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बाढ़ पीड़ितों ने बयां किया दर्द, 'पहले किसी ने नहीं सुनी गुहार सबकुछ उजड़ने के बाद मुआवजे का ऐलान' - बाढ़ से तबाही

छिंदवाड़ा में तेज बारिश के बाद माचागोरा बांध और कन्हरगांव डैम के सभी गेट खोलने से निचले इलाके में बसे खैरघाट गांव में अचानक बाढ़ आई. जिसने रहवासियों की गृहस्थी उजाड़ दी. पीड़ितों का कहना है कि पहले कई बार पक्के मकान बनाने के लिए प्रशासन के सामने गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी.

Flood devastation
बाढ़ से तबाही
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Published : Sep 4, 2020, 3:14 PM IST

छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश में बाढ़ ने कोहराम मचाया हुआ है. प्रदेश पहले से ही कोरोना वायरस की चुनौतियों से जूझ रहा है, ऊपर से बाढ़ ने लोगों के लिए नई परेशानी खड़ी कर दी हैं. बाढ़ से प्रदेश के कई जिलों में भारी तबाही मची है. छिंदवाड़ा में लगातार हुई तेज बारिश के बाद माचागोरा बांध और कन्हरगांव डैम के सभी गेट खोलने से निचले इलाके में बसे खैरघाट गांव में अचानक बाढ़ आई. जिसने रहवासियों की गृहस्थी उजाड़ दी. घर में खाने को दाना तक नहीं बचा है. लोगों की फसल मवेशी घर दुकान सब कुछ बाढ़ अपने साथ बहाकर ले गया है. यहां के लोग जैसे तैसे अपना गुजारा कर रहे हैं.

बाढ़ से तबाही

बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि कई बार सरकार के सामने पक्के मकान बनाने के लिए सहायता की गुहार लगाई, लेकिन तब किसी ने नहीं सुना और अब जब सब कुछ लुट गया है तो मुआवजे का मरहम लगाया जा रहा है. 28-29 अगस्त को जिले में भयंकर बारिश हुई जिसके बाद माचागोरा बांध में जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिसके कारण बांध के सभी गेट खोल दिए गए. जिससे निचले इलाके के गांव में अचानक पानी भर गया. सबसे ज्यादा नुकसान खैरघाट गांव में हुआ. जहां पानी भरता देख लोग सिर्फ अपनी जान बचाकर भागे बाकी सब कुछ बाढ़ में तबाह हो गया.

Flood devastated household
बाढ़ ने उजाड़ी गृहस्थी

पहले किसी ने नहीं सुनी फरियाद अब मुआवजे की बात

पीड़ित सरस्वती बाई ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उनका परिवार तीन चार पीढ़ियों से बाढ़ का दर्द झेल रहा है, लेकिन अभी तक प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया. उनका कहना है कि पहले कई बार पक्के मकान बनाने के लिए प्रशासन के सामने गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी. उनका कहना है कि अब सरकार उन्हें पक्के मकान बनाकर देने की बात कर रही है. अगर यही काम बाढ़ आने के पहले हो जाता तो शायद आज उनका सब कुछ तबाह नहीं होता.

Houses fell due to floods in the village
गांव में आई बाढ़ से गिरे मकान

कच्चे मकानों के साथ ही जमा पूंजी और मवेशी भी हो गए खत्म

जैसे ही पेंच नदी का जलस्तर बढ़ा और गांव के किनारे पानी बढ़ना शुरू हुआ तो गांव वाले मुश्किल से अपनी जान बचाकर भागा. बाढ़ से पूरा इलाका जलमग्न हो गया था जिससे कच्चे मकान पूरी तरह से ढह गए और जमा पूंजी के साथ ही मवेशी भी बाढ़ में बढ़ गए है.

बाढ़ के डर से जन्मभूमि छोड़कर दूसरी जगह जाने को तैयार हैं ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि बांध बनने के बाद जब कभी भी अधिक बारिश होगी तो उन्हें इस आपदा का सामना करना ही होगा. इसलिए वह गांव छोड़कर कहीं सुरक्षित जगह बसने के लिए तैयार हैं. इसलिए सरकार उनका कहीं पुख्ता इंतजाम कर दे, ताकि हमेशा के लिए परेशानी से छुटकारा मिल सके. पेंच नदी के माचागोरा बांध और कुलबेहरा नदी में बने कन्हरगांव बांध का पानी एक साथ छोड़े जाने के कारण पेंच नदी का जलस्तर एक दम से बढ़ा और उसने पूरे गांव को चपेट में ले लिया. जिसके चलते गांव 2 दिन तक पूरी तरह से जलमग्न हो गया था.

छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश में बाढ़ ने कोहराम मचाया हुआ है. प्रदेश पहले से ही कोरोना वायरस की चुनौतियों से जूझ रहा है, ऊपर से बाढ़ ने लोगों के लिए नई परेशानी खड़ी कर दी हैं. बाढ़ से प्रदेश के कई जिलों में भारी तबाही मची है. छिंदवाड़ा में लगातार हुई तेज बारिश के बाद माचागोरा बांध और कन्हरगांव डैम के सभी गेट खोलने से निचले इलाके में बसे खैरघाट गांव में अचानक बाढ़ आई. जिसने रहवासियों की गृहस्थी उजाड़ दी. घर में खाने को दाना तक नहीं बचा है. लोगों की फसल मवेशी घर दुकान सब कुछ बाढ़ अपने साथ बहाकर ले गया है. यहां के लोग जैसे तैसे अपना गुजारा कर रहे हैं.

बाढ़ से तबाही

बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि कई बार सरकार के सामने पक्के मकान बनाने के लिए सहायता की गुहार लगाई, लेकिन तब किसी ने नहीं सुना और अब जब सब कुछ लुट गया है तो मुआवजे का मरहम लगाया जा रहा है. 28-29 अगस्त को जिले में भयंकर बारिश हुई जिसके बाद माचागोरा बांध में जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिसके कारण बांध के सभी गेट खोल दिए गए. जिससे निचले इलाके के गांव में अचानक पानी भर गया. सबसे ज्यादा नुकसान खैरघाट गांव में हुआ. जहां पानी भरता देख लोग सिर्फ अपनी जान बचाकर भागे बाकी सब कुछ बाढ़ में तबाह हो गया.

Flood devastated household
बाढ़ ने उजाड़ी गृहस्थी

पहले किसी ने नहीं सुनी फरियाद अब मुआवजे की बात

पीड़ित सरस्वती बाई ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उनका परिवार तीन चार पीढ़ियों से बाढ़ का दर्द झेल रहा है, लेकिन अभी तक प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया. उनका कहना है कि पहले कई बार पक्के मकान बनाने के लिए प्रशासन के सामने गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी. उनका कहना है कि अब सरकार उन्हें पक्के मकान बनाकर देने की बात कर रही है. अगर यही काम बाढ़ आने के पहले हो जाता तो शायद आज उनका सब कुछ तबाह नहीं होता.

Houses fell due to floods in the village
गांव में आई बाढ़ से गिरे मकान

कच्चे मकानों के साथ ही जमा पूंजी और मवेशी भी हो गए खत्म

जैसे ही पेंच नदी का जलस्तर बढ़ा और गांव के किनारे पानी बढ़ना शुरू हुआ तो गांव वाले मुश्किल से अपनी जान बचाकर भागा. बाढ़ से पूरा इलाका जलमग्न हो गया था जिससे कच्चे मकान पूरी तरह से ढह गए और जमा पूंजी के साथ ही मवेशी भी बाढ़ में बढ़ गए है.

बाढ़ के डर से जन्मभूमि छोड़कर दूसरी जगह जाने को तैयार हैं ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि बांध बनने के बाद जब कभी भी अधिक बारिश होगी तो उन्हें इस आपदा का सामना करना ही होगा. इसलिए वह गांव छोड़कर कहीं सुरक्षित जगह बसने के लिए तैयार हैं. इसलिए सरकार उनका कहीं पुख्ता इंतजाम कर दे, ताकि हमेशा के लिए परेशानी से छुटकारा मिल सके. पेंच नदी के माचागोरा बांध और कुलबेहरा नदी में बने कन्हरगांव बांध का पानी एक साथ छोड़े जाने के कारण पेंच नदी का जलस्तर एक दम से बढ़ा और उसने पूरे गांव को चपेट में ले लिया. जिसके चलते गांव 2 दिन तक पूरी तरह से जलमग्न हो गया था.

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