भोपाल। कमलनाथ सरकार देश की पहली सरकार होगी, जो प्रदेश के रहवासियों को पानी का कानूनी अधिकार देने जा रही है. मीडिया से रूबरू होते हुए कमलनाथ सरकार के पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे ने बताया कि प्रदेश सरकार मध्यप्रदेश की जनता के लिए पर्याप्त पानी पहुंचाने और पीने योग्य पानी का कानूनी अधिकार देने जा रही है.
पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जो अपने निवासियों को पानी के अधिकार को कानूनी रूप में देगा. बरसात की एक-एक बूंद पानी को सहेजने से लेकर उसके न्यायपूर्ण वितरण तक सब कुछ कानूनी रूप से न सिर्फ परिभाषित होगा, बल्कि सुनिश्चित भी किया जाएगा.
पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे ने बताया कि इस अधिकार में नए तालाबों का निर्माण, पुराने तालाबों का संवर्धन और संरक्षण और प्रदेश की सभी वॉटर बॉडी के कैचमेंट एरिया का प्रोटेक्शन एक्ट भी इस कानून का हिस्सा होगा. पानी की री-साइक्लिंग, वॉटर रिचार्जिंग, वॉटर ट्रांसपोर्टेशन और डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट प्लान इस कानून में शामिल किया जाएगा. इन सभी बातों के साथ इस बात को भी सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी विभागों की पहली प्राथमिकता पानी हो यानि चाहे वह स्थानीय निकाय हो या ग्रामीण.
जलशास्त्रियों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा
इस कानून को वास्तविकता के धरातल पर लाने के लिए पहल कमलनाथ सरकार 24 जून 2019 को करने जा रही है. जिसमें देश के बड़े जलशास्त्रियों के साथ विचार विमर्श किया जाएगा. इसके बाद एक जल संसद का आयोजन किया जाएगा, ताकि विशेषज्ञों से लेकर जनप्रतिनिधियों और आमजन सभी लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके.
यहां समझें आबादी के हिसाब से पानी की पूर्ति
मंत्री सुखदेव पांसे ने बताया कि एनआरडीडब्ल्यूपी की गाइड लाइंस के अनुसार 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराए जाने का प्रावधान है. वर्तमान में मप्र में 5.88 करोड़ लोग गांव में निवास करते हैं. जिसमें से 40% ग्रामीण आबादी को नल जल योजना के माध्यम से पानी उपलब्ध करा किया जा रहा है. उसमें से भी मात्र 12% ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से पानी पहुंचा पाते हैं. बाकी लगभग 60% आबादी ट्यूबवेल पर निर्भर है. इनमें से भी 8 से 10% बोरिंग का पानी गर्मियों में नीचे चला जाता है. ऐसी प्रतिकूल परिस्थिति में परिवहन कर पानी उपलब्ध कराना होता है.
मध्यप्रदेश में लगभग 2400 झीलें और तालाब
इसी तरह मध्यप्रदेश में लगभग 2400 झीलें और तालाब हैं, जिनमें 1 से 5 वर्ग किमी के 150, 5 से 20 वर्ग किमी और 20 वर्ग किमी से अधिक के सात जलाशय हैं. जिनकी जीवंतता उनके कैचमेंट एरिया पर निर्भर करती है. इसलिए जरूरी है कि उनके कैचमेंट एरिया को प्रोटेक्ट किया जाए. राइट टू वॉटर एक्ट में कैचमेंट एरिया प्रोटेक्शन एक्ट को भी शामिल किया जा रहा है.