छिंदवाड़ा। गांव में श्मशान घाट नहीं होने से एक पिता को बेटे का अंतिम संस्कार करने 40 किलो मीटर दूर दूसरे गांव ले जाना पड़ा. मामला चौराई विकासखंड के धनोरा गांव का है. ग्रामीणों की जमीन माचागोरा डैम डूब क्षेत्र में आयी थी, जिसको प्रशासन द्वारा अधिग्रहित कर लोगों को मुआवजा राशि देकर उन्हें दूसरी जगह बसाया गया था.
जिस जगह लोगों को विस्थापित किया गया वहां प्रशासन की तरफ से जरूरी सुविधाओं की व्यवस्था नहीं की गयी. विस्थापितों का आरोप है कि जिस गांव में उन्हें बसाया गया वहां न तो श्मशान घाट है और न ही कब्रिस्तान. नवाब मंसूरी ने बताया कि बीमारी के चलते उसके बेटे की मौत हो गयी.
गांव में ना कब्रिस्तान है ना श्मशान घाट. इसलिये मजबूरन नवाब मंसूरी बेटे के शव को छिंदवाड़ा में रहने वाले एक रिश्तेदार के यहां ले जाना पड़ा. पीड़ित परिवार ने बताया कि वह गांव में जरूरी सुविधाओं के नहीं होने की शिकायत वे कई बार कर चुके हैं. इसके बावजूद हालात जस के तस हैं. कलेक्टर, तहसीलदार जनप्रतिनिधों से उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा है.