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टीवी की दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले आशय ने बताया अपनी कामयाबी का राज, इस तरह मिला पहला ब्रेक - भोपाल

टीवी की दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले आशय ने बताया अपनी कामयाबी का राज, इस तरह मिला पहला ब्रेक

आशय, टीवी कलाकार
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Published : Feb 20, 2019, 12:48 PM IST

भोपाल। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के रहने वाले 'आशय' अब टीवी की दुनिया में अपनी पहचान बनाने में जुटे हुए हैं. आशय इन दिनों चैनल स्टार भारत के 'प्यार का पापड़' सीरियल में नजर आ रहे हैं. अपने काम के सिलसिले में भोपाल आए आशय से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. आशय अपने ग्रेजुएशन के दिनों से ही थिएटर कर रहे हैं जिसने उनकी टीवी इंडस्ट्री में आने में बहुत मदद की है.

छत्तीगढ़ से मुंबई और प्यार के पापड़ के ओमकार तक सफर कैसा रहा ?
आशय ने ग्रेजुएशन करने के लिए मुंबई का रुख किया. जहां वे चार्टेड आउंटेड की तैयारी कर रहे थे. इसके साथ- साथ थिएटर भी कर रहे थे. उन्हें स्टेज का एक्सपोजर था. वे ग्रेजुएशन के दिनों से ही अपने कॉलेज में कई इवेंट में हिस्सा लिया करते थे. जिसके बाद वे मशहूर थिएटर कलाकार नादिरा बब्बर के थिएटर ग्रुप से जुड़े और ऑडिशन देने का सिलसिला शुरू हुआ. इस बीच वे कई विज्ञापनों और वेब सीरीज भी किए हैं.

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चार्टर्ड अकाउंटेंट और एक्टिंग में से ज्यादा इंट्रेस्ट किसमें ?
बतौर आशय अगर चार्टेड आउंटेड में इंटरेस्ट होता तो वे अभिनय में नहीं होते. पढ़ाई में ठीक-ठाक होने के चलते वे सीए की पढ़ाई कर रहे थे. लेकिन उन्होंने खुद से महसूस किया कि वे डेस्क जॉब नहीं कर सकते या करना नहीं चाहते हैं. इसलिए मन की सुनी और एक्टिंग के क्षेत्र में आ गए.

छोटे शहर से आकर खुद को अभिनय के क्षेत्र में फिट कैसे किया ?
आशय ने बताया कि एक छोटे शहर से मुंबई में जाकर काम पाना बहुत मुश्किल होता है और ऐसा काम जिसका कोई भविष्य निश्चित न हो, बस आपको ऑडिशन देते रहना पड़ता है, पता नहीं होता कि कब काम मिले. काफी सारे ऑडिशन देने के बाद आज मेरे पास एक टीवी सीरियल है.

स्ट्रगल कैसा रहा है ?
आशय का कहना था कि जब लोग अपने काम से खुश रहते है तो वह स्ट्रगल नहीं होता. लेकिन किसाी भी एक्टर के जिंदगी में एक ऐसा टाइम होता है जब उन्हें काम नहीं मिलता, जैसा काम चाहते है वैसा नहीं मिलता. बतौर एक एक्टर उनके हाथ में बस ऑडिशन देना होता है और उसे भूल जाना होता है.

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एक्टिंग के क्षेत्र में आने के लिए थिएटर सीखना कितना मददगार साबित हुआ ?
आशय का कहना है कि थिएटर अभिनय के हर पहलू के बारे में जानने और समझने की राह देता है. मशहूर थिएटर कलाकार नादिरा बब्बर के थिएटर ग्रुप से जुड़े आशय का कहना है कि वे आज जो कुछ हैं थिएटर की वजह से ही हैं. वे आज भी नादिरा जी को देखकर सीख रहा हैं. साथ ही उन्होंने कई वार्कशॉप भी किए है. जिसने यह सीरियल दिलाने में बहुत मददगार साबित रहा है.

भोपाल। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के रहने वाले 'आशय' अब टीवी की दुनिया में अपनी पहचान बनाने में जुटे हुए हैं. आशय इन दिनों चैनल स्टार भारत के 'प्यार का पापड़' सीरियल में नजर आ रहे हैं. अपने काम के सिलसिले में भोपाल आए आशय से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. आशय अपने ग्रेजुएशन के दिनों से ही थिएटर कर रहे हैं जिसने उनकी टीवी इंडस्ट्री में आने में बहुत मदद की है.

छत्तीगढ़ से मुंबई और प्यार के पापड़ के ओमकार तक सफर कैसा रहा ?
आशय ने ग्रेजुएशन करने के लिए मुंबई का रुख किया. जहां वे चार्टेड आउंटेड की तैयारी कर रहे थे. इसके साथ- साथ थिएटर भी कर रहे थे. उन्हें स्टेज का एक्सपोजर था. वे ग्रेजुएशन के दिनों से ही अपने कॉलेज में कई इवेंट में हिस्सा लिया करते थे. जिसके बाद वे मशहूर थिएटर कलाकार नादिरा बब्बर के थिएटर ग्रुप से जुड़े और ऑडिशन देने का सिलसिला शुरू हुआ. इस बीच वे कई विज्ञापनों और वेब सीरीज भी किए हैं.

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चार्टर्ड अकाउंटेंट और एक्टिंग में से ज्यादा इंट्रेस्ट किसमें ?
बतौर आशय अगर चार्टेड आउंटेड में इंटरेस्ट होता तो वे अभिनय में नहीं होते. पढ़ाई में ठीक-ठाक होने के चलते वे सीए की पढ़ाई कर रहे थे. लेकिन उन्होंने खुद से महसूस किया कि वे डेस्क जॉब नहीं कर सकते या करना नहीं चाहते हैं. इसलिए मन की सुनी और एक्टिंग के क्षेत्र में आ गए.

छोटे शहर से आकर खुद को अभिनय के क्षेत्र में फिट कैसे किया ?
आशय ने बताया कि एक छोटे शहर से मुंबई में जाकर काम पाना बहुत मुश्किल होता है और ऐसा काम जिसका कोई भविष्य निश्चित न हो, बस आपको ऑडिशन देते रहना पड़ता है, पता नहीं होता कि कब काम मिले. काफी सारे ऑडिशन देने के बाद आज मेरे पास एक टीवी सीरियल है.

स्ट्रगल कैसा रहा है ?
आशय का कहना था कि जब लोग अपने काम से खुश रहते है तो वह स्ट्रगल नहीं होता. लेकिन किसाी भी एक्टर के जिंदगी में एक ऐसा टाइम होता है जब उन्हें काम नहीं मिलता, जैसा काम चाहते है वैसा नहीं मिलता. बतौर एक एक्टर उनके हाथ में बस ऑडिशन देना होता है और उसे भूल जाना होता है.

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एक्टिंग के क्षेत्र में आने के लिए थिएटर सीखना कितना मददगार साबित हुआ ?
आशय का कहना है कि थिएटर अभिनय के हर पहलू के बारे में जानने और समझने की राह देता है. मशहूर थिएटर कलाकार नादिरा बब्बर के थिएटर ग्रुप से जुड़े आशय का कहना है कि वे आज जो कुछ हैं थिएटर की वजह से ही हैं. वे आज भी नादिरा जी को देखकर सीख रहा हैं. साथ ही उन्होंने कई वार्कशॉप भी किए है. जिसने यह सीरियल दिलाने में बहुत मददगार साबित रहा है.

Intro:भोपाल- छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के रहने वाले 'आशय' अब टीवी की दुनिया में अपनी पहचान बनाने चले है।
अपने काम के सिलसिले में राजधानी आये आशय से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की।
आशय अपने ग्रेजुएशन के दिनों से ही थिएटर कर रहे हैं जिसने उनकी टीवी सीरियल पाने में बहुत मदद की।


Body:बतौर आशय एक छोटे शहर से मुंबई में जाकर काम पाना बहुत मुश्किल होता है और ऐसा काम जिसका कोई भविष्य निश्चित न हो,बस आपको ऑडिशन देते रहना पड़ता है,पता नही होता कि कब काम मिले। काफी सारे ऑडिशन देने के बाद आज मेरे पास एक टीवी सीरियल है।
आशय पहले एक चार्टेड आउंटेड बनना चाहते थे पर अभिनय की ओर अपनी रुचि के चलते उन्होंने थिएटर करना शुरू किया,जिसने उनकी एक टी वी कलाकार बनने में बहुत मदद की।


Conclusion:मशहूर थिएटर कलाकार नादिरा बब्बर के थिएटर ग्रुप से जुड़े आशय का कहना है कि मैं आज जो कुछ हूँ थिएटर की वजह से ही हूं। मैं आज भी नादिरा जी को देखकर सीख रहा हूं।
थिएटर आपको अभिनय के हर पहलू के बारे में जानने और समझने की राह देता है।
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