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पांवों में छाले-सिर पर गरीबी का बोझ लिए सैकड़ों मील पैदल चल रहे मजबूर, किसी को नहीं इनकी फिक्र - Chhatarpur News

छतरपुर में क्वारेंटाइन सेंटर से निकले बिहारी मजदूर लवकुशनगर होते हुए अपने घर पैदल जाने को मजबूर हैं, जबकि सरकार की ओर से इनके लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया.

Bihari laborers removed from quarantine center in Chhatarpur
मजदूर 900 किमी पैदल जाने को मजबूर
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Published : Apr 25, 2020, 9:21 AM IST

छतरपुर। जिले के महोबा रोड पर बने क्वारेंटाइन सेंटर से छुट्टी मिलने के बाद बिहार के मजदूरों का जत्था लवकुशनगर होते हुए उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर पैदल ही 900 किमी का सफर तय करने निकल पड़ा. अमीरो के बच्चों को कोटा से लाने के लिए सरकार ने एसी बसों की सुविधा प्रदान की थी. एक ओर वो संपन्न लोग हैं, जिनके बच्चों को कोटा कोचिंग सेंटर से सरकार बसो में लेकर आती है. दूसरी ओर वो गरीब मजदूर हैं जो पांव में छाले और सिर पर गरीबी की गठरी लेकर अपने घर तक पहुंचने के लिए सैकड़ों मील पैदल यात्रा करते हैं. इनकी किसी को फिकर नहीं है.

Bihari laborers removed from quarantine center in Chhatarpur
मजदूर 900 किमी पैदल जाने को मजबूर
छतरपुर जिले के ही रनगंवा बांध पर मछली पकड़ने का काम करने वाले ये मजदूर 6 अप्रैल को पैदल चलते हुए छतरपुर जिला मुख्यालय पंहुचे थे, जिन्हें महोबा रोड पर कन्या छात्रावास के क्वारेंटाइन सेंटर में भेज दिया गया. 22 अप्रैल की रात 8 बजे इन सभी से ये सेंटर खाली करवा दिया गया. मजदूर जियालाल ने बताया कि पहले उनसे कहा गया था कि उनके बिहार तक जाने की व्यवस्था की जायेगी, लेकिन आज ये कहकर निकाल दिया गया कि वो अपना इंतजाम कर लें.

छतरपुर। जिले के महोबा रोड पर बने क्वारेंटाइन सेंटर से छुट्टी मिलने के बाद बिहार के मजदूरों का जत्था लवकुशनगर होते हुए उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर पैदल ही 900 किमी का सफर तय करने निकल पड़ा. अमीरो के बच्चों को कोटा से लाने के लिए सरकार ने एसी बसों की सुविधा प्रदान की थी. एक ओर वो संपन्न लोग हैं, जिनके बच्चों को कोटा कोचिंग सेंटर से सरकार बसो में लेकर आती है. दूसरी ओर वो गरीब मजदूर हैं जो पांव में छाले और सिर पर गरीबी की गठरी लेकर अपने घर तक पहुंचने के लिए सैकड़ों मील पैदल यात्रा करते हैं. इनकी किसी को फिकर नहीं है.

Bihari laborers removed from quarantine center in Chhatarpur
मजदूर 900 किमी पैदल जाने को मजबूर
छतरपुर जिले के ही रनगंवा बांध पर मछली पकड़ने का काम करने वाले ये मजदूर 6 अप्रैल को पैदल चलते हुए छतरपुर जिला मुख्यालय पंहुचे थे, जिन्हें महोबा रोड पर कन्या छात्रावास के क्वारेंटाइन सेंटर में भेज दिया गया. 22 अप्रैल की रात 8 बजे इन सभी से ये सेंटर खाली करवा दिया गया. मजदूर जियालाल ने बताया कि पहले उनसे कहा गया था कि उनके बिहार तक जाने की व्यवस्था की जायेगी, लेकिन आज ये कहकर निकाल दिया गया कि वो अपना इंतजाम कर लें.
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