छतरपुर। लॉकडाउन के बाद जिले में अन्य प्रदेशों में काम कर रहे मजदूर अपने अपने घरों के लिए वापस लौटने लगे थे. जिसके बाद पूरी तरह से शहर को बंद कर दिया गया. ऐसे में मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था कई समाजसेवी संगठन कर रहे हैं, लेकिन जिले में रहने वाली दिव्यांशी चौहान के मन में गरीब और असहाय लोगों के अलावा जानवरों को भी खाना खिलाने विचार आया. दिव्यांशी के पास ना तो पैसे थे और ना ही वह किसी समाजसेवी संस्था से जुड़ी थीं लेकिन उसने इस बात की प्रतिज्ञा कर ली थी कि वह हर हाल में यह काम करेंगी.
सबसे पहले दिव्यांशी ने अपने परिचित सहेलियों को अपने साथ किया और एक टोली बनाई. उसके बाद दिव्यांशी अपने परिचित व्यक्ति, रिश्तेदार, सहेलियों के घर पर एक दिन पहले ही इस बात की सूचना पहुंचा देती थीं कि आज यहां से इतनी रोटियां चाहिए तो कहीं से सब्जी तो कहीं से चाय इस तरह से लोगों के लिए खाने की व्यवस्था होने लगी.
दिव्यांशी अब तक लगभग 5 हजार लोगों को खाना खिला चुकी हैं साथ ही जानवरों के लिए भी उसी खाने में से अलग से हिस्सा निकाल दिया जाता है. दिव्यांशी भले ही बड़े स्तर पर लोगों की मदद ना कर पा रहीं हों लेकिन जिस तरह दिव्यांशी इस बुरे वक्त में लोगों की मदद कर रही हैं वह काबिल-ए-तारीफ है.