छतरपुर। जिले सहित प्रदेश भर में सैकड़ों की तादाद में बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. वहीं भुखमरी और कुपोषण के मामले में मध्यप्रदेश हमेशा आगे रहा है. खुद सरकारी आंकड़े कहते हैं कि मध्यप्रदेश में कुपोषण से हर दिन 92 बच्चों की मौत हो जाती है, लेकिन अब कुपोषण के खिलाफ जिले की सरिता अग्रवाल मिसाल बनकर उभरी है.
सरिता अग्रवाल एक ऐसी महिला हैं, जो ढूंढ-ढूंढकर कुपोषित बच्चों को पोषित करती हैं. उन्हें जैसे ही शहर में, किसी के घर या आंगनबाड़ी केंद्रों में किसी भी कुपोषित बच्चे के होने की सूचना मिलती है, तो वे बिना समय गंवाए वहां पहुंच जाती हैं और माता-पिता को समझाकर बच्चों को जिला अस्पताल में भर्ती करा देती हैं. सरिता अग्रवाल ने 5 बच्चों को खुद गोद लेकर उन्हें कुपोषण मुक्त किया है. उन्हें इस बात की खुशी है कि उनके गोद लिए हुए सभी 5 बच्चे अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं.
सरिता बताती हैं कि वे पिछले कई वर्षों से लगातार समाजसेवा से जुड़ी हुई हैं. इसी दौरान कुपोषित बच्चों को देखकर उन्हें लगा कि उन्हें उनके लिए कुछ करना चाहिए. यही वजह थी कि उन्होंने जिले के तमाम कुपोषित बच्चों को स्वस्थ करने के लिए कमर कस ली है. हालांकि यह इतना आसान भी नहीं था, क्योंकि जिले में लगभग 2500 के आसपास कुपोषित बच्चे हैं और सभी को एक साथ स्वस्थ करना आसान नहीं है.
सरिता यह मुहिम अपने दम पर चलाती है. सरकार या स्थानीय प्रशासन की तरफ से उन्हें किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिली है, फिर भी उन्होंने अकेले ही कुपोषण के खिलाफ मुहिम चलाने का बीड़ा उठाया है. सरिता ने बताया की एक बच्चे को पूर्ण रूप से स्वस्थ करने में हर महीने लगभग 10 हजार का खर्च आता है. सरिता अग्रवाल ने बताया कि वे जिले के सभी बच्चों को कुपोषण मुक्त देखना चाहती हैं, इसलिए वह जल्द ही शहर के 170 कुपोषित बच्चों को गोद लेने वाली हैं.