छतरपुर। विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो में मौजूद चतुर्भुज मंदिर एक ऐसा मंदिर है जो खजुराहो में स्थित तमाम अन्य मंदिरों से एकदम अलग और सबसे विचित्र है. यह खजुराहो का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसकी दीवारों पर किसी भी प्रकार की कामुक कलाकृतियां मौजूद नहीं है. मंदिर के गर्भ गृह में एक बड़ी सी प्रतिमा मौजूद है. ऐसा बताया जाता है कि यह प्रतिमा 3 देवताओं के स्वरूप को मिलाकर बनाई गई है.
चतुर्भुज मंदिर का इतिहास
चतुर्भुज मंदिर का निर्माण 11 सौ वर्ष पहले चंदेल राजाओं के द्वारा कराया गया था. यह मंदिर पश्चिमी समूह मंदिरों से अलग है लेकिन इस मंदिर की अपनी एक अलग पहचान है. इस मंदिर की दीवारों पर कोई भी कामुक कलाकृति मौजूद नहीं है. मंदिर के अंदर एक बड़ी सी प्रतिमा मौजूद है जो 3 देवताओं के स्वरूप से बनी है.
यह है मान्यता
प्रतिमा के मुख्य की बात की जाए तो ऐसा माना जाता है की प्रतिमा का मुख भगवान शिव का है, धड़ भगवान विष्णु का है और पैर भगवान कृष्ण के हैं. इसी वजह से इस मंदिर को खजुराहो का सबसे विचित्र मंदिर माना जाता है. इस प्रतिमा में चार भुजाएं मौजूद हैं, इसलिए इसे चतुर्भुज के नाम से जाना जाता है.
मंदिर की खासियत
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि सूर्य की किरणें इस मंदिर के अंदर मौजूद प्रतिमा के पैरों को छूते हुए जाती हैं और उसके बाद सूर्यास्त होता है. खजुराहो का एकमात्र ऐसा मंदिर है जो सनसेट पॉइंट पर बना हुआ है.
इसलिए हुआ था मंदिर का निर्माण
इस मंदिर को बनवाने के पीछे एक कहावत यह भी है कि उस समय वैष्णव और शिव समुदाय के लोग अपने अपने देशों को श्रेष्ठ मानते थे. जिसको लेकर कई बार उन सभी में आपस में झगड़े भी हुए. जिसको लेकर उस समय इस मंदिर का निर्माण कराया था और मंदिर में स्थापित प्रतिमा के माध्यम से यह संदेश देना चाहते थे कि हम भले ही देवताओं को अलग-अलग रूप में पूजते हैं लेकिन हकीकत में परमात्मा एक ही है.