छिंदवाड़ा। कमलनाथ और कांग्रेस के राजनीतिक अस्तित्व को छिंदवाड़ा से समाप्त करने के लिए भाजपा जी जान से जुटी है. बीजेपी के चाणक्य और रणनीतिकार कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह 25 मार्च को छिंदवाड़ा आएंगे. इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकर्ताओं की बैठक लेते हुए कहा है कि अब छिंदवाड़ा में तूफान आने वाला है और कांग्रेस को यहां से उखाड़ फेंकेगें. आखिर क्यों छिंदवाड़ा में कांग्रेस आज तक अंगद के पैर की तरह अडिग है जानिए.
1 साल के लिए भाजपा: लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा की जनता ने आजादी के बाद से अब तक बीजेपी को सिर्फ एक साल के लिए मौका दिया है. वह भी उपचुनाव में, इसलिए छिंदवाड़ा कांग्रेस का अभेद किला कहलाता है. आजादी के बाद हुए आम चुनावों में छिंदवाड़ा में हमेशा ही कांग्रेस काबिज रही है. 1952 से लेकर 1996 तक बीजेपी सहित कई दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे लेकिन कांग्रेस को कोई नहीं हिला पाया. 1997 में हुए उपचुनाव में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को हार का स्वाद चखाया था, लेकिन ये जीत बीजेपी के लिए महज 1 साल की थी. उसके बाद से ही छिंदवाड़ा में अब तक कमलनाथ का राज है.
7 विधानसभा सीटें: छिंदवाड़ा लोकसभा सीट छिंदवाड़ा, चौरई, अमरवाड़ा, परासिया, जुन्नारदेव, सौंसर, और पांढुर्ना समेत कुल सात विधानसभाओं को मिलाकर बनती है. जिसमें से 3 विधानसभा सीट सामान्य 3 विधानसभा एसटी और 1 विधानसभा एससी के लिए आरक्षित है और जिले में कुल मिलाकर आदिवासी मतदाताओं की संख्या अधिक है.
राजनीतिक समीकरण: छिंदवाड़ा लोकसभा में तो हमेशा ही कांग्रेस का कब्जा रहा है और विधानसभाओं में पहले कांग्रेस, भाजपा और आदिवासी बाहुल्य नेता या पार्टी का जनाधार रहा है लेकिन दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में सातों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया है. कमलनाथ ने सूबे के मुखिया बनने के बाद छिंदवाड़ा लोकसभा का उत्तराधिकारी अपने नकुलनाथ को सौंपी दी थी और 2019 में छिंदवाड़ा से कमलनाथ के बेटे पूरे एमपी में इकलौते कांग्रेस के सांसद के तौर पर जीतकर संसद पहुंचे.
आदिवासी वोट बैंक तय करेगा जीत: छिंदवाड़ा लोकसभा में यूं भाजपा और कांग्रेस पार्टी दोनो का वोट बैंक है लेकिन किंगमेकर की भूमिका निभाता है. यहां का आदिवासी वोट, इसलिए इस बार दोनों पार्टियों की नजर आदिवासियों पर है. इसके लिए अमित शाह आदिवासियों के धर्मगुरु और प्रमुख धार्मिक स्थल आंचलकुण्ड पहुंचकर दर्शन के बाद आदिवासी धर्म गुरुओं के साथ भोजन भी करेंगे.
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2019 चुनाव में मशक्कत: 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पूर्व विधायक और कर्मचारी आदिवासी नेता नत्थनशाह को नकुल नाथ के मुकाबले चुनाव मैदान में उतारा था. लाखों की मार्जिन से चुनाव जीतने वाले कमलनाथ को नत्थनशाह ने कड़ी टक्कर देते हुए बेटे के लिए कड़ी मशक्कत करने को मजबूर कर दिया था और और पिता कमलनाथ के सीएम रहते हुए नकुल नाथ महज 35 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीत पाए थे इसलिए भाजपा इस बार पूरा फोकस आदिवासी वोट पर कर रही है. 2004 के लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा से भाजपा ने कमलनाथ के मुकाबले महाकौशल के बड़े नेता प्रहलाद पटेल को उतारा. जिसमें कांग्रेस को काफी मशक्कत करनी पड़ी और लाखों वोटों से जीतने वाले कमलनाथ को इस बार 63 हजार 701 वोटों की जीत से संतुष्ट होना पड़ा था.
कांग्रेस को बहाना पड़ा था पसीना: कांग्रेस का गढ़ छिंदवाड़ा लोकसभा में भाजपा को सिर्फ 1997 के उपचुनाव में जीत का स्वाद मिला है. इस चुनाव में भाजपा ने कमलनाथ के मुकाबले एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को मैदान में उतारा था. सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को 37 हजार 680 वोटों से हराया था. वहीं 1989 के चुनाव में कमलनाथ को जनता दल के माधवलाल दुबे कड़ी टक्कर देते हुए 40104 वोटों से हारे थे. 1996 में कमलनाथ का टिकिट कट जाने के बाद उनकी पत्नी अलकानाथ ने छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में भाजपा के चौधरी चंद्रभान सिंह ने अलकानाथ को कड़ी टक्कर दी और अलकानाथ महज 21 हजार 3 सौ 82 वोटों से जीत पाई थी.
आपातकाल के बाद भी छिंदवाड़ा से जीती थी कांग्रेस: इंदिरा गांधी के देश में आपातकाल लगाए जाने के बाद जब 1977 में आम चुनाव हुए तो जनता लहर में सेंट्रल इंडिया की सभी सीटें कांग्रेस हार गई थी एकमात्र छिंदवाड़ा सीट से गार्गी शंकर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत कर आए थे हालांकि गार्गीशंकर का स्थानीय स्तर पर कांग्रेस नेताओं से विरोध था इसलिए 1980 में इंदिरा गांधी ने अपने तीसरे पुत्र के रूप में कमलनाथ को छिंदवाड़ा की जिम्मेदारी सौंपी थी.
छिंदवाड़ा लोकसभा चुनाव में अब तक यह रहे सांसद कांग्रेस का रहा दबदबा
क्र. | वर्ष | सांसद | दल |
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1 | 1952 | रायचंद भाई शाह | कांग्रेस |
2 | 1975 | नारायणराव वाडीवा | कांग्रेस |
3 | 1957 | भीकूलाल लक्ष्मीचंद | कांग्रेस |
4 | 1962 | कूलाल लक्ष्मीचंद | कांग्रेस |
5 | 1967 | गार्गीशंकर मिश्र | कांग्रेस |
6 | 1972 | गार्गीशंकर मिश्र | कांग्रेस |
7 | 1977 | गार्गीशंकर मिश्र | कांग्रेस |
8 | 1980 | कमलनाथ | कांग्रेस |
9 | 1984 | कमलनाथ | कांग्रेस |
10 | 1989 | कमलनाथ | कांग्रेस |
11 | 1991 | कमलनाथ | कांग्रेस |
12 | 1996 | श्रीमती अलकानाथ | कांग्रेस |
13 | 1997 | सुंदरलाल पटवा | भाजपा |
14 | 1998 | कमलनाथ | कांग्रेस |
15 | 1999 | कमलनाथ | कांग्रेस |
16 | 2004 | कमलनाथ | कांग्रेस |
17 | 2009 | कमलनाथ | कांग्रेस |
18 | 2014 | कमलनाथ | कांग्रेस |
19 | 2019 | नकुलनाथ | कांग्रेस |