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केंद्र सरकार ने किसानों पर जबरन थोपे काले कानूनः नीलेश उइके - Opposition to agricultural laws

छिंदवाड़ा में ट्रैक्टर रैली निकालकर कांग्रेस ने नए कृषि कानूनों का विरोध किया. विधायक नीलेश उइके ने इन कानूनों को काले कानून बताया.

Nilesh Uike
नीलेश उइके
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Published : Jan 7, 2021, 5:46 PM IST

छिंदवाड़ा। दिल्ली की सीमाओं पर आज किसान आंदोलन का 43वां दिन है. नए कृषि कानूनों का जमकर विरोध किया जा रहा है. छिंदवाड़ा में भी कांग्रेस ने ट्रैक्टर रैली निकालकर विरोध जताया है.

विधायक नीलेश उइके

'किसानों पर काले थोपे गए'

इस दौरान पांढुर्णा विधायक नीलेश उइके ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों पर काले कानून थोपे हैं. इन कानूनों से किसान बर्बाद हो जाएगा. अगर सरकार ये कानून वापस नहीं लेती है, तो कांग्रेस लगातार सड़कों पर सरकार के खिलाफ आंदोलन करेगी.

सरकार के दबाव में काम कर रहा प्रशासन

विधायक ने कहा कि जिला प्रशासन सरकार के दबाव में है. जिसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब हम ज्ञापन देने कलेक्ट्रेट जा रहे थे, तो शहर से 7 किलोमीटर पहले ही ट्रैक्टर रैली को रोक दिया गया.किसानों की आवाज दबाई जा रही है.

कृषि कानून रद्द करने की मांग

बता दें किसान संगठन व अन्य राजनीतिक दल केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. वहीं सरकार किसानों को मनाने में जुटी है. लेकिन कई दौर के बातचीत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला है. अब अगले दौर की वार्ता आठ जनवरी को तय की गई है.

छिंदवाड़ा। दिल्ली की सीमाओं पर आज किसान आंदोलन का 43वां दिन है. नए कृषि कानूनों का जमकर विरोध किया जा रहा है. छिंदवाड़ा में भी कांग्रेस ने ट्रैक्टर रैली निकालकर विरोध जताया है.

विधायक नीलेश उइके

'किसानों पर काले थोपे गए'

इस दौरान पांढुर्णा विधायक नीलेश उइके ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों पर काले कानून थोपे हैं. इन कानूनों से किसान बर्बाद हो जाएगा. अगर सरकार ये कानून वापस नहीं लेती है, तो कांग्रेस लगातार सड़कों पर सरकार के खिलाफ आंदोलन करेगी.

सरकार के दबाव में काम कर रहा प्रशासन

विधायक ने कहा कि जिला प्रशासन सरकार के दबाव में है. जिसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब हम ज्ञापन देने कलेक्ट्रेट जा रहे थे, तो शहर से 7 किलोमीटर पहले ही ट्रैक्टर रैली को रोक दिया गया.किसानों की आवाज दबाई जा रही है.

कृषि कानून रद्द करने की मांग

बता दें किसान संगठन व अन्य राजनीतिक दल केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. वहीं सरकार किसानों को मनाने में जुटी है. लेकिन कई दौर के बातचीत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला है. अब अगले दौर की वार्ता आठ जनवरी को तय की गई है.

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