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कोरोना कर्फ्यू ने नीबू की डिमांड पर लगाया ब्रेक

छिंदवाड़ा में नीबू की खेती कर रहे किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि कोरोना कर्फ्यू के चलते उन्हें नीबू के दाम नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे उनकी लागत भी नहीं निकल रही है.

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नीबू
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Published : May 15, 2021, 9:06 PM IST

छिंदवाड़ा। जिले के पांढुर्णा में नीबू की खेती से किसान चिंतित हैं. कोरोना कर्फ्यू से गर्मी के दिनों में नीबू की डिमांड कम हो गई है. वही नीबू के दाम में भी भारी गिरावट आई है.

नीबू नहीं बिकने से किसान परेशान.

खेतों में पड़े किसानों के नीबू
जिले के पांढुर्णा को भले ही संतरांचल का दर्जा मिला है, जहां सबसे ज्यादा संतरे की पैदावार होती है. अब यहां के किसान संतरे के साथ-साथ नीबू की खेती भी कर रहे हैं. कोरोना कर्फ्यू में नीबू की डिमांड काफी कम हो गई है, जिससे नींबू की बिक्री नही होने से किसानों के नींबू का खेतों में ही ढेर लगा है. वहीं कोरोना कर्फ्यू के पहरे से नीबू के दाम आधे हो चुके हैं.

छिंदवाड़ाः बिना बीज के नीबू की खेती करके खुशहाल हुए किसान

नींबू उत्पादक किसान रवि चौधरी बताते हैं कि गर्मी के दिनों में नीबू को सबसे ज्यादा डिमांड होती थी, इसलिए गर्मी में 60 से लेकर 70 रुपये प्रति किलो के हिसाब से नीबू बिकते थे, लेकिन इस वर्ष कोरोना कर्फ्यू से व्यापारी नीबू की खेप को खरीदने को तैयार नहीं हैं. जिससे नीबू के दाम आधे हो गए हैं. वहीं नीबूओं का ढेर किसानों के खेत में पड़ा है, जिससे किसानों को लागत मूल्य तक नहीं निकल पा रही है, जिससे किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है.

छिंदवाड़ा। जिले के पांढुर्णा में नीबू की खेती से किसान चिंतित हैं. कोरोना कर्फ्यू से गर्मी के दिनों में नीबू की डिमांड कम हो गई है. वही नीबू के दाम में भी भारी गिरावट आई है.

नीबू नहीं बिकने से किसान परेशान.

खेतों में पड़े किसानों के नीबू
जिले के पांढुर्णा को भले ही संतरांचल का दर्जा मिला है, जहां सबसे ज्यादा संतरे की पैदावार होती है. अब यहां के किसान संतरे के साथ-साथ नीबू की खेती भी कर रहे हैं. कोरोना कर्फ्यू में नीबू की डिमांड काफी कम हो गई है, जिससे नींबू की बिक्री नही होने से किसानों के नींबू का खेतों में ही ढेर लगा है. वहीं कोरोना कर्फ्यू के पहरे से नीबू के दाम आधे हो चुके हैं.

छिंदवाड़ाः बिना बीज के नीबू की खेती करके खुशहाल हुए किसान

नींबू उत्पादक किसान रवि चौधरी बताते हैं कि गर्मी के दिनों में नीबू को सबसे ज्यादा डिमांड होती थी, इसलिए गर्मी में 60 से लेकर 70 रुपये प्रति किलो के हिसाब से नीबू बिकते थे, लेकिन इस वर्ष कोरोना कर्फ्यू से व्यापारी नीबू की खेप को खरीदने को तैयार नहीं हैं. जिससे नीबू के दाम आधे हो गए हैं. वहीं नीबूओं का ढेर किसानों के खेत में पड़ा है, जिससे किसानों को लागत मूल्य तक नहीं निकल पा रही है, जिससे किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है.

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