ETV Bharat / state

Chhindwara: मन्नत के बदले यहां चढ़ाए जाते हैं पत्थर, जानिए क्या है दरगाह में पत्थरों का राज

छिंदवाड़ा शहर के बीचोबीच छोटा इमामबाड़ा में सितार वाले बाबा की दरगाह है,जहां लोग चादर नहीं पत्थर चढ़ाकर आते हैं. लोगों का मानना है कि अगर किसी का कुछ सामान गुम जाए तो उतने वजन का पत्थर चढ़ाने से 2-3 दिन के अंदर खोई हुई चीज मिल जाती है और फिर लोग उतने ही वजन की मिठाई यहां पर चढ़ाते हैं. (sitar wale baba dargah chhindwara) (mp special story) (chhindwara majar stone story)

chhindwara sitar wale baba dargah
छिंदवाड़ा सितार वाले बाबा की दरगाह
author img

By

Published : Oct 18, 2022, 6:16 PM IST

Updated : Oct 18, 2022, 7:43 PM IST

छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा शहर के बीचो बीच छोटा इमामबाड़ा में अकबरी मस्जिद के प्रांगण में सितार वाले बाबा की दरगाह है, जहां लोग चादर नहीं पत्थर चढ़ाकर आते हैं. लोगों का मानना है कि अगर किसी का कुछ सामान गुम जाए तो उतने वजन का पत्थर चढ़ाने से 2-3 दिन के अंदर खोई हुई चीज मिल जाती है. बाद में फिर लोग उतने ही वजन की मिठाई यहां पर चढ़ाते हैं. हर साल इस दरगाह में उर्स का भी आयोजन किया जाता है इस उर्स में दूर-दूर से लोग यहां पर आकर अपनी मन्नत मांगते हैं. (sitar wale baba dargah chhindwara)

छिंदवाड़ा में सितार वाले बाबा की दरगाह

चादर फूल माला नहीं बल्कि चढ़ाए जाते हैं पत्थर: आपने देखा होगा कि आमतौर पर दरगाहों में चादर, फूल, माला, इत्र चढ़ाए जातें हैं लेकिन सितार वाले बाबा की इस दरगाह में लोग पत्थर चढ़ाते हैं. लोगों का मानना है कि किसी भी व्यक्ति की कोई चीज गुम जाए या फिर चोरी हो जाए तो परेशान व्यक्ति यहां आता है और बाबा से मन्नत मांगकर पत्थर चढ़ाता है और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो उस पत्थर के वजन के बराबर मिठाई चढ़ाकर बांटता है. मन्नत की वजह से अब मजार के अगल बगल में काफी मात्रा में पत्थर जमा हो गए हैं.

MP Historical Tample: सीहोर के चिंतामन गणेश मंदिर की दीवार पर मन्नत के लिए श्रद्धालु बनाते हैं उल्टा स्वास्तिक, जानें पौराणिक इतिहास

पुलिस अधिकारी ने भी मानी थी मन्नत: लोगों के मुताबिक यह दरगाह काफी पुरानी है,किसी ने भी सितार वाले बाबा को देखा नहीं है पर उनके प्रति काफी आस्था है. बाबा में आस्था रखने वाले छोटे खां ने बताया कि बहुत साल पहले छिंदवाड़ा के लावाघोघरी थाना में पदस्थ टीआई की रिवाल्वर कहीं गिर गई थी, जिसके कारण वह काफी परेशान थे उन्होनें सितार वाले बाबा के पास पत्थर चढ़ाया और कुछ दिन बाद ही उनकी रिवाल्वर मिल गई. (chota imambara in mp) (mp special story) (chhindwara majar stone story) (chhindwara sitar wale baba dargah )

छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा शहर के बीचो बीच छोटा इमामबाड़ा में अकबरी मस्जिद के प्रांगण में सितार वाले बाबा की दरगाह है, जहां लोग चादर नहीं पत्थर चढ़ाकर आते हैं. लोगों का मानना है कि अगर किसी का कुछ सामान गुम जाए तो उतने वजन का पत्थर चढ़ाने से 2-3 दिन के अंदर खोई हुई चीज मिल जाती है. बाद में फिर लोग उतने ही वजन की मिठाई यहां पर चढ़ाते हैं. हर साल इस दरगाह में उर्स का भी आयोजन किया जाता है इस उर्स में दूर-दूर से लोग यहां पर आकर अपनी मन्नत मांगते हैं. (sitar wale baba dargah chhindwara)

छिंदवाड़ा में सितार वाले बाबा की दरगाह

चादर फूल माला नहीं बल्कि चढ़ाए जाते हैं पत्थर: आपने देखा होगा कि आमतौर पर दरगाहों में चादर, फूल, माला, इत्र चढ़ाए जातें हैं लेकिन सितार वाले बाबा की इस दरगाह में लोग पत्थर चढ़ाते हैं. लोगों का मानना है कि किसी भी व्यक्ति की कोई चीज गुम जाए या फिर चोरी हो जाए तो परेशान व्यक्ति यहां आता है और बाबा से मन्नत मांगकर पत्थर चढ़ाता है और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो उस पत्थर के वजन के बराबर मिठाई चढ़ाकर बांटता है. मन्नत की वजह से अब मजार के अगल बगल में काफी मात्रा में पत्थर जमा हो गए हैं.

MP Historical Tample: सीहोर के चिंतामन गणेश मंदिर की दीवार पर मन्नत के लिए श्रद्धालु बनाते हैं उल्टा स्वास्तिक, जानें पौराणिक इतिहास

पुलिस अधिकारी ने भी मानी थी मन्नत: लोगों के मुताबिक यह दरगाह काफी पुरानी है,किसी ने भी सितार वाले बाबा को देखा नहीं है पर उनके प्रति काफी आस्था है. बाबा में आस्था रखने वाले छोटे खां ने बताया कि बहुत साल पहले छिंदवाड़ा के लावाघोघरी थाना में पदस्थ टीआई की रिवाल्वर कहीं गिर गई थी, जिसके कारण वह काफी परेशान थे उन्होनें सितार वाले बाबा के पास पत्थर चढ़ाया और कुछ दिन बाद ही उनकी रिवाल्वर मिल गई. (chota imambara in mp) (mp special story) (chhindwara majar stone story) (chhindwara sitar wale baba dargah )

Last Updated : Oct 18, 2022, 7:43 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.