छतरपुर। कोरोना वायरस का कहर अभी थमा नहीं है. कोरोना वायरस की दस्तक के बाद किए गए लॉकडाउन ने किसी का रोजगार छीन लिया तो किसी को अपनों से दूर कर दिया. कोरोना की सबसे ज्यादा मार उस तबके पर पड़ी जो दिनभर कमाने के बाद शाम की रोटी का इंतजाम कर पाता था.
कोरोनाकाल में सरकार ने लोगों को फ्री राशन देने का ऐलान किया, लेकिन छतरपुर के परेई गांव के लोगों को अब तक राशन का इंतजार है. ग्रामीणों को पिछले 5 महीने से राशन नहीं मिला. लिहाजा अब उनका सब्र जवाब देने लगा है और मदद की आस में वे जिम्मेदारों के पास पहुंचे हैं.
ग्रामीणों का आरोप है कि शासन ने पंचायत में राशन तो भेजा, कई बार वे लेने भी गए, लेकिन खाली हाथ लौटना पड़ा. मदद की आस में जिम्मेदारों के पास पहुंचे परेई गांव के 50 से ज्यादा ग्रामीणों की समस्या सुनने की बयान जिम्मेदारों ने उनसे दूरी बना ली और सिर्फ दो लोगों को ही खाद्य अधिकारी ने कैबिन में बुलाया.
जब ग्रामीणों ने अपना दर्द खाद्य अधिकारी स्वाति जैन को बताया तो उन्हें कार्रवाई के नाम पर मजबूत भरोसा भी नहीं दिया, जबकि कलेक्टर महोदय ने कार्रवाई के नाम पर आश्वासन का झुनझुना पकड़ा दिया है. ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना का भी कई लोगों को लाभ नहीं मिला, जबकि बिजली न आना बड़ी समस्या है.
ग्रामीणों की आप बीती के बाद जब खाद्य अधिकारी स्वाति जैन से बातचीत की गई तो उन्होंने रटा रटाया बयान देते हुए कह दिया कि जांच के बाद ही वो कुछ कह पाएंगी, जबकि ग्रामीण पिछले 5 महीने से ये शिकायत करते आ रहे हैं कि उन्हें लॉकडाउन की अवधि का राशन अब तक नहीं मिला, हर बार उन्हें कार्रवाई का भरोसा दिया जाता है.
अब एक बार फिर जिम्मेदारों ने इनकी समस्या हल करने की बजाय अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की और आश्वासन दे दिया. एक तरफ तो सरकार ये दावा करती है कि गांव-गांव तक लोगों को खाने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा, जबकि दूसरी तरफ छतरपुर के परेई गांव की ये तस्वीर जमीनी हकीकत को उजागर कर रही है.