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सीएम कमलनाथ के गृह जिले में स्वास्थ्य का हाल बेहाल, इलाज के लिए तरस रहे मरीज

छिंदवाड़ा जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए जहां एक ओर दिल्ली के एम्स की तर्ज पर सिम्स मेडिकल कॉलेज का निर्माण करवा दिया गया है वहीं सीएम कमलनाथ के इतने प्रयासों के बाद भी जिला का स्वास्थ्य महकमा बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है.

bad condition of district hospital in chhindwara
छिंदवाड़ा जिला अस्पताल के हाल बेहाल
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Published : Dec 11, 2019, 8:13 PM IST

छिन्दवाड़ा। एक ओर जहां एमपी के सीएम कमलनाथ अपने गृह जिले छिंदवाड़ा में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और महकमा सीएम के अरमानों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं. स्वास्थ्य व्यवस्था कि बदहाली का मामला छिंदवाड़ा के जिला अस्पताल से आया है. जहां जिला अस्पताल के चौरई के कुरचिढाना में आई एक बुजुर्ग मां को जब अपने बेटे के इलाज के लिए बिस्तर नहीं मिला , तो वो बेटे को ग्लूकोज़ की बोतल लगे हुए जमीन पर ही बैठी रही.

छिंदवाड़ा जिला अस्पताल के हाल बेहाल

वहीं दूसरी तस्वीर भी जिला अस्पताल की ही है जहां एक पत्नी को अपने घायल पति के इलाज के लिए जब स्ट्रेचर नहीं मिला तो पत्नी खुद ही स्ट्रेचर खींचती नजर आई. वहीं तीसरी तस्वीर जिले के आदिवासी अंचल तामिया के छिंदी के एक ग्राम की है, जहां जननी वाहन न मिलने और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं न होने के चलते एक प्रसूता को अपने नवजात की जान से हाथ धोना पड़ा. जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को बदहाल करती इन तस्वीरों पर जब सीएमएचओ शरद बंसोड़ से उनका पक्ष जाना गया तो उनका कहना था कि स्थिति को बेहतर बनाने प्रयास किये जा रहे हैं.

छिन्दवाड़ा। एक ओर जहां एमपी के सीएम कमलनाथ अपने गृह जिले छिंदवाड़ा में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और महकमा सीएम के अरमानों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं. स्वास्थ्य व्यवस्था कि बदहाली का मामला छिंदवाड़ा के जिला अस्पताल से आया है. जहां जिला अस्पताल के चौरई के कुरचिढाना में आई एक बुजुर्ग मां को जब अपने बेटे के इलाज के लिए बिस्तर नहीं मिला , तो वो बेटे को ग्लूकोज़ की बोतल लगे हुए जमीन पर ही बैठी रही.

छिंदवाड़ा जिला अस्पताल के हाल बेहाल

वहीं दूसरी तस्वीर भी जिला अस्पताल की ही है जहां एक पत्नी को अपने घायल पति के इलाज के लिए जब स्ट्रेचर नहीं मिला तो पत्नी खुद ही स्ट्रेचर खींचती नजर आई. वहीं तीसरी तस्वीर जिले के आदिवासी अंचल तामिया के छिंदी के एक ग्राम की है, जहां जननी वाहन न मिलने और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं न होने के चलते एक प्रसूता को अपने नवजात की जान से हाथ धोना पड़ा. जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को बदहाल करती इन तस्वीरों पर जब सीएमएचओ शरद बंसोड़ से उनका पक्ष जाना गया तो उनका कहना था कि स्थिति को बेहतर बनाने प्रयास किये जा रहे हैं.

Intro:छिन्दवाड़ा। एक ओर जहां एमपी के सीएम कमलनाथ अपने गृह जिले छिंदवाड़ा में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे हैं वहीं स्वास्थ्य विभाग के जिमेदार अधिकारी और महकमा सीएम के अरमानों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं....Body:सीएम कमलनाथ ने जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए जहां एक ओर दिल्ली के एम्स की तर्ज पर सिम्स मेडिकल कॉलेज का निर्माण करवा दिया है वहीं अब लगभग 1400 करोड़ की लागत से सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का निर्माण भी किया जा रहा है जिससे अत्याधुनिक सुविधाओं का लाभ भी जिले के नागरिकों को मिल सकें......सीएम कमलनाथ के इतने प्रयासों के बाद भी जिला का स्वास्थ्य महकमा बिल्कुल भी संवेदनशील नही है इसी का परिणाम हैं ये तस्वीरें....पहली तस्वीर सिम्स से सम्बद्ध जिला अस्पताल की है जहां चौरई के कुरचिढाना से आई एक बुजुर्ग माँ को जब अपने बेटे के इलाज के लिए बेड नही मिला तो वो बेटे को ग्लूकोज़ की बोतल लगे हुए जमीन पर ही बैठी रही वहीं दूसरी तस्वीर भी जिला अस्पताल की ही है जहां एक पत्नि को अपने घायल पति के इलाज के लिए जब स्ट्रेचर नही मिला तो पत्नि खुद ही स्ट्रेचर खींचती नजर आई वहीं तीसरी तस्वीर जिले के आदिवासी अंचल तामिया के छिंदी के एक ग्राम की है जहां जननी वाहन न मिलने और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं न होने के चलते एक प्रसूता को अपने नवजात की जान से हाथ धोना पड़ा और उसके दूसरे बच्चे का उपचार जिला अस्पताल लाकर करवाया गया.....जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को बदहाल करती इन तस्वीरों पर जब सीएमएचओ शरद बंसोड़ से उनका पक्ष जाना गया तो उनका कहना था कि स्थिति को बेहतर बनाने प्रयास किये जा रहे हैं।

Conclusion:इन तीन अलग-अलग तस्वीरों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले का स्वास्थ्य महकमा जनता के प्रति कितना जिम्मेदार है और जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी कारगर है, वही जिम्मेदार बड़ी आसानी से पल्ला झाड़ते हुए कहते हैं कि बे स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

बाइट- डॉ शरद बंसोड़,सीएमएचओ,छिन्दवाड़ा
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