छिंदवाड़ा। जिले में एक बार फिर पशुओं में लंपी वायरस का कहर देखने को मिल रहा है. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव महाराष्ट्र राज्य के नागपुर जिले से सटे इलाकों में देखा जा रहा है. पशु चिकित्सकों का कहना है कि एहतियात बरती जा रही है और जरूरत पड़ने पर टीकाकरण भी किया जा रहा है.
3 ग्रामों में कराया गया टीकाकरणः वहीं, उपसंचालक पशुपालन एवं डेयरी डॉ. एचजीएस पक्षवार ने बताया कि विकासखंड छिंदवाड़ा के ग्राम मदनपुर, उमरहर और धौलपुर में पशु चिकित्सकों की 3 टीमों के माध्यम से एलएसडी बीमारी की रोकथाम के लिये टीकाकरण का कार्य कराया गया और पशुपालकों को जागरूक करने के लिये उनसे सीधे संवाद किया गया. साथ में उन्हें एलएसडी बीमारी से बचाव के उपायों से संबंधित पम्पलेट का वितरण भी किया. पशुपालन एवं डेयरी के उप संचालक डॉ. पक्षवार ने बताया कि अभी तक जिले के लगभग 21 हजार 300 पशुओं का टीकाकरण हो चुका है और वर्तमान में 10 पशु संदिग्ध एलएसडी बीमारी के पाए गए जिनके उपचार के बाद 6 पशु स्वस्थ हो चुके हैं और 4 पशुओं का उपचार जारी है. पशुओं के उपचार के बाद उन्हें क्वारेनटाइन सेन्टर में निगरानी में रखा गया है.
जिला पॉलीक्लीनिक में बनाया जिला स्तरीय कंट्रोल रूमः उप संचालक ने बताया कि पशुओं की बीमारी के उपचार के लिये जिला पॉलीक्लीनिक में जिला स्तरीय कंट्रोल रूम बनाकर जिला पशु चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ. उमेश निरापुरे को इस कंट्रोल रूम का प्रभारी अधिकारी बनाया गया है जिनका मोबाइल नंबर-9425888476 है. उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार लंपी बीमारी से बचाव के संबंध में आवश्यक कार्यवाही की जा रही है. उन्होंने अपील की है कि यदि जिले के किसी भी क्षेत्र में लम्पी बीमारी के लक्षणों वाले संदिग्ध पशु दिखाई दें तो तत्काल जिला स्तरीय कंट्रोल रूम को सूचना दें, ताकि उसका उपचार हो सके.
सांसद ने कलेक्टर को पत्र लिखकर दिए सुझावः जिले में पालतू व आश्रित मवेशियों में लंपी वायरस बीमारी निरंतर बढ़ती जा रही है, जिसके चलते पशु पालकों में डर व भय की स्थिति बनने पर सांसद नकुलनाथ ने लंपी वाइरस को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है. इस दौरान उन्होंने इस गंभीर रोग से बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने एवं मवेशियों के वैक्सीनेशन सहित अन्य आवश्यक सुझाव जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर दिए हैं. सांसद ने पत्र में कहा कि जिले के छिन्दवाड़ा, चौरई, बिछुआ व अमरवाड़ा विकासखण्ड में लंपी तेजी से फैल रहा है. रोग से प्रभावित पशुओं की संख्या हजारों से अधिक हो चुकी है. परंतु जिला प्रशासन व पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग द्वारा इस संदर्भ में कारगर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं. यदि समय रहते उपचार के सम्पूर्ण इंतजाम व प्रयास नहीं किए गए तो जिले में भारी संख्या में पशुधन की हानि हो सकती है.