भोपाल। उर्दू संस्कृति विभाग द्वारा राजधानी के रविंद्र भवन में चल रहे जश्न-ए-उर्दू का समापन हो गया. जश्न-ए-उर्दू के तीसरे और अंतिम दिन उर्दू शिक्षकों के लिए पर्सनालिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित किया गया, जहां मोटिवेशनल स्पीकर आमिर महबूब ने अपने विचार रखे. इस दौरान राजधानी के मेरिट विद्यार्थियों एवं उर्दू सप्ताह के विजेताओं को पुरस्कार वितरण किया गया.
जश्न-ए-उर्दू कार्यक्रम में दास्तानगोई का आयोजन भी किया गया. इस कार्यक्रम में देश की पहली महिला दास्तानगो फोजिया ने अपने विचार रखते हुए बताया कि दास्तानगोई एक फन है जो 19वीं सदी तक बहुत मकबूल और मशहूर था. थिएटर के जरिये इस्मत चुगताई की 'नन्हीं की नानी' और अशरफ दिल्ली की 'छूम्मी कबाबी की दास्तान' प्रस्तुत की गई. इसके साथ जश्न ए उर्दू में बेतबाजी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें 10 टीमों ने हिस्सा लिया बेतबाजी का संचालन बद्र वास्ती ने किया.
वहीं देर शाम 'रक्स-ए-बिस्मिल' का आयोजन किया गया, जिसमें प्रख्यात नृत्यांगना आस्था दीक्षित ने अपने साथियों के साथ सूफियाना कलाम पर कत्थक की मनमोहक प्रस्तुति के साथ सबका दिल जीत लिया. कार्यक्रम का समापन मुशायरे के साथ हुआ. जिसमें प्रख्यात शायरों ने उर्दू की महत्ता भी समझाई. साथ ही " थोड़ी सी रोशनी है उसे जो भी लूट ले जुगनू मियां के पास खजाना तो है नहीं ", " बदल ले भेस चाहे चेहरा अपना खुशनुमा कर ले जो कातिल रह चुका है वह मसीहा हो नहीं सकता " जैसी शायरियों को श्रोताओं ने खुब सराहा.