छतरपुर। घोड़ी का रूप बनाकर अनोखे अंदाज में जो नृत्य आप देख रहे हैं, उसे दलदल घोड़ी नृत्य नाम से जाना जाता है. घोड़ी जैसे ढांचे को पहनकर किये जाने वाले नृत्य की ये शैली बुंदेलखंड को विश्व पटल पर पहचान दिलाती है. एक दौर था जब पूरे बुंदेलखंड में दलदल घोड़ी नृत्य लोगों के सिर चढ़कर बोलता था. आलम ये था कि जिस शादी में दलदल घोड़ी नृत्य हो गया, उसे उस दौर की सबसे शानदार शादी माना जाता था.
दलदल घोड़ी की खासियत यह है कि इसमें घोड़ी के रूप में सजा कलाकार इतना खूबसूरत दिखता है कि हकीकत के घोड़े को भी मात दे दे. अफसोस कि आधुनिकता के दौर में बुंदेलखंड की ये अनोखी कला विलुप्त हो रही है. लोग बताते हैं कि उन्होंने शादियों में करीब तीन दशक पहले दलदल घोड़ी देखी थी. लेकिन, लोगों को भरोसा है कि एक बार फिर शादियों में दलदल घोड़ी का क्रेज बढ़ेगा.
छतरपुर के नौगांव में रहने वाले बालीदन प्रजापति ने विलुप्त होती इस नृत्य कला को लोगों के बीच पहुंचाने का बीड़ा उठाया है. उनका मानना है कि ये काम थोड़ा मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं. सालों बाद दलदल घोड़ी ने एक बार फिर लोगों के बीच दस्तक दी है, लेकिन इस कला को जीवित करने के लिए सरकार को भी कोई कदम उठाना चाहिये. सरकार को चाहिये की वह इस नृत्य के कलाकारों को भी आर्थिक रूप से मदद मुहैया कराए.