छतरपुर। विभिन्न राज्यों में काम करने गए उत्तर प्रदेश के मजदूरों को 2 दिन पहले महुआ जिले के सटे केमाहा बैरियर पर रोक दिया गया था. जिसके बाद वहां मजदूरों की संख्या सैकड़ों में पहुंच गई, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार इन मजदूरों को राज्य में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दे रही थी. हालांकि बाद में स्थानीय प्रशासन ने बातचीत कर मामले को सुलझाते हुए मजदूरों का जिले में प्रवेश करवाया.
दरअसल मध्यप्रदेश-उत्तर प्रदेश की सीमा को जोड़ने वाले केमाहा बैरियर पर सैकड़ों मजदूर इकट्ठा हो गए. यह सभी मजदूर उत्तरप्रदेश के थे और छतरपुर जिले से होते हुए उत्तरप्रदेश में प्रवेश करना चाह रहे थे, लेकिन महोबा डीएम और एसपी ने इन मजदूरों को कैमाहा बॉर्डर पर ही रोक दिया था. देखते ही देखते सैकड़ों मजदूर बैरियर पर भीड़ के रूप में एकत्र होने लगे. मजदूर छतरपुर जिले से होते हुए उत्तर प्रदेश की सीमा में जा रहे थे, इसके चलते छतरपुर कलेक्टर ने महोबा कलेक्टर से बात भी की. इसके बावजूद महोबा का प्रशानिक अमला मामने को तैयार नहीं था. यही वजह रही कि एक रात हजारों मजदूरों को कैमाहा बैरियर पर बितानी पड़ी.
वहीं जब मामले ने तूल पकड़ा, तो दूसरे दिन उत्तर प्रदेश का प्रशासन नरमी बरतते हुए मजदूरों के प्रवेश की बात मान ली. जिसके बाद महोबा कलेक्टर और अन्य अधिकारी मौके पर पहुंच गए. जहां मजदूरों की स्कैनिंग करवाई गई और उन्हें सरकारी वाहनों से प्रदेश में दाखिल करते हुए उनके शहर और गांव भेजने की व्यवस्था की गई. बता दें कि 2 दिन पहले तक छतरपुर से उत्तर प्रदेश के महोबा में जाने वाले मजदूरों को महोबा कलेक्टर ने प्रवेश की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन जब मामला उछला तो आनन-फानन में महोबा जिला प्रशासन हरकत में आया और मजदूरों को जिले में प्रवेश दिया.