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माचिस की डिब्बी से भी छोटी है ये भगवत गीता, दशकों से संजोये हुए हैं केदारनाथ - छतरपुर

छतरपुर जिले के बिजावर में रहने वाले केदारनाथ विश्ववारी के पास सबसे पविज्ञ ग्रंथों में से एक सबसे छोटी भगवत गीता है. जो दुनिया की सबसे छोटी गीता की पुस्तकों में से एक है. एक इंच चौड़ी और दो इंच लबी यह भगवत गीता बिजावर के केदारनाथ विश्ववारी की है. जिन्होंने इसे 60 साल से सहेजकर रखा हुआ है.

भगवत गीता
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Published : Jul 20, 2019, 8:02 PM IST

छतरपुर। भगवान कृष्ण की प्रतिमा के साथ तस्वीरों दिख रही ये छोटी सी किताब हिंदू धर्म की आस्था का प्रतीक है, जिसकी लोग कसमें खाते हैं क्योंकि ये किताब नहीं बल्कि, हिंदू धर्म का सबसे पविज्ञ ग्रंथ भगवत गीता है. इस ग्रंथ का ये सबसे छोटा स्वरूप है. एक इंच चौड़ी और दो इंच लबी भगवत गीता बिजावर के केदारनाथ विश्ववारी के पास है. जिसे वो पिछले 60 सालों से सहेजकर रखे हुए हैं. इस पवित्र ग्रंथ का इससे छोटा स्वरूप पूरी दुनिया में कहीं भी नहीं है.

माचिस की डिब्बी से भी छोटी है ये भगवत गीता, दशकों से संजोये हुए हैं केदारनाथ

भगवत गीता के इस छोटे स्वरूप की खासियत है कि इसमें लिखे शब्दों को बड़ी ही आसानी से पढ़ा जा सकता है. विश्ववारी ने बताया कि 60 साल पहले उनके पिता ने उन्हें इस ग्रंथ को बतौर विरासत उन्हें सौंपा था, पर ये कितना पुराना है, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी उनके पास भी नहीं है.

केदारनाथ विश्ववारी
केदारनाथ विश्ववारी

दो बाई एक इंच की इस पुस्तक में 100 पेज हैं, जिनमें संपूर्ण गीता दर्ज है. जिसके चलते इसे दुनिया की सबसे छोटी गीता भी कहा जा सकता है. हालांकि अभी ये पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन विश्ववारी के लिए इसे सुरक्षित रखना भी अपने आप में बड़ी चुनौती है क्योंकि इसका आकार माचिस की डिब्बी से भी छोटा है. ऐतिहासिक पुस्तक होने के चलते इसका ख्याल भी विशेष तौर पर रखना पड़ता है.

छतरपुर। भगवान कृष्ण की प्रतिमा के साथ तस्वीरों दिख रही ये छोटी सी किताब हिंदू धर्म की आस्था का प्रतीक है, जिसकी लोग कसमें खाते हैं क्योंकि ये किताब नहीं बल्कि, हिंदू धर्म का सबसे पविज्ञ ग्रंथ भगवत गीता है. इस ग्रंथ का ये सबसे छोटा स्वरूप है. एक इंच चौड़ी और दो इंच लबी भगवत गीता बिजावर के केदारनाथ विश्ववारी के पास है. जिसे वो पिछले 60 सालों से सहेजकर रखे हुए हैं. इस पवित्र ग्रंथ का इससे छोटा स्वरूप पूरी दुनिया में कहीं भी नहीं है.

माचिस की डिब्बी से भी छोटी है ये भगवत गीता, दशकों से संजोये हुए हैं केदारनाथ

भगवत गीता के इस छोटे स्वरूप की खासियत है कि इसमें लिखे शब्दों को बड़ी ही आसानी से पढ़ा जा सकता है. विश्ववारी ने बताया कि 60 साल पहले उनके पिता ने उन्हें इस ग्रंथ को बतौर विरासत उन्हें सौंपा था, पर ये कितना पुराना है, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी उनके पास भी नहीं है.

केदारनाथ विश्ववारी
केदारनाथ विश्ववारी

दो बाई एक इंच की इस पुस्तक में 100 पेज हैं, जिनमें संपूर्ण गीता दर्ज है. जिसके चलते इसे दुनिया की सबसे छोटी गीता भी कहा जा सकता है. हालांकि अभी ये पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन विश्ववारी के लिए इसे सुरक्षित रखना भी अपने आप में बड़ी चुनौती है क्योंकि इसका आकार माचिस की डिब्बी से भी छोटा है. ऐतिहासिक पुस्तक होने के चलते इसका ख्याल भी विशेष तौर पर रखना पड़ता है.

Intro:स्पेशल
बिजावर-म.प्र-
डेढ़ इंच चौड़ी दो इंच लंबी भागवत गीता-देश की सबसे छोटी गीता साबित हो सकती है ----

छतरपुर जिले की बिजावर तहसील में साधारण सी एक छोटी किराने की दुकान चलाने वाले केदारनाथ बिशवारी के पास एक डेढ़ इंच चौड़ी और दो इंच लंबी भागवत गीता है यह गीता खास इसीलिए है क्योंकि बेहद छोटी होने के बावजूद भी इसमें लिखे शब्दों को साफ़ तौर पर बिना चश्मे के इसे पढ़ सकते हैं यह भागवत गीता बेहद दुर्लभ पुस्तको में से एक है इसीलिए इस भागवत गीता को देश की सबसे छोटी भागवत गीता माना जा सकता है!




Body:
हिन्दू धर्म मान्यता के अनुसार भागवत गीता का सर्बश्रेष्ठ स्थान है आधुनिक युग मे भी एक बार पड़ने मात्र से और गीता में लिखे उपदेशो से इंसानो का जीवन ही बदल जाता है

ग्रंथो के अनुसार कौरवों और पांडवों के बीच हुए महाभारत युद्ध के समय भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को धर्म-अधर्म के जो उपदेश दिए गए उसका इस भगवत गीता में पूर्णवर्णन किया गया है,जिसे इस गीता में स्पष्ठ रूप से पढ़ना आसान है



Conclusion:

बिजावर निवासी केदारनाथ विशवारी से जब यह जाना गया कि यह भगवद्गीता उनके पास कहां से आई और कब से उनके पास है तो केदारनाथ बिशवारी में बताया कि उनके पिता को पुस्तके संग्रह करने का बड़ा शौक था उन्ही पुस्तको में से एक है यह भागवद गीता साठ साल पहले उनके पिता से प्राप्त हुई थी उन्हें उनके पिता के द्वारा विरासत में मिली है और तब से ही यह भगवत गीता उनके पास सुरक्षित है यह भगवद गीता उनके पास लगभग 80 वर्ष पहले से सुरक्षित है साथ ही उन्होंने बताया कि उनके पिताजी के पास यह भागवत गीता कहां से और कैसे पहुंची इसकी कोई जानकारी नहीं है
इतनी छोटी भागवत गीता का सुरक्षित रखना भी खास बात है साथ ही परिवार के सदस्यों का भी पूर्ण सहयोग मिलता है

बाईट-1-केदारनाथ बिशवारी
बाईट-2- गोल्डी बिशवारी (पुत्री केदारनाथ बिशबारी )

स्पेशल-
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