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गांव के लिए मां-बेटी बनीं मिसाल, पिछले 5 साल से ढाबा चलाकर कर रहीं परिवार का भरण पोषण

छतरपुर के गोहाना गांव में रहने वाली मां-बेटी पिछले 5 साल से ढाबा चलाकर अपना जीवन यापन कर रही हैं, जो अन्य महिलाओं के लिए मिसाल बन चुकी हैं.

Mother and daughter runing dhaba
मां-बेटी बनी मिसाल
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Published : Nov 26, 2019, 2:33 PM IST

छतरपुर। जिले के सरवई तहसील के गोहाना गांव में रहने वाले चौहान परिवार की 2 महिलाएं पिछले 5 सालों से एक ढाबा चला रही हैं. ये पिछले 5 सालों से ना सिर्फ अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल बनकर भी उभरी हैं.

गांव के लिए मां-बेटी बनीं मिसाल


ढाबा चलाने वाली मोहिनी बाई बताती हैं कि पिछले 5 सालों से ढ़ाबा को संचालित कर रही हैं. उनके घर में तीन लोग हैं वह उनकी बेटी और उनका एक छोटा बेटा. पति की हत्या के बाद बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई. कई सालों तक उन्होंने मेहनत-मजदूरी की, लेकिन पिछले 5 सालों से वह अपनी बेटी की मदद से यह ढ़ाबा संचालित कर जीवन यापन कर रही हैं.


अपनी मां के साथ ढ़ाबे को संचालित करने वाली जानकी सिंह बताती हैं कि पिछले 5 सालों से अपनी मां का सहयोग कर रही हैं और लगातार इसको संचालित करती आ रही हैं. जानकी की ग्रेजुएशन हो चुकी है और वह शिक्षक बनना चाहती हैं.

छतरपुर। जिले के सरवई तहसील के गोहाना गांव में रहने वाले चौहान परिवार की 2 महिलाएं पिछले 5 सालों से एक ढाबा चला रही हैं. ये पिछले 5 सालों से ना सिर्फ अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल बनकर भी उभरी हैं.

गांव के लिए मां-बेटी बनीं मिसाल


ढाबा चलाने वाली मोहिनी बाई बताती हैं कि पिछले 5 सालों से ढ़ाबा को संचालित कर रही हैं. उनके घर में तीन लोग हैं वह उनकी बेटी और उनका एक छोटा बेटा. पति की हत्या के बाद बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई. कई सालों तक उन्होंने मेहनत-मजदूरी की, लेकिन पिछले 5 सालों से वह अपनी बेटी की मदद से यह ढ़ाबा संचालित कर जीवन यापन कर रही हैं.


अपनी मां के साथ ढ़ाबे को संचालित करने वाली जानकी सिंह बताती हैं कि पिछले 5 सालों से अपनी मां का सहयोग कर रही हैं और लगातार इसको संचालित करती आ रही हैं. जानकी की ग्रेजुएशन हो चुकी है और वह शिक्षक बनना चाहती हैं.

Intro:कहते हैं अगर महिलाएं कुछ कर गुजरने की सोचने तो फिर मुसीबतें भी उनके सामने छोटी नजर आती हैं ऐसी ही एक कहानी छतरपुर जिले के सरवई में रहने वाले चौहान परिवार की दो महिलाओं की है!

जो पिछले 5 सालों से ना सिर्फ अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं बल्कि अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल बनकर भी उभरी हैं यह दोनों मां बेटी मिलकर एक ढावा चलाती हैं!


Body: छतरपुर जिले के सरवई तहसील के गोहाना गांव में रहने वाले चौहान परिवार की 2 महिलाएं पिछले 5 सालों से एक ढाबा चला रही है यह दावा बुंदेलखंड का शायद एकमात्र ऐसा ढाबा होगा जिस धाबी को महिलाएं संचालित करती हैं!

ढाबा चलाने वाली मोहिनी बाई बताती हैं कि पिछले 5 सालों से धागे को संचालित कर रही हैं उनके घर में उनकी एक बेटी वह स्वयं एवं उनका एक छोटा बेटा है बचपन में ही उनके पति की हत्या हो गई थी जिसके बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई कई सालों तक उन्होंने मेहर मजदूरी की लेकिन पिछले 5 सालों से उन्होंने एक थावे को संचालित करना शुरू कर दिया जो देखते ही देखते पूरे क्षेत्र में अशुद्ध हो गया और दूर-दूर से लोग ढाबे में खाना खाने के लिए आते हैं!

ढाबे की खासियत यह है कि लोगों को यहां पर परिवार जैसा खाना परोसा जाता है मोहिनी बाई बताती हैं कि लिप 5 सालों से ढाबा ही उनके परिवार के भरण-पोषण कर रहा है दिन भर में 500 से 1000 रुपया जाते हैं जिससे सम्मानजनक तरीके से परिवार का भरण पोषण हो जाता है बचपन में ही पति की हत्या हो जाने के बाद बेटी एवं बेटी की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई और उसे निर्वाह करने के लिए उन्होंने लगातार मेहनत मजदूरी की लेकिन अब वह इस बात से खुश है कि किसी के सामने हाथ फैलाने से बेहतर उन्होंने मेहनत करते हुए एक खुद काम मुकाम हासिल किया है और आसपास के लोग भी उन्हें मिसाल के रूप में देखते हैं!

बाइट_मोहनी बाई

अपनी मां के साथ ढाबे को संचालित करने वाली जानकी सिंह बताती है कि पिछले 5 सालों से अपनी मां का सहयोग कर रही है और लगातार इस दावे को संचालित करती आ रही है जानकी की गणेशन हो चुकी है और वह शिक्षक बनना चाहती है शिक्षक बनने के लिए जो पढ़ाई की जाती है बरसने की है और उसे उम्मीद है कि वह जल्द ही एक अच्छी नौकरी पा लेगी जानकी को इस बात की खुशी है कि उसकी मां और वह खुद किसी दूसरे के आगे हाथ नहीं फैलाती है बल्कि अपने दावे से पैसे कमा कर अपने परिवार का भरण पोषण कर सम्मानजनक स्थिति में जिंदगी जी रहे हैं!

जानकी को स्थानीय प्रशासन से कुछ छोटी-मोटी शिकायतें भी हैं बावजूद इसके दोनों मां बेटी अपने हालात से समझौता कर परिवार का भरण पोषण करते हुए सम्मानजनक स्थिति में अपना जीवन यापन कर रहे हैं दोनों किस बात की खुशी है कि अब गांव के अन्य महिलाओं के लिए भी यह मां बेटी की जोड़ी एक मिसाल बनी हुई है!

बाइट_जानकी सिंह

ढाबे पर आने वाली ग्राहक भी एक बार इस दावे का खाने का खाना खाने के बाद बार-बार यहां आते हैं ग्राहकों का कहना है कि यह घर जैसा खाना बनता है और उन्हें इस बात की खुशी भी है कि मां-बेटी मिलकर इस धागे को चला रहे हैं!

बाइट_दिनेश यादव ग्राहक



Conclusion: छतरपुर से बांदा की ओर जाते हुए यह दावा सड़क पर ही लोगों को नजर आ जाता है मां बेटी की यह जोड़ी आसपास की अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल बनी हुई है पति की मौत के बाद मोहिनी भाई ने जिस तरह अपने परिवार को संभाला और 5 सालों से अपनी बेटी के साथ खुद का एक दर्शाए खड़ा कर लोगों के लिए एक मिसाल कायम की है!
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