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गांव में कब्रिस्तान के नहीं होने पर रिश्तेदार के यहां बेटे के शव को लेकर पहुंचा पिता, बताया दर्द - , जरूरी सुविधाएं

पीड़ित परिवार ने बताया कि वह गांव में जरूरी सुविधाओं के नहीं होने की शिकायत वे कई बार कर चुके हैं. इसके बावजूद हालात जस के तस हैं. कलेक्टर, तहसीलदार जनप्रतिनिधों से उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा है.

पीड़ित
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Published : Apr 30, 2019, 8:48 PM IST

Updated : Apr 30, 2019, 11:02 PM IST

छिंदवाड़ा। गांव में श्मशान घाट नहीं होने से एक पिता को बेटे का अंतिम संस्कार करने 40 किलो मीटर दूर दूसरे गांव ले जाना पड़ा. मामला चौराई विकासखंड के धनोरा गांव का है. ग्रामीणों की जमीन माचागोरा डैम डूब क्षेत्र में आयी थी, जिसको प्रशासन द्वारा अधिग्रहित कर लोगों को मुआवजा राशि देकर उन्हें दूसरी जगह बसाया गया था.

जिस जगह लोगों को विस्थापित किया गया वहां प्रशासन की तरफ से जरूरी सुविधाओं की व्यवस्था नहीं की गयी. विस्थापितों का आरोप है कि जिस गांव में उन्हें बसाया गया वहां न तो श्मशान घाट है और न ही कब्रिस्तान. नवाब मंसूरी ने बताया कि बीमारी के चलते उसके बेटे की मौत हो गयी.

गांव में ना कब्रिस्तान है ना श्मशान घाट. इसलिये मजबूरन नवाब मंसूरी बेटे के शव को छिंदवाड़ा में रहने वाले एक रिश्तेदार के यहां ले जाना पड़ा. पीड़ित परिवार ने बताया कि वह गांव में जरूरी सुविधाओं के नहीं होने की शिकायत वे कई बार कर चुके हैं. इसके बावजूद हालात जस के तस हैं. कलेक्टर, तहसीलदार जनप्रतिनिधों से उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा है.

छिंदवाड़ा। गांव में श्मशान घाट नहीं होने से एक पिता को बेटे का अंतिम संस्कार करने 40 किलो मीटर दूर दूसरे गांव ले जाना पड़ा. मामला चौराई विकासखंड के धनोरा गांव का है. ग्रामीणों की जमीन माचागोरा डैम डूब क्षेत्र में आयी थी, जिसको प्रशासन द्वारा अधिग्रहित कर लोगों को मुआवजा राशि देकर उन्हें दूसरी जगह बसाया गया था.

जिस जगह लोगों को विस्थापित किया गया वहां प्रशासन की तरफ से जरूरी सुविधाओं की व्यवस्था नहीं की गयी. विस्थापितों का आरोप है कि जिस गांव में उन्हें बसाया गया वहां न तो श्मशान घाट है और न ही कब्रिस्तान. नवाब मंसूरी ने बताया कि बीमारी के चलते उसके बेटे की मौत हो गयी.

गांव में ना कब्रिस्तान है ना श्मशान घाट. इसलिये मजबूरन नवाब मंसूरी बेटे के शव को छिंदवाड़ा में रहने वाले एक रिश्तेदार के यहां ले जाना पड़ा. पीड़ित परिवार ने बताया कि वह गांव में जरूरी सुविधाओं के नहीं होने की शिकायत वे कई बार कर चुके हैं. इसके बावजूद हालात जस के तस हैं. कलेक्टर, तहसीलदार जनप्रतिनिधों से उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा है.

Intro:छिंदवाड़ा आपने सुना होगा गरीब परिवार के लोग घर ना होने पर लोन या दूसरे रिश्तेदारों के घर से शादी करते हैं पर क्या आपने सुना है कि किसी रिश्तेदार के घर से जनाजा उठने की बात
पूरा मामला छिंदवाड़ा चौरई विकासखंड धनोरा का है
गांव में श्मशान घाट ना होने के कारण 40 किलोमीटर दूर आना पड़ा रिश्तेदार के घर,


Body:छिंदवाड़ा

लोगों ने जनाजा उठाया पर बाप को इतना दुख नहीं था उसे दुख था कि वह अपने गांव में 2 गज जमीन तक नहीं दिला पाया बेटे को

पूरा मामला छिंदवाड़ा के चोरी विकासखंड का है जहां माचागोरा डैम में कई गांव की भूमि अधिग्रहित कर गांव के लोगों को पुनर्वास कराया गया था और और उन्हें मुआवजा राशि भी दी गई थी जिस जगह पर लोगों का पुनर्वास कराया गया था उस जगह पर आज तक एक श्मशान घाट तक नहीं बन पाया
आज एक ऐसा अजीब मामला सामने आया जो धनोरा गांव का है जहां माचागोरा डैम मैं अधिग्रहीत की गई भूमि जहां पर कई गांव के लोगों को वहां से हटाकर दूसरी जगह पर विस्थापित किया गया था और उन्हें मूलभूत सुविधाएं भी दी जानी थी पर लोगों ने बताया कि आज तक उस गांव में ना समसान घाट है ना ही कब्रिस्तान भी नहीं है मजबूर लोगों को दूसरे गांव जाकर शव को दफना ना पड़ता है
पिता ने बताया कि उसके पुत्र काफी समय से बीमार था बीमारी के कारण उसकी मृत्यु हो गई पर उनके गांव में ना कब्रिस्तान है ना श्मशान घाट मजबूरन उन्हें अपने छिंदवाड़ा में रहने वाले परिजन के घर सब लाना पड़ा और रिश्तेदार के घर से जना या उठाया बाप को जितना दुख बेटे का मरने का नहीं था उससे ज्यादा दुख उसे था कि वहां अपने गांव में अपने बेटे को दो गज जमीन तक नहीं दे पाया
पहले भी कई बार कलेक्टर एसडीएम और तहसीलदार को शिकायत की उनके द्वारा लगातार आश्वासन दिया जाता रहा आज करेंगे, कल करेंगे पर अभी तक किसी ने हमारी नहीं सुनी कहा उन्होंने
मृतक का नाम आरिफ मंसूरी उम्र 35 वर्ष

बाईट 01- नवाब मंसूरी, मृतक के पिता
बाईट 02- आसिफ मंसूरी ,बड़ा भाई

सर जनाजे की विजुअल मेल कर रहा हूं यह वीडियो बाहर से आए हैं इसलिए बाकी खबर मौजों से ही है


Conclusion:एक और जहां सरकार किए हुए हुए कार्यों का श्रेय लेने में पीछे नहीं होती बीजेपी कहती है कि माचागोरा डैम हमने बनाया तो वहीं कांग्रेस भी कहती है कि माचागोरा डैम हमारी देन है पर अब इस बात का श्रेय कोई लेने को तैयार नहीं होगा कि गांव से विस्थापित हुए लोगों के गांव में मूलभूत सुविधाएं है या नहीं इस बात पर कोई भी पार्टी सामने आकर इस बात की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं आखिर क्यों
Last Updated : Apr 30, 2019, 11:02 PM IST
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