छिंदवाड़ा । आमतौर पर दिसंबर से लेकर जून तक बाजारों में फूल की बहुत मांग रहती है, जिसके लिए लोग अलग अलग तरीके से पारंपरिक खेती छोड़कर फूलों की खेती अपना रहे थे. छिंदवाड़ा के भी कई किसान जरबेरा के फूलों की खेती करते हैं जो विदेशों तक पहुंचता है लेकिन लॉकडाउन के चलते अब लोग सुंदर फूलों को फेंकने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
जिस फूल की पहुंच कभी छिंदवाड़ा से लेकर सात समंदर पार हुआ करती थी और उसकी सुंदरता देखते ही लोग उसे खरीदने को मजबूर हो जाते थे अब वही फूल सड़कों में पड़ा नजर आ रहा है. दरअसल खेती को लाभ का धंधा बनाने की मंशा से कई किसानों ने लाखों रुपए की लागत से पॉलीहाउस में जरबेरा के फूलों की खेती शुरू की थी.
किसान बताते हैं कि पहले साल सात से 8 लाख का मुनाफा हुआ था लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते फूल बिक नहीं रहा है इसलिए मजबूरी में भी तोड़ कर फेंक रहे हैं.
गौरैया के किसान राजकुमार अहिरवार बताते हैं कि उन्होंने 24 हजार पौधे लगाए थे. पिछले साल उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते एक ही फूल नहीं बिक पाया है. लाखों रुपए से तैयार हुआ पॉलीहाउस उनके लिए घाटे का सौदा हो रहा है सरकार से उम्मीद है कि फूलों की खेती करने वाले किसानों के लिए भी कुछ राहत दें.