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भोपाल: जश्न-ए-उर्दू का समापन, शायरों ने बांधा समा

जश्न ए उर्दू में बेतबाजी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें 10 टीमों ने हिस्सा लिया बेतबाजी का संचालन बद्र वास्ती ने किया. कार्यक्रम का समापन मुशायरे के साथ हुआ. जिसमें प्रख्यात शायरों ने उर्दू की महत्ता भी समझाई.

जश्न ए उर्दू
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Published : Mar 3, 2019, 9:11 PM IST

भोपाल। उर्दू संस्कृति विभाग द्वारा राजधानी के रविंद्र भवन में चल रहे जश्न-ए-उर्दू का समापन हो गया. जश्न-ए-उर्दू के तीसरे और अंतिम दिन उर्दू शिक्षकों के लिए पर्सनालिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित किया गया, जहां मोटिवेशनल स्पीकर आमिर महबूब ने अपने विचार रखे. इस दौरान राजधानी के मेरिट विद्यार्थियों एवं उर्दू सप्ताह के विजेताओं को पुरस्कार वितरण किया गया.


जश्न-ए-उर्दू कार्यक्रम में दास्तानगोई का आयोजन भी किया गया. इस कार्यक्रम में देश की पहली महिला दास्तानगो फोजिया ने अपने विचार रखते हुए बताया कि दास्तानगोई एक फन है जो 19वीं सदी तक बहुत मकबूल और मशहूर था. थिएटर के जरिये इस्मत चुगताई की 'नन्हीं की नानी' और अशरफ दिल्ली की 'छूम्मी कबाबी की दास्तान' प्रस्तुत की गई. इसके साथ जश्न ए उर्दू में बेतबाजी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें 10 टीमों ने हिस्सा लिया बेतबाजी का संचालन बद्र वास्ती ने किया.

जश्न ए उर्दू


वहीं देर शाम 'रक्स-ए-बिस्मिल' का आयोजन किया गया, जिसमें प्रख्यात नृत्यांगना आस्था दीक्षित ने अपने साथियों के साथ सूफियाना कलाम पर कत्थक की मनमोहक प्रस्तुति के साथ सबका दिल जीत लिया. कार्यक्रम का समापन मुशायरे के साथ हुआ. जिसमें प्रख्यात शायरों ने उर्दू की महत्ता भी समझाई. साथ ही " थोड़ी सी रोशनी है उसे जो भी लूट ले जुगनू मियां के पास खजाना तो है नहीं ", " बदल ले भेस चाहे चेहरा अपना खुशनुमा कर ले जो कातिल रह चुका है वह मसीहा हो नहीं सकता " जैसी शायरियों को श्रोताओं ने खुब सराहा.

भोपाल। उर्दू संस्कृति विभाग द्वारा राजधानी के रविंद्र भवन में चल रहे जश्न-ए-उर्दू का समापन हो गया. जश्न-ए-उर्दू के तीसरे और अंतिम दिन उर्दू शिक्षकों के लिए पर्सनालिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित किया गया, जहां मोटिवेशनल स्पीकर आमिर महबूब ने अपने विचार रखे. इस दौरान राजधानी के मेरिट विद्यार्थियों एवं उर्दू सप्ताह के विजेताओं को पुरस्कार वितरण किया गया.


जश्न-ए-उर्दू कार्यक्रम में दास्तानगोई का आयोजन भी किया गया. इस कार्यक्रम में देश की पहली महिला दास्तानगो फोजिया ने अपने विचार रखते हुए बताया कि दास्तानगोई एक फन है जो 19वीं सदी तक बहुत मकबूल और मशहूर था. थिएटर के जरिये इस्मत चुगताई की 'नन्हीं की नानी' और अशरफ दिल्ली की 'छूम्मी कबाबी की दास्तान' प्रस्तुत की गई. इसके साथ जश्न ए उर्दू में बेतबाजी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें 10 टीमों ने हिस्सा लिया बेतबाजी का संचालन बद्र वास्ती ने किया.

जश्न ए उर्दू


वहीं देर शाम 'रक्स-ए-बिस्मिल' का आयोजन किया गया, जिसमें प्रख्यात नृत्यांगना आस्था दीक्षित ने अपने साथियों के साथ सूफियाना कलाम पर कत्थक की मनमोहक प्रस्तुति के साथ सबका दिल जीत लिया. कार्यक्रम का समापन मुशायरे के साथ हुआ. जिसमें प्रख्यात शायरों ने उर्दू की महत्ता भी समझाई. साथ ही " थोड़ी सी रोशनी है उसे जो भी लूट ले जुगनू मियां के पास खजाना तो है नहीं ", " बदल ले भेस चाहे चेहरा अपना खुशनुमा कर ले जो कातिल रह चुका है वह मसीहा हो नहीं सकता " जैसी शायरियों को श्रोताओं ने खुब सराहा.

Intro:रक्स ए बिस्मिल और मुशायरे के साथ हुआ जश्न ए उर्दू का समापन

भोपाल मध्य प्रदेश उर्दू संस्कृति विभाग द्वारा रविंद्र भवन में चल रहे जश्न ए उर्दू के तीसरे और अंतिम दिन उर्दू शिक्षकों के लिए पर्सनालिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित किया गया मोटिवेशनल स्पीकर आमिर महबूब ने पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए अपने विचार रखें उन्होंने बताया कि बच्चों को अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए कुछ बनने के लिए पढ़ाई में परिश्रम करना आवश्यक है कोई यह सोचे कि मैं डॉक्टर इंजीनियर बन जाऊं तो बिना मेहनत के डॉक्टर इंजीनियर बनना संभव नहीं होगा इसके बाद भोपाल के मेरिट विद्यार्थियों एवं उर्दू सप्ताह के विजेताओं को पुरस्कार वितरण किया गया


Body:जश्न ए उर्दू कार्यक्रम में दास्तानगोई का आयोजन भी किया गया इस कार्यक्रम में देश की पहली महिला दास्तानगौ फोजिया दिल्ली एवं फसल भोपाल ने अपने विचार रखते हुए बताया कि दास्तानगोई एक फोन है जो 19 वी सदी तक बहुत मकबूल और मशहूर था फिर कई कारणों से यह खत्म हो गया 1928 में मशहूर दास्तानगौ नीर बक्र अली गुजर गए फिर पिछले 10 -15 सालों में इसे दोबारा जिंदा किया गया थिएटर के जरिए आज की दास्तानगोई में इस्मत चुगताई की कहानी नन्हीं की नानी एवं अशरफ दिल्ली की कहानी छूम्मी कबाबी की दास्तान पेश की गई

जश्न ए उर्दू में बेतवाजी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया जिसमें 10 टीमों ने हिस्सा लिया बैतबाजी का संचालन बद्र वास्ती ने किया





Conclusion:रक्स ए बिस्मिल का आयोजन देर शाम किया गया जिसमें प्रख्यात नृत्यांगना आस्था दीक्षित एवं अन्य साथियों के द्वारा सूफियाना कलाम पर कत्थक पेश किया गया कार्यक्रम का संचालन समीना अली ने किया. आज थाने कई सूफियाना कलाम पर मनमोहक कत्थक की प्रस्तुति देकर सभी का दिल जीत लिया .


जश्न ए उर्दू का समापन अखिल भारतीय मुशायरे के साथ हुआ इस मुशायरे में कई प्रख्यात शायरों ने अपने कलाम से उर्दू की महत्वता भी समझाई . दिल्ली के मशहूर शायर मुजफ्फर हनफी ने अपना मुशायरा फरमाते हुए कहा कि " थोड़ी सी रोशनी है उसे जो भी लूट ले जुगनू मियां के पास खजाना तो है नहीं "

तो वहीं मुंबई के शायर हसन कमाल ने फरमाया की " बदल ले भेस चाहे लहरा अपना खुशनुमा कर ले जो कातिल रह चुका है वह मसीहा हो नहीं सकता "

भोपाल की शायर जिया फारुकी ने फरमाया की" वह जानता है मुझे कि मैं क्या मैं तीसना होठों की एक दुआ हूं तड़प के निकलो तो आबे जमजम निकल के तड़पू तो करबला हूं "

मुंबई के शायर शकील आज़मी ने फरमाया की " मैं भी तुम जैसा हूं अपने से जुदा मत समझो आदमी ही मुझे रहने दो खुदा मत समझो "


ग्वालियर के शायर मदन मोहन मिश्रा दानिश ने फरमाया कि " यहां कहां की जीत है जागे कोई सोए कोई रात सबकी है तो सबको नींद आनी चाहिए " .

बुरहानपुर के शायर नईम अख्तर ने फरमाया की " चलके तुम गैर के कदमों से कहीं के ना रहे अपने पैरों से अलग चलते तो चलते रहते " .


दिल्ली के शायर शाहिद अंजुम ने फरमाया की " हर एक चोट पर तेरे लबों की तुरपाई हर एक के जख्म पर तेरा रफू निकलता है मैं अब यह राजे मोहब्बत छुपा नहीं सकता लहू की शक्ल में आंखों से तू निकलता है " .

भोपाल के शायर बद्र वास्ती ने फरमाया कि " जब तक जुनून नहीं है तामीर क्या करोगे नाजुक कलाइयां है शमशीर क्या करोगे तुमसे तुम्हारा घर तो अब तक समझ ना पाया ढाका गांव आ चुके हो कश्मीर क्या करोगे " .
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