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छिंदवाड़ा : सरकारी अस्पताल में मरीजों अनदेखी, बिना इलाज के लौट रहे मरीज - District Hospital Chhindwara

छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में इलाज आम लोगों की जद से बाहर हो गया है. दो अलग-अलग सड़क हादसों में घायल इलाज के लिए तपड़ते रहे लेकिन उनका इलाज नहीं हो सका.

जबलपुर
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Published : Jun 23, 2019, 2:54 PM IST

छिन्दवाड़ा। कलमनाथ सरकार मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर कितने भी दावे क्यों न कर रही हो लेकिन आज भी आम लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भटक रहे हैं. ताजा मामला मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह नगर छिंदवाड़ा का है जहां दो अलग-अलग मामलों में छिंदवाड़ा जिला अस्पताल लोगों को इलाज मुहैया नहीं करा पाया.

इलाज के लिए परेशानी महिला

एक महिला छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में अपनी घायल बेटी का इलाज कराने पहुंची तो डॉक्टर ने उस महिला से कहा कि वह अपने साथ एक कॉन्सटेबल लेकर आए. महिला का कहना है कि उसकी बेटी दर्द से तड़प रही थी और उसका इलाज नहीं किया गया.

महिला ने बताया कि सरकारी अस्पताल में मेरी बेटी का इलाज नहीं किया गया जिसके बाद मैं अपने गहने बेचकर अपनी बेटी का इलाज प्राइवेट अस्पताल में कराया.
वहीं एक दूसरे मामले में भी सड़क हादसे में घायल युवक को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया जहां वह खून से लथपथ अस्पताल प्रांगण में पड़ा रहा लेकिन उसे अंदर ले जाने के लिए अस्पताल में स्ट्रेक्चर नहीं मिला.

छिन्दवाड़ा। कलमनाथ सरकार मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर कितने भी दावे क्यों न कर रही हो लेकिन आज भी आम लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भटक रहे हैं. ताजा मामला मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह नगर छिंदवाड़ा का है जहां दो अलग-अलग मामलों में छिंदवाड़ा जिला अस्पताल लोगों को इलाज मुहैया नहीं करा पाया.

इलाज के लिए परेशानी महिला

एक महिला छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में अपनी घायल बेटी का इलाज कराने पहुंची तो डॉक्टर ने उस महिला से कहा कि वह अपने साथ एक कॉन्सटेबल लेकर आए. महिला का कहना है कि उसकी बेटी दर्द से तड़प रही थी और उसका इलाज नहीं किया गया.

महिला ने बताया कि सरकारी अस्पताल में मेरी बेटी का इलाज नहीं किया गया जिसके बाद मैं अपने गहने बेचकर अपनी बेटी का इलाज प्राइवेट अस्पताल में कराया.
वहीं एक दूसरे मामले में भी सड़क हादसे में घायल युवक को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया जहां वह खून से लथपथ अस्पताल प्रांगण में पड़ा रहा लेकिन उसे अंदर ले जाने के लिए अस्पताल में स्ट्रेक्चर नहीं मिला.

Intro:छिन्दवाड़ा। मुख्यमंत्री खुद सरकारी अस्पताल में भर्ती होकर जनता को सरकारी अस्पताल में ईलाज कराने के लिए प्रेरित कर रहे हैं लेकिन उनके गृह जिले छिन्दवाड़ा में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं खुद ही बीमार हैं।
एक ओर जहां एमपी के सीएम कमलनाथ अपने गृह जिले छिंदवाड़ा में मेडिकल कॉलेज की सौगात दिलाकर छिंदवाड़ा में एम्स जैसी सुविधाएं मुहैया करवाने की बात कहते हैं तो वहीं दूसरी ओर छिंदवाड़ा के ही जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती चली जा रही हैं और घायलों तथा मरीजों को इलाज के अभाव में डॉक्टरों के प्राइवेट क्लीनिक के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं,जी हां ऐसे ही दो मामले सामने निकलकर आये हैं जिनको देखकर आप सीएम के गृह जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का अंदाजा लगा सकते हैं।

Body:640 बिस्तरों वाला छिंदवाड़ा का जिला अस्पताल कहने को तो पहले से ही अव्यवस्थाओं का गढ़ है लेकिन छिंदवाड़ा के सांसद कमलनाथ के सीएम बनने और मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के यहां सेवाएं देने से उम्मीद जागी थी कि अब शायद यहां सब ठीक हो जाएगा और अब सुचारू रूप से मरीजों को इलाज मुहैया हो पायेगा लेकिन जिला अस्पताल की लचर स्वास्थ्य सुविधाएं तमाम उम्मीदों पर पानी फेरती नजर आ रही हैं।

Conclusion:दरअसल गुरुवार को देहात थाना अंतर्गत पटाखा गोदाम क्षेत्र में एक व्यक्ति का अज्ञात वाहन द्वारा एक्सीडेंट कर दिया गया था जिसमे वो बुरी तरह घायल हो गया था जिसकी सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची डायल 100 के चालक और पुलिसकर्मी ने एम्बुलेंस का इंतज़ार न करते हुए तत्काल उसे डायल 100 में ही लेकर जिला अस्पताल आ गए थे लेकिन उसे डॉक्टर तक ले जाने के लिए लगभग आधा घण्टा स्ट्रेचर ही ढूढते रहे लेकिन स्ट्रेचर नही मिला और मरीज तड़पता रहा,लगभग आधा घण्टा बीत जाने के बाद मीडिया के दखल के चलते जैसे तैसे घायल को स्ट्रेचर नसीब हुआ तब जाकर उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया वहीं दूसरे मामले में तो एक माँ अपनी घायल बेटी के इलाज के लिए इधर उधर भटकती रही लेकिन जब जिला अस्पताल में इलाज नही मिला तो अपने गहने बेचकर उसे प्राइवेट क्लीनिक में इलाज कराना पड़ा,दरअसल अमरवाड़ा थाना के सिंगोड़ी चौकी अंतर्गत आने वाले ग्राम महेन्द्रवाड़ा की रहने वाली आकांक्षा विश्वकर्मा की बेटी साक्षी का बुधवार को एक्सीडेंट हो गया था जिसके बाद उसने घटना की शिकायत सिंगोड़ी चौकी में की जिसके बाद उसे उसकी बेटी के उपचार हेतु अमरवाड़ा के सिविल अस्पताल भेजा गया लेकिन वहां उपचार न मिलने से उसे छिंदवाड़ा के जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया और जब आकांक्षा अपनी बेटी को लेकर जिला अस्पताल आई तो डॉक्टरों ने केवल इस कारण उसकी बेटी का इलाज नही किया क्योंकि एक्सीडेंट का मामला होने के चलते उसके साथ कोई पुलिसकर्मी नही आया था जबकि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि जब कोई घायल किसी अस्पताल में आये तो सर्वप्रथम उसका उपचार किया जाए उसके बाद भी सरकारी प्रक्रिया की जा सकती हैं लेकिन इसके बाद भी उसकी बेटी को जब वहां उपचार नही मिला तो उसने अपने गहने बेचकर जिला अस्पताल में ही पदस्थ अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर टांडेकर के निजी अस्पताल में मोटी फीस देकर अपनी बेटी का उपचार कराया और शुक्रवार को जब वो इस बात की शिकायत करने जिला अस्पताल पहुंचे एसडीएम को करने पहुंची तो बेटी का इलाज हो जाने के बाद जिला अस्पताल के स्टाफ ने उसे एक्सरे की पर्ची तमाकर इतिश्री कर ली,अपनी घायल बेटी का इलाज गहने बेचकर करवाने वाली माँ आकांक्षा ने बताया मैँ पहले बेटी के दर्द को देखती या पुलिस कर्मी को लेने जाती इस कारण मुझे मजबूरी में गहने बेचकर प्राइवेट में इलाज कराना पड़ा वहीं सिविल सर्जन सुशील कुमार राठी नियमों का हवाला देकर बचते नजर आए जबकि वे भूल गए कि नियम घायलों और मरीजों को उपचार देने के लिए बनाए जाते हैं उन्हें इलाज से बंचित रखने नही।

बाइट 1:-नीलेश तंतुवाय(चालक डायल 100)

बाइट 2:-आकांक्षा विश्वकर्मा(पीड़ित माँ)

बाइट 3:-सुशील कुमार राठी(सिविल सर्जन)



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