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पोला पर्व में बैलों को मास्क लगाकर पहुंचे किसान, महामारी से बचने का दिया संदेश

कोरोना के चलते इस बार छिंदवाड़ा में मनाया जाने वाला पोला पर्व भी फीका रहा. पोला पर्व बैलों के सम्मान में मनाया जाने वाला पर्व है, जिसमें बैलों को सजाकर मैदान में दौड़ाया जाता है, किसानों ने बैलों को मास्क लगाकर लोगों को वायरस से बचने का मैसेज दिया है.

Pola festival
पोला पर्व
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Published : Aug 18, 2020, 9:10 PM IST

Updated : Aug 18, 2020, 10:34 PM IST

छिंदवाड़ा। भादो मास की अमावस्या पर मनाया जाने वाला पोला पर्व पर भी कोरोना वायरस का असर देखने को मिला है. पारंपरिक तौर पर किसान अपने बैल जोड़ियों को सजाकर लेकर तो आए, लेकिन लोगों को संक्रमण से बचने के लिए संदेश देते हुए बैलों को भी मास्क लगाए. सरकारी अमला सामाजिक संस्थाएं के साथ देश का हर शख्स कोरोना महामारी से बचने के लिए सलाह दे रहा है. पोला पर्व के दौरान बैलों को सजाकर उनकी पूजा करने का रिवाज है. किसानों ने बैलों को मास्क लगाकर संदेश दिया कि लोग कोरोना से मास्क लगातार बच सकते हैं.

पोला पर्व

दरअसल, बैलों को मुस्का लगाने की परंपरा बहुत पहले से है. किसान जब खेत में खरपतवार खत्म करने के लिए डौरा चलाते हैं, उस दौरान बैलों को मुस्का लगाया जाता है, जिससे कि वे काम छोड़कर फसल खाने में न लग जाएं. किसानों का कहना है कि कोरोना ने देश को जकड़ रखा है और इससे बचने के लिए सिर्फ मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग ही एक मात्र सहारा है. पोला ग्राउंड में इस बार महज तीन से चार जोड़ी बैल ही पहुंचे.

हर साल ये पर्व पोला ग्राउंड में धूमधाम से मनाया जाता था, लेकिन इस बार महामारी ने इस पर्व को फीका कर दिया. सैकड़ों बैल जोड़ी से यहां पर सजाकर लाए जाते हैं, फिर उन्हें दौड़ाया जाता है. बता दें कि बैलों के सम्मान के लिए यह पर्व आयोजित किया जाता है. बैलों की पूजा भी की जाती है. इस बार सिर्फ सांकेतिक रूप से पूजन किया गया.

छिंदवाड़ा। भादो मास की अमावस्या पर मनाया जाने वाला पोला पर्व पर भी कोरोना वायरस का असर देखने को मिला है. पारंपरिक तौर पर किसान अपने बैल जोड़ियों को सजाकर लेकर तो आए, लेकिन लोगों को संक्रमण से बचने के लिए संदेश देते हुए बैलों को भी मास्क लगाए. सरकारी अमला सामाजिक संस्थाएं के साथ देश का हर शख्स कोरोना महामारी से बचने के लिए सलाह दे रहा है. पोला पर्व के दौरान बैलों को सजाकर उनकी पूजा करने का रिवाज है. किसानों ने बैलों को मास्क लगाकर संदेश दिया कि लोग कोरोना से मास्क लगातार बच सकते हैं.

पोला पर्व

दरअसल, बैलों को मुस्का लगाने की परंपरा बहुत पहले से है. किसान जब खेत में खरपतवार खत्म करने के लिए डौरा चलाते हैं, उस दौरान बैलों को मुस्का लगाया जाता है, जिससे कि वे काम छोड़कर फसल खाने में न लग जाएं. किसानों का कहना है कि कोरोना ने देश को जकड़ रखा है और इससे बचने के लिए सिर्फ मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग ही एक मात्र सहारा है. पोला ग्राउंड में इस बार महज तीन से चार जोड़ी बैल ही पहुंचे.

हर साल ये पर्व पोला ग्राउंड में धूमधाम से मनाया जाता था, लेकिन इस बार महामारी ने इस पर्व को फीका कर दिया. सैकड़ों बैल जोड़ी से यहां पर सजाकर लाए जाते हैं, फिर उन्हें दौड़ाया जाता है. बता दें कि बैलों के सम्मान के लिए यह पर्व आयोजित किया जाता है. बैलों की पूजा भी की जाती है. इस बार सिर्फ सांकेतिक रूप से पूजन किया गया.

Last Updated : Aug 18, 2020, 10:34 PM IST
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