छतरपुर। चंदेलकालीन कालीन मूर्ति और स्थापत्य कला का बेजोड नमूना खजुराहो के विश्व प्रसिद्ध मंदिर छतरपुर जिले के अंतर्गत आते हैं, छतरपुर का नाम यहां के बुंदेली राजपूत शासक महाराज छत्रसाल के नाम पर रखा गया है. जिन्होंने बुंदेलखंड के लिए मुगलों से लोहा लिया था, महाराज छत्रसाल के वंशजों ने बुंदेलखंड में1785 तक शासन किया गया. इसके बाद यहां परमार वंश का अधिकार हो गया. छतरपुर नगर की स्थापना छत्रसाल ने 107 में की थी, महाराज छत्रसाल ने मुगलों को कई बार हराया. अंग्रेजों के शासनकाल में ये इलाका मध्यभारत की राजधानी के रूप में जाना जाता था.
छतरपुर विधानसभा का परिचय: मध्यप्रदेश के उत्तर पूर्वी हिस्से में स्थित छतरपुर सागर संभाग का एक जिला मुख्यालय है, जिले के उत्तर पश्चिम से उत्तर पूर्व तक उत्तर प्रदेश, पूर्व में पन्ना जिला, दक्षिण में दमोह जिला, दक्षिण पश्चिम में उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम में टीकमगढ़ जिला स्थित है. सागर-कानपुर नेशनल हाईवे और झांसी-खजुराहो फोरलेन पर स्थित छतरपुर पहले तीन तरफ से दीवारों से घिरा था, छतरपुर में ऐतिहासिक महल और किलों के अलावा कई तालाब है. ये इलाका चंदेलकालीन मूर्ति स्थापत्य कला और तालाबों के लिए प्रसिद्ध है. खजुराहो मंदिर के अलावा यहां कई प्राचीन और ऐतिहासिक राजमहल और किले मौजूद हैं, खजुराहो विश्व पर्यटन केंद्र के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है.
छतरपुर विधानसभा का चुनावी इतिहास: पिछले तीन विधानसभा चुनाव की बात करें तो 2008 और 2003 में यहां से भाजपा ने चुनाव जीता है और दोनों बार ललिता यादव विजयी रही हैं. 2018 में पार्टी ने ललिता यादव को बडा मलहरा भेजा था और वो बडा मलहरा में चुनाव हार गयी थी और पार्टी को छतरपुर सीट भी गंवानी पडी थी. इस बार पार्टी ने फिर ललिता यादव पर भरोसा जताया है. भाजपा के लिए यहां सबसे बडी चुनौती भीतरघात की संभावना है, जिसका सामना भाजपा को इस बार फिर करना पड़ेगा.
छतरपुर विधानसभा चुनाव 2008 का रिजल्ट: विधानसभा चुनाव 2008 में छतरपुर विधानसभा से भाजपा की ललिता यादव ने चुनाव जीता, त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे नंबर पर पहुंच गए. ललिता यादव ने जहां 30 हजार 446 वोट हासिल की, तो बसपा के डीलमनी बाबूराजा को 22 हजार 591 वोट मिली. कांग्रेस प्रत्याशी संतोष कुमार अग्रवाल तीसरे नंबर पर रहे, जिनको 15 हजार 191 वोट हासिल हुई. इस तरह ललिता यादव बसपा प्रत्यीशी से 7 हजार 855 वोटों से चुनाव जीत गयी.
छतरपुर विधानसभा चुनाव 2013 का रिजल्ट: विधानसभा चुनाव 2008 में भाजपा की ललिता यादव और कांग्रेस के आलोक चतुर्वेदी के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला. भाजपा की ललिता यादव को जहां 44 हजार 623 वोट हासिल हुई, तो कांग्रेस के आलोक चतुर्वेदी के लिए 42 हजार 406 वोट हासिल हुई. इस तरह कडे मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी आलोक चतुर्वेदी महज 2217 वोटों से हार गए.
छतरपुर विधानसभा चुनाव 2018 का रिजल्ट: विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस के आलोक चतुर्वेदी ने बीजेपी की अर्चना गुड्डू सिंह से 3 हजार 495 मतों के अंतर से हराया. कांटे की टक्कर के इस मुकाबले में आलोक चतुर्वेदी को 65 हजार 774 वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी अर्चना गुड्डू सिंह को 62 हजार 279 वोट मिले. इस तरह लगातार दो चुनावों से हार का सामना कर रही कांग्रेस ने करीब साढे तीन हजार मतों से चुनाव जीत लिया.
Also Read: |
छतरपुर विधानसभा के जातीय समीकरण: छतरपुर विधानसभा की बात करें तो यहां अनुसूचित जाति मतदाताओं के अलावा ब्राह्मण समाज के समाज के मतदाता सबसे ज्यादा है, यहां पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या करीब 45 हजार है. वहीं ब्राह्मण मतदाता करीब 38 हजार है, इन दोनों समाज के मतदाताओं का रूझान चुनावी के फैसले में अहम भूमिका निभाता है. इसके अलावा यादव 20 हजार, मुस्लिम 15 हजार और अन्य जातियों के मतदाता है, कुशवाहा और कुर्मी मतदाता भी छतरपुर में अच्छी संख्या में है.
छतरपुर विधानसभा के प्रमुख चुनावी मुद्दे: छतरपुर विधानसभा जो एक जिला मुख्यालय है, यहां प्रमुख रूप से स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार बडा मुद्दा है. छतरपुर में मेडिकल काॅलेज की मांग लंबे समय से आ रही है, यहां के लोगों को सागर और झांसी इलाज के लिए जाना पडता है. इसके अलावा बेरोजगारी सबसे बडी समस्या है, यहां उच्च शिक्षित युवा भी बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं. इलाके में कोई बडा उद्योग या कारखाना ना होने के कारण मजदूर वर्ग भी पलायन के लिए मजबूर है, एक तरफ उच्च शिक्षित लोग नौकरी की तलाश में बडे शहरों की तरफ जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ मजदूर वर्ग मजदूरी की तलाश में पलायन के लिए मजबूर है.
छतरपुर विधानसभा के टिकिट के दावेदर: छतरपुर विधानसभा से भाजपा ने एक बार फिर ललिता यादव पर भरोसा जताया है. ललिता यादव ने 2008 और 2013 में लगातार जीत हासिल की थी, लेकिन 2018 में उन्हें छतरपुर की जगह बडा मलहरा से चुनाव लडाया गया था जहां उन्हें हार का सामना करना पडा था. अब पार्टी ने एक बार फिर ललिता यादव पर भरोसा जताया है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के मौजूदा विधायक आलोक चतुर्वेदी टिकट के प्रबल दावेदार हैं और दूसरी तरफ पार्टी के जिलाध्यक्ष लखन पटेल भी दावेदारी कर रहे हैं. हालांकि आलोक चतुर्वेदी का टिकट तय माना जा रहा है.