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मंगतेश्वर मंदिर की शिवलिंग को छूने भर से पूरी होती हैं मुरादें, विदेशों से मत्था टेकने आते हैं भक्त

मंगतेश्वर मंदिर खजुराहो का इकलौता ऐसा मंदिर है, जो अपने महत्व और शानदार बनावट से पूरी दुनिया में अपनी पहचान रखता है. मंदिर करीब 11 सौ साल पुराना है.

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Published : Jun 29, 2019, 9:32 AM IST

छतरपुर। पर्यटन नगरी खजुराहो में भगवान शिव के कई मंदिर हैं, लेकिन जिस मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वो सबसे अलग है. मंतगेश्वर मंदिर खजुराहो का इकलौता ऐसा मंदिर है, जो अपने महत्व और शानदार बनावट से पूरी दुनिया में अपनी पहचान रखता है. मंदिर करीब 11 सौ साल पुराना है.

मंगतेश्वर मंदिर की शिवलिंग को छूनेभर से पूरी होती हैं मुरादें

9वीं सदी में बने इस मंदिर के भीतर करीब 18 फीट का शिवलिंग मौजूद है. पुजारी बताते हैं कि शिवलिंग के नीचे मरकत मणि भी मौजूद है. शिवलिंग को छूने से सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शिवलिंग को छूने से हाथों पर चीटियों का चलना प्रतीत होता है, जो मरकत मणि की मौजूदगी को दर्शाता है.

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पहले यह शिवलिंग हर वर्ष तिल के बराबर बढ़ता था. अब यह मंदिर हर साल चावल के दाने के बराबर बढ़ रहा है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार भगवान श्रीराम ने खुद इस मंदिर में आकर पूजा-अर्चना की थी.

इस मंदिर के भक्त भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मौजूद हैं. महाशिवरात्रि के समय देश-विदेश से भक्त इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं. मतंगेश्वर मंदिर के बारे में इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं. विभिन्न प्रकार की हिंदू मान्यताएं भी इस मंदिर को लेकर प्रचलित हैं.

छतरपुर। पर्यटन नगरी खजुराहो में भगवान शिव के कई मंदिर हैं, लेकिन जिस मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वो सबसे अलग है. मंतगेश्वर मंदिर खजुराहो का इकलौता ऐसा मंदिर है, जो अपने महत्व और शानदार बनावट से पूरी दुनिया में अपनी पहचान रखता है. मंदिर करीब 11 सौ साल पुराना है.

मंगतेश्वर मंदिर की शिवलिंग को छूनेभर से पूरी होती हैं मुरादें

9वीं सदी में बने इस मंदिर के भीतर करीब 18 फीट का शिवलिंग मौजूद है. पुजारी बताते हैं कि शिवलिंग के नीचे मरकत मणि भी मौजूद है. शिवलिंग को छूने से सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शिवलिंग को छूने से हाथों पर चीटियों का चलना प्रतीत होता है, जो मरकत मणि की मौजूदगी को दर्शाता है.

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पहले यह शिवलिंग हर वर्ष तिल के बराबर बढ़ता था. अब यह मंदिर हर साल चावल के दाने के बराबर बढ़ रहा है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार भगवान श्रीराम ने खुद इस मंदिर में आकर पूजा-अर्चना की थी.

इस मंदिर के भक्त भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मौजूद हैं. महाशिवरात्रि के समय देश-विदेश से भक्त इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं. मतंगेश्वर मंदिर के बारे में इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं. विभिन्न प्रकार की हिंदू मान्यताएं भी इस मंदिर को लेकर प्रचलित हैं.

Intro:वैसे तो खजुराहो में भगवान शिव के अनेकों मंदिर मौजूद है लेकिन मतंगेश्वर मंदिर खजुराहो का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां आज भी पूरी भव्यता के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है वैसे तो यह मंदिर पुराने इतिहास का एक भाग है लेकिन आज भी इस मंदिर का हमारे जीवन में गहरा प्रभाव है!

यह मंदिर अपनी अनोखी बनावट एवं मंदिर के अंदर उपस्थित शिवलिंग की वजह से पूरी दुनिया में जाना जाता है|


Body:खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर का निर्माण चंदेल राजाओं ने 9वी ई में बनाया था इस मंदिर के अंदर मौजूद शिवलिंग की लंबाई लगभग 18 फीट है जितनी शिवलिंग ऊपर दिखाई देती है उतनी शिवलिंग नीचे मौजूद है इस मंदिर के पीछे एक किवदंती मौजूद है जिसके अनुसार इस शिवलिंग के नीचे मरकत मणि है जिसके वजह से यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं इसे छूने मात्र से ही पूरी हो जाती हैं!

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि कई बार इस मंदिर में आने वाले भक्तों को शिवलिंग छूने पर हाथों पर चींटी चलने जैसा एहसास होता है यह एहसास मरकत मणि की उपस्थिति को दर्शाता है लेकिन ऐसी घटना किसी-किसी भक्तों के साथ ही होती है!

मंदिर के पुजारी जानकारी देते हुए बताते हैं कि पहले यह मंदिर हर वर्ष लगातार एक दिल के बराबर भरता था लेकिन पुजारियों द्वारा इसे पूजा-अर्चना करने के बाद मंत्र द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है लेकिन आज भी हर वर्ष यह एक चावल के दाने के बराबर लगातार बढ़ रहा है!

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हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार एक बार भगवान श्री राम ने खुद इस मंदिर में आकर पूजा अर्चना की थी इस मंदिर के भक्त भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मौजूद है और महाशिवरात्रि के समय देश विदेश से भक्त इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं!


बाइट_श्याम लाल _गाइड




Conclusion:मतंगेश्वर मंदिर के बारे में अलग अलग इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं विभिन्न प्रकार की हिंदू मान्यताएं भी इस मंदिर को लेकर प्रचलित हैं लेकिन आज भी यह मंदिर लोगों के लिए ना सिर्फ आस्था का केंद्र है बल्कि दूर-दूर से लोग इस मंदिर में अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मत्था टेकते है|
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