छतरपुर। प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान शुरु हो गया है. इन 28 सीटों में छतरपुर की बड़ामलहरा सीट भी शामिल है, जहां सुबह 7 बजे से ही मतदाता मतदान केंद्रों पर पहुंचे और वोट किया. वोटिंग बूथ पर कोविड-19 की गाइडलाइन का बखूबी पालन किया जा रहा है, जिसके तहत आ रहे सभी मतदाताओं को पहले सेनेटाइज किया जा रहा है और ग्लव्स दिए जा रहे हैं. वहीं मतदान केंद्र के अंदर प्रवेश करने से पहले मतदाताओं का तापमान भी चेक किया जा रहा है. बड़ामलहरा विधानसभा क्षेत्र के सभी मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. पुलिस बल के अलावा बाहर से बुलाई गई पुलिस और अन्य पुलिस बल भी मौजूद हैं. इसके अलावा समय-समय पर अधिकारी भी लगातार मतदान केंद्रों का दौरा कर रहे हैं.
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बीजेपी के दबदबे वाली सीट है बड़ामलहरा
बड़ा मलहरा विधानसभा सीट के सियासी इतिहास की बात जाए तो यह सीट बीजेपी के दबदबे वाली सीट मानी जाती है. यहां पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है. वे खुद भी यहां से विधायक रह चुकी हैं. बड़ा मलहरा में अब तक हुए 14 चुनाव में से 12 बार बीजेपी ने चुनाव जीता है, तो एक बार कांग्रेस और एक बार जनशक्ति पार्टी के प्रत्याशी को मौका मिला था.
जातिगत समीकरण होते हैं अहम
बुंदेलखंड अंचल की सीट होने की वजह से बड़ामलहरा में जातीय समीकरण का सतुलन बनाना बड़ी चुनौती माना जाता है, क्योंकि इस सीट पर लोधी और यादव मतदाता सबसे ज्यादा हैं तो अनुसूचित जाति के मतदाता भी चुनावों में प्रभावी भूमिका निभाते हैं. लिहाजा बीजेपी और कांग्रेस ने लोधी समाज से आने वाले प्रत्याशियों को मौका दिया है. तो बसपा ने यादव वर्ग के अखंड प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया है.
बड़ामलहरा के मतदाता
वहीं बात अगर बड़ामलहरा विधानसभा सीट के मतदाताओं की जाए तो यहां कुल मतदाता 2 लाख 07 हजार 38 हैं. जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1लाख 11 हजार 670 है. तो महिला मतदाताओं की संख्या 95 हजार 361 है, जो उपचुनाव में अपने नए विधायक का चयन करेंगे.
राजनीतिक जानकारों की राय
वहीं बड़ामलहरा के सियासी समीकरणों पर राजनीतिक जानकार संजय रिछारिया कहते हैं कि बीजेपी-कांग्रेस के प्रत्याशी लोधी वर्ग से आते हैं, लेकिन बसपा उम्मीदवार अंखड प्रताप यादव के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है, क्योंकि यहां यादव वर्ग के मतदाता भी प्रभावी भूमिका में रहते हैं. ऐसे में फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि कोन सा प्रत्याशी मजबूत है.
2018 में हुई थी कांग्रेस उम्मीदवार की जीत
2018 में कांग्रेस के टिकिट पर चुनाव लड़े प्रद्युम्न सिंह लोधी बीजेपी प्रत्याशी पूर्व मंत्री ललिता यादव को बड़े मार्जिन से चुनाव हराया था, लेकिन वे बाद में बीजेपी में आ गए और उन्हें शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया. प्रद्युम्न सिंह लोधी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के करीबी माने जाते हैं. हालांकि उमा भारती कोविड की वजह से उनके पक्ष में प्रचार करने नहीं आ पायी, जिससे यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मंत्री गोपाल भार्गव ने मोर्चा संभाल रखा है, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी रामसिया भारती के को जीत दिलाने की जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के कंधों पर है. हालांकि कांग्रेस ने यहां पूर्व मंत्री हर्ष यादव और बुंदेलखंड के विधायकों प्रचार में लगा रखा है. लिहाजा हालांकि दोनों प्रत्याशियों में किस्मत किसकी चमकेगी इसका पता तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा.