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'फर्नीचर का जनक' कही जाती है ये दुकान, आजादी के एक साल बाद हुई थी शुरू

छतरपुर में एक ऐसी फर्नीचर की दुकान है, जो आजादी के एक साल बाद शुरू हुई और अब पूरे भारत में अपना नाम कमा चुकी है. आइए हम आपको बताते हैं 'फर्नीचर का जनक' के नाम से मशहूर इस दुकान के बारे में.

'फर्नीचर का जनक' कही जाती है छतरपुर की ये दुकान
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Published : Aug 22, 2019, 2:30 PM IST

Updated : Aug 22, 2019, 2:43 PM IST

छतरपुर। हिंद फर्नीशर्स जिले की एक ऐसी फर्नीचर दुकान है, जिसकी अपनी एक अलग पहचान है. इस दुकान की नींव आजादी के एक साल बाद 1948 में डाली गई थी. दुकान के मालिक जमुना प्रसाद श्रीवास्तव के बेटे उपेंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि पहले उनके पिता अंग्रेजों के शासनकाल में कृषि विभाग में नौकरी करते थे, लेकिन बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी. उसके बाद 15 अगस्त 1947 में भारत आजाद हुआ और उसके एक साल बाद 1948 में जमुना प्रसाद श्रीवास्तव ने फर्नीचर की इस दुकान को शुरू किया. फर्नीचर का जनक नाम से जिले में ये दुकान मशहूर है.

'फर्नीचर का जनक' कही जाती है छतरपुर की ये दुकान

जमुना प्रसाद श्रीवास्तव के बेटे उपेन्द्र श्रीवास्तव बताते हैं कि उनके पिताजी चाहते थे कि कुछ अच्छा काम करें जिससे उनका नाम हो और लोग उन्हें आगे याद रखें. शुरुआत में इस व्यवसाय में ज्यादा कमाई नहीं होती थी, लेकिन कड़ी मेहनत ने इस व्यवसाय को ऊंचाईयों तक पहुंचाया.

छतरपुर की सबसे पुराने फर्नीचर की दुकान को अन्य दुकानदार अपना गुरू मानते हुए अपना व्यवसाय करते हैं. हिंद फर्नीशर्स का फर्नीचर पूरे भारत में बेहतरीन क्वॉलिटी और मजबूती के लिए जाना जाता है. यही वजह है कि मध्यप्रदेश के अलावा देश के अन्य राज्यों से भी लोग इसका फर्नीचर लेते हैं.

छतरपुर। हिंद फर्नीशर्स जिले की एक ऐसी फर्नीचर दुकान है, जिसकी अपनी एक अलग पहचान है. इस दुकान की नींव आजादी के एक साल बाद 1948 में डाली गई थी. दुकान के मालिक जमुना प्रसाद श्रीवास्तव के बेटे उपेंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि पहले उनके पिता अंग्रेजों के शासनकाल में कृषि विभाग में नौकरी करते थे, लेकिन बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी. उसके बाद 15 अगस्त 1947 में भारत आजाद हुआ और उसके एक साल बाद 1948 में जमुना प्रसाद श्रीवास्तव ने फर्नीचर की इस दुकान को शुरू किया. फर्नीचर का जनक नाम से जिले में ये दुकान मशहूर है.

'फर्नीचर का जनक' कही जाती है छतरपुर की ये दुकान

जमुना प्रसाद श्रीवास्तव के बेटे उपेन्द्र श्रीवास्तव बताते हैं कि उनके पिताजी चाहते थे कि कुछ अच्छा काम करें जिससे उनका नाम हो और लोग उन्हें आगे याद रखें. शुरुआत में इस व्यवसाय में ज्यादा कमाई नहीं होती थी, लेकिन कड़ी मेहनत ने इस व्यवसाय को ऊंचाईयों तक पहुंचाया.

छतरपुर की सबसे पुराने फर्नीचर की दुकान को अन्य दुकानदार अपना गुरू मानते हुए अपना व्यवसाय करते हैं. हिंद फर्नीशर्स का फर्नीचर पूरे भारत में बेहतरीन क्वॉलिटी और मजबूती के लिए जाना जाता है. यही वजह है कि मध्यप्रदेश के अलावा देश के अन्य राज्यों से भी लोग इसका फर्नीचर लेते हैं.

Intro:छतरपुर जिले में एक ऐसी फर्नीचर की दुकान है जो आजादी के ठीक एक साल बाद सुरु हुई और आज इस दुकान ने पूरे भारत मे अपना नाम कमा लिया है लोग इसे छतरपुर जिले में फर्नीचर का जनक भी कहते है!

इस फर्नीचर की दुकान की अपनी एक अलग कहानी है कहते हैं कि दुकान के मालिक ने अंग्रेजों की नौकरी छोड़कर इस फर्नीचर की दुकान की शुरुआत की थी आजादी के ठीक 1 साल बाद 1948 में इस दुकान की नींव डाली गई थी!


Body:आपको बता दें कि छतरपुर जिले में रहने वाले जमुना प्रसाद श्रीवास्तव ने आजादी के ठीक 1 साल बाद एक फर्नीचर की दुकान खोली जिसे उन्होंने हिंदू फर्नीचर का नाम दिया जमुना प्रसाद अंग्रेजों के शासनकाल में कृषि विभाग में नौकरी करते थे लेकिन अचानक उन्होंने नौकरी छोड़ते हुए इस व्यवसाय को को शुरू किया!

उनके बेटे बताते हैं कि उनके पिताजी ने अंग्रेजों की नौकरी किस वजह से छोड़ी उन्हें न तो ठीक से याद नहीं लेकिन इतना जरुर पता है कि पिताजी ने बीच में ही नौकरी को छोड़ कर यह व्यवसाय शुरू कर दिया था और उस दुकान का नाम भी उन्होंने हिंद फर्नीचर रखा था!

पिताजी चाहते थे कि कुछ अच्छा काम करें जिससे कि उनका नाम हो और लोग उन्हें आगे याद रखें यही वजह थी कि उन्होंने अंग्रेजों की नौकरी से त्यागपत्र देते हुए खुद का व्यवसाय शुरू किया शुरू शुरू में इस व्यवसाय में इतनी कमाई नहीं होती थी लेकिन पिताजी ने लगातार मेहनत करते हुए इस व्यवसाय को ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया आज पूरे मध्यप्रदेश के अलावा भारत के कई राज्यों से भी लोग हमारे यहां फर्नीचर देने आते हैं पिताजी का नाम और उनकी मेहनत आज भी हमारे लिए आशीर्वाद की तरह काम आती है लोग विश्वास के साथ हमारे यहां आते हैं और हम उनके भरोसे पर खरा उतरते हैं!

बाइट_उपेन्द्र श्रीवास्तव

छतरपुर जिले की सबसे पुराने फर्नीचर की दुकान है और लोग इसे फर्नीचर के काम का जनक मानते हैं यही वजह है कि आज भी छतरपुर जिले के अन्य दुकानदार हिंद फर्नीचर की इज्जत करते हैं बल्कि उन्हें ही अपना गुरु मानते हुए अपनी दुकानदारी करते हैं!






Conclusion:आजादी के ठीक 1 साल बाद शुरू हुई दुकान आज पूरे भारत में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है हिंदू फर्नीचर का फर्नीचर पूरे भारत में बेहतरीन क्वालिटी एवं मजबूती के लिए जाना जाता है देश के कई राज्यों से लोग यहां पर फर्नीचर लेने के लिए खींचे चले आते हैं!
Last Updated : Aug 22, 2019, 2:43 PM IST
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