छिंदवाड़ा: जिले के घाट परासिया के किसान अमित बघेल ने बताया कि रबी सीजन में आधा एकड़ में काले गेहूं लगाया था जिससे उसने 10 किलो की बोनी की थी. गेहूं समान फसल की ही तरह है पर इसका रंग ही इसकी विशेषता है. यह गेहूं काले कलर का है. ये सामान्य गेहूं की तरह ही उगाया जाता है. आधा एकड़ में 10 क्विंटल 22 किलो पैदा हुआ है.
कृषि वैज्ञानिक की मानें तो काला गेहूं ही नहीं होता बल्कि काला चावल, काला मक्का पर विदेश में शोध चालू है. वहीं उन्होंने बताया कि यह एक खास रंग होने के कारण इसमें खास तत्व होते हैं साथ ही जिंक की अधिक मात्रा होती है. ये गेहूं तत्वों की कमी पूर्ण की जा सकती है पर इससे कोई बीमारी ठीक हो पाएगी इसका कोई तथ्य नहीं है.
डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर छिंदवाड़ा ने बताया कि अभी तक काले गेहूं की कोई नोटिफिकेशन विभाग के पास नहीं है ना ही मध्यप्रदेश में है एक व्यक्ति ने अपने निजी तौर पर ट्रायल के रूप में क्यों लगाया है इसके क्या फायदे हैं क्या नुकसान है यह हमें नहीं पता. साथ ही उन्होंने बताया कि जब तक वैज्ञानिक शोध नहीं होती और नोटिफिकेशन नहीं आ जाता इस पर कुछ भी कहना सही नहीं होगा.