छतरपुर। दुनियाभर के पर्यटक स्थलों में एक खास पहचान रखने वाला खजुराहो में पत्थरों से बने मंदिर हजारों वर्ष पुराना इतिहास बयां करते हैं. यहां मंदिरों के बाहर उकेरी गई कामुक कलाकृतियों को देखने देश-विदेश से सैलानी खजुराहो आते हैं, लेकिन खजुराहो का एक दूसरा पहलू भी है जिसे बहुत ही कम लोग जानते हैं. खजुराहो को हजारों साल पहले शिव नगरी के नाम से भी जाना जाता था क्योंकि यहां पर भगवान शिव के सबसे प्राचीन मंदिर थे. वैसे तो शहर में भोलेनाथ के कई मंदिर मौजूद हैं लेकिन हजारों साल पुराने मंदिरों की बात की जाए तो चार से पांच ऐसे मंदिर हैं जिनका इतिहास हजारों साल पुराना है. इसके बावजूद एक अनोखी बात है की शिव नगरी खजुराहो में सिर्फ एक शिव मंदिर में पूजा की जाती है. यही सवाल यहां आने वाले हर आस्थावान व्यक्ति के मन में रहता है कि आखिर क्यों खजुराहो में सिर्फ एक मंदिर में ही भगवान शिव को पूजा जाता है.
क्यों सिर्फ एक ही मंदिर में होती है पूजा
इतिहासकार एवं जानकार बताते हैं कि खजुराहो मंदिरों का इतिहास हजारों साल पुराना है लेकिन सैकड़ों वर्ष पहले कुतुबुद्दीन ऐबक नामक मुस्लिम शासक ने खजुराहो के शिव मंदिरों पर आक्रमण किया था, जिस दौरान काफी संख्या में खजुराहो के देवी-देवता के मंदिर खंडित हो गए थे. उसके बाद खान बन्गस ने भी खजुराहो के मंदिरों को काफी हानि पहुंचाई. हालांकि, औरंगजेब के सिपाहियों ने भी खजुराहो में काफी हद तक आतंक मचाया लेकिन मंदिरों को नुकसान नहीं पहुंचाया.
सुरक्षित हैं मंदिर
वहीं हिंदू धर्म में मान्यता है कि खंडित मूर्तियों की पूजा नहीं की जाती है. यही वजह है कि खजुराहो में सिर्फ एक ही शिव मंदिर में पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि मतंगेश्वर मंदिर पर कई आक्रमणकारियों ने हमले किए और इस मंदिर को खंडित करने की कोशिश की लेकिन आज तक कोई भी आक्रमणकारी इस मंदिर तक पहुंच भी नहीं पाया. जिस वजह से आज भी ये मंदिर सुरक्षित है.
मतंगेश्वर मंदिर में होती है पूजा
मतंगेश्वर मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव की पूजा सुबह-शाम होती है. इस मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है. देश-विदेश के लोग इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने आते हैं. इस मंदिर के अंदर मौजूद भगवान शिव की बड़ी-सी शिवलिंग के बारे में कई कहानियां और किवदंतिया कही जाती हैं.