छतरपुर। जिले के महोबा रोड पर बने क्वारेंटाइन सेंटर से छुट्टी मिलने के बाद बिहार के मजदूरों का जत्था लवकुशनगर होते हुए उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर पैदल ही 900 किमी का सफर तय करने निकल पड़ा. अमीरो के बच्चों को कोटा से लाने के लिए सरकार ने एसी बसों की सुविधा प्रदान की थी. एक ओर वो संपन्न लोग हैं, जिनके बच्चों को कोटा कोचिंग सेंटर से सरकार बसो में लेकर आती है. दूसरी ओर वो गरीब मजदूर हैं जो पांव में छाले और सिर पर गरीबी की गठरी लेकर अपने घर तक पहुंचने के लिए सैकड़ों मील पैदल यात्रा करते हैं. इनकी किसी को फिकर नहीं है.
पांवों में छाले-सिर पर गरीबी का बोझ लिए सैकड़ों मील पैदल चल रहे मजबूर, किसी को नहीं इनकी फिक्र
छतरपुर में क्वारेंटाइन सेंटर से निकले बिहारी मजदूर लवकुशनगर होते हुए अपने घर पैदल जाने को मजबूर हैं, जबकि सरकार की ओर से इनके लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया.
छतरपुर। जिले के महोबा रोड पर बने क्वारेंटाइन सेंटर से छुट्टी मिलने के बाद बिहार के मजदूरों का जत्था लवकुशनगर होते हुए उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर पैदल ही 900 किमी का सफर तय करने निकल पड़ा. अमीरो के बच्चों को कोटा से लाने के लिए सरकार ने एसी बसों की सुविधा प्रदान की थी. एक ओर वो संपन्न लोग हैं, जिनके बच्चों को कोटा कोचिंग सेंटर से सरकार बसो में लेकर आती है. दूसरी ओर वो गरीब मजदूर हैं जो पांव में छाले और सिर पर गरीबी की गठरी लेकर अपने घर तक पहुंचने के लिए सैकड़ों मील पैदल यात्रा करते हैं. इनकी किसी को फिकर नहीं है.