत में खराब हो रही फसल

नई फसल लगाने का आ गया समय

मानसून के आते ही खरीफ फसल उगाने का समय आ गया है. इस नई फसल को उगाने के लिए खेतों का खाली होना जरूरी है, लेकिन खेतों में पहली फसल ही नहीं निकली तो नई फसल कैसे लगाई जाए, इसलिए किसान अपनी फसलों को मवेशियों को खिलाने और सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें- घाटे में कॉर्न सिटी के किसान, नहीं करना चाहते मक्के की खेती

जिले में 62 हजार हेक्टेयर में लगाई जाती है सब्जी

फसल उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक ने बताया कि छिंदवाड़ा जिले में करीब 62 हजार हेक्टेयर जमीन में सभी सीजनों में सब्जी की फसल लगाई जाती है. आंकड़ा एकड़ में गिना जाए तो 150 हजार एकड़ हो जाएगा. लॉकडाउन के चलते किसानों को बाजार में सब्जी बेचने का मौका नहीं मिला, जिससे घाटा तो हुआ है. हालांकि प्रशासन ने लोगों के घरों तक सब्जी पहुंचाने की व्यवस्था बनाई है, जिससे किसानों को भी राहत मिली है.

rotten vegetables
सड़कों पर फेंकने को मजबूर

30 हजार हेक्टेयर में बर्बाद हुई फसल

छिंदवाड़ा जिले में उगाई जाने वाली सब्जियां पड़ोसी राज्य जैसे महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तेलंगाना के अलावा और भी कई जिलों में सप्लाई की जाती है. लॉकडाउन के चलते परिवहन पूरी तरह ठप था. सब्जी की उपज ज्यादा हुई और परिवहन नहीं हो पाया, जिससे ज्यादातर किसानों की खेतों में ही फसल खराब हो गई. जानकारी के मुताबिक पूरे जिले में करीब 30 हजार हेक्टेयर की सब्जी फसल बर्बाद हुई है.

rotten vegetables
खराब हो रही सब्जियां

ये भी पढ़ें- स्ट्रॉबेरी की खेती से मालामाल हो सकते हैं किसान, छिंदवाड़ा में सफल रहा प्रयोग

प्रोसेसिंग यूनिट नहीं, खामियाजा भुगत रहे किसान

जिले के किसानों की कई दिनों से मांग है कि जिले में इतनी मात्रा में सब्जी उत्पादन होता है तो कुछ प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जाएं, जिससे ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर सब्जियां प्रोसेसिंग यूनिट में बेची जाएं. इससे सब्जी का सही उपयोग हो सकेगा. टमाटर के ज्यादा उत्पादन से टमाटर सॉस, शिमला मिर्च और सादी मिर्ची से चिली सॉस के अलावा कई सब्जियों की प्रोसेसिंग कर उसका फायदा लिया जा सकता हैं, जिससे किसानों को भी मुनाफा होगा और जिले में उद्योग भी बढ़ेगा. लेकिन हर बार किसानों को कुछ मिलता है तो आश्वासन, भरोसा और वादे.

छिंदवाड़ा। रात को दिन समझकर, अपनी नींद को दरकिनार कर, चिलचिलाती धूप हो या फिर घुटनों तक पानी भरा खेत, हर समय हर हालात में अन्न उगाने वाले किसानों के सामने इन दिनों आलम ये है कि अब उन्हें अपनी सारी मेहनत को सड़कों पर फेंकना पड़ रहा है. लाखों की लागत और दिन-रात की मेहनत के बाद भी जब अन्नदाता को बाजारों में सब्जी के सही दाम नहीं मिल रहे हैं, तो ऐसे में किसान अपनी फसल को मवेशियों को खिलाने और सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं.

सड़कों पर दिख रही अन्नदाता की मेहनत
बाजार में नहीं मिल रहे सही भाव

खेतों में फसल लगाने में ही जहां किसानों के लाखों खर्च हो जाते हैं, वहीं इन फसलों को खेत से बाजार ले जाना भी काफी महंगा होता है. लेकिन जब इतना खर्च कर इन फसलों को बाजार में सही दाम नहीं मिले तो किसान थक-हारकर मजबूर हो जाता है. वहीं लॉकडाउन के कारण ट्रांस्पोर्टेशन भी बंद है, जिस वजह से किसान अपनी फसलों को समय से बाजार नहीं ले जा पाए और ये फसलें खेत में ही खराब होने लगी.

rotten vegetables
खेत में खराब हो रही फसल

नई फसल लगाने का आ गया समय

मानसून के आते ही खरीफ फसल उगाने का समय आ गया है. इस नई फसल को उगाने के लिए खेतों का खाली होना जरूरी है, लेकिन खेतों में पहली फसल ही नहीं निकली तो नई फसल कैसे लगाई जाए, इसलिए किसान अपनी फसलों को मवेशियों को खिलाने और सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें- घाटे में कॉर्न सिटी के किसान, नहीं करना चाहते मक्के की खेती

जिले में 62 हजार हेक्टेयर में लगाई जाती है सब्जी

फसल उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक ने बताया कि छिंदवाड़ा जिले में करीब 62 हजार हेक्टेयर जमीन में सभी सीजनों में सब्जी की फसल लगाई जाती है. आंकड़ा एकड़ में गिना जाए तो 150 हजार एकड़ हो जाएगा. लॉकडाउन के चलते किसानों को बाजार में सब्जी बेचने का मौका नहीं मिला, जिससे घाटा तो हुआ है. हालांकि प्रशासन ने लोगों के घरों तक सब्जी पहुंचाने की व्यवस्था बनाई है, जिससे किसानों को भी राहत मिली है.

rotten vegetables
सड़कों पर फेंकने को मजबूर

30 हजार हेक्टेयर में बर्बाद हुई फसल

छिंदवाड़ा जिले में उगाई जाने वाली सब्जियां पड़ोसी राज्य जैसे महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तेलंगाना के अलावा और भी कई जिलों में सप्लाई की जाती है. लॉकडाउन के चलते परिवहन पूरी तरह ठप था. सब्जी की उपज ज्यादा हुई और परिवहन नहीं हो पाया, जिससे ज्यादातर किसानों की खेतों में ही फसल खराब हो गई. जानकारी के मुताबिक पूरे जिले में करीब 30 हजार हेक्टेयर की सब्जी फसल बर्बाद हुई है.

rotten vegetables
खराब हो रही सब्जियां

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प्रोसेसिंग यूनिट नहीं, खामियाजा भुगत रहे किसान

जिले के किसानों की कई दिनों से मांग है कि जिले में इतनी मात्रा में सब्जी उत्पादन होता है तो कुछ प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जाएं, जिससे ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर सब्जियां प्रोसेसिंग यूनिट में बेची जाएं. इससे सब्जी का सही उपयोग हो सकेगा. टमाटर के ज्यादा उत्पादन से टमाटर सॉस, शिमला मिर्च और सादी मिर्ची से चिली सॉस के अलावा कई सब्जियों की प्रोसेसिंग कर उसका फायदा लिया जा सकता हैं, जिससे किसानों को भी मुनाफा होगा और जिले में उद्योग भी बढ़ेगा. लेकिन हर बार किसानों को कुछ मिलता है तो आश्वासन, भरोसा और वादे.

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