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ग्रामसभा की बैठक के लिए कांग्रेस ने लिखा पत्र, चुनाव आयोग से मांगा मार्गदर्शन

ग्राम सभा की बैठक के लिये कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मार्गदर्शन मांगा है. दरअसल, 14 अप्रैल को डॉ. अंबेडकर जयंती है. इस दिन कांग्रेस हर साल की तरह इस साल भी ग्रामसभा की बैठक करना चाहती है.

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Published : Apr 6, 2019, 12:52 PM IST

भूपेंद्र गुप्ता, प्रवक्ता, कांग्रेस

भोपाल। ग्रामसभा की बैठक करने के लिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने चुनाव आयोग से जानकारी चाही है. कांग्रेस ने कहा है कि चुनाव आयोग ये स्पष्ट करे कि क्या ये बैठक की जा सकती है या नहीं, ताकि आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हो. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर ध्यान दिलाया है कि ग्रामसभा की अनिवार्य बैठकें गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती और अंबेडकर जयंती को आयोजित होती हैं.

ग्राम सभा की बैठक के लिये कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मार्गदर्शन मांगा है

अब इस बार 14 अप्रैल को डॉ. अंबेडकर जयंती है. इस दिन कांग्रेस हर साल की तरह इस साल भी ग्रामसभा की बैठक करना चाहती है. भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि लेकिन आचार संहिता के दौरान ये स्पष्ट नहीं है कि ये बैठक की जा सकती है या नहीं. इसके लिए उन्होंने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है.

कांग्रेस ने चुनाव आयोग के मार्गदर्शन की मांग की है. पत्र में आयोग को ध्यान दिलाया गया है कि ग्रामसभा एक संवैधानिक और स्थायी निकाय है. ये लोकतंत्र की आधारशिला है. उन्होंने बताया कि ग्राम सभा विकास कार्यक्रमों की योजना कार्यान्वयन और निगरानी गहरे से जुड़ी हुई है. भूपेंद्र गुप्ता ने चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में कहा है कि ग्रामसभा की अपनी संवैधानिक स्थिति है. यह संविधान से अपनी शक्तियों को लेती है. इसलिए इस पर किसी भी दिशा-निर्देशों का अनुपालन थोपा नहीं जा सकता है. भारतीय संविधान में 73 वें संशोधन ने संविधान सभा में अनुच्छेद 40 के माध्यम से राज्य ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए कदम उठाया गया है. मध्य प्रदेश पंचायत राज अधिनियम और ग्राम स्वराज अधिनियम 1994 ने संवैधानिक आदेश का सम्मान किया है. ग्राम सभा को अधिकार दिया गया है, जो एक कानूनी ईकाई है.

इन बिंदुओं पर कांग्रेस सरकार ने चुनाव आयोग से मांगा मार्गदर्शन
चुनाव आचार संहिता लागू होने पर क्या ग्राम सभा की बैठक हो सकती है?
चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश ग्राम सभा के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी हो सकते हैं?
ग्रामसभा राजनीतिक एजेंडे पर बैठक करती है, तो क्या उन्हें चुनाव आयोग से ऐसा करने के लिए परमिशन लेनी पड़ेगी?
यदि ग्राम सभा के विवेक पर सवाल नहीं उठाया जा सकता, तो चुनाव आयोग जनहित में क्या कदम उठाएगा?

भोपाल। ग्रामसभा की बैठक करने के लिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने चुनाव आयोग से जानकारी चाही है. कांग्रेस ने कहा है कि चुनाव आयोग ये स्पष्ट करे कि क्या ये बैठक की जा सकती है या नहीं, ताकि आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हो. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर ध्यान दिलाया है कि ग्रामसभा की अनिवार्य बैठकें गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती और अंबेडकर जयंती को आयोजित होती हैं.

ग्राम सभा की बैठक के लिये कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मार्गदर्शन मांगा है

अब इस बार 14 अप्रैल को डॉ. अंबेडकर जयंती है. इस दिन कांग्रेस हर साल की तरह इस साल भी ग्रामसभा की बैठक करना चाहती है. भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि लेकिन आचार संहिता के दौरान ये स्पष्ट नहीं है कि ये बैठक की जा सकती है या नहीं. इसके लिए उन्होंने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है.

कांग्रेस ने चुनाव आयोग के मार्गदर्शन की मांग की है. पत्र में आयोग को ध्यान दिलाया गया है कि ग्रामसभा एक संवैधानिक और स्थायी निकाय है. ये लोकतंत्र की आधारशिला है. उन्होंने बताया कि ग्राम सभा विकास कार्यक्रमों की योजना कार्यान्वयन और निगरानी गहरे से जुड़ी हुई है. भूपेंद्र गुप्ता ने चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में कहा है कि ग्रामसभा की अपनी संवैधानिक स्थिति है. यह संविधान से अपनी शक्तियों को लेती है. इसलिए इस पर किसी भी दिशा-निर्देशों का अनुपालन थोपा नहीं जा सकता है. भारतीय संविधान में 73 वें संशोधन ने संविधान सभा में अनुच्छेद 40 के माध्यम से राज्य ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए कदम उठाया गया है. मध्य प्रदेश पंचायत राज अधिनियम और ग्राम स्वराज अधिनियम 1994 ने संवैधानिक आदेश का सम्मान किया है. ग्राम सभा को अधिकार दिया गया है, जो एक कानूनी ईकाई है.

इन बिंदुओं पर कांग्रेस सरकार ने चुनाव आयोग से मांगा मार्गदर्शन
चुनाव आचार संहिता लागू होने पर क्या ग्राम सभा की बैठक हो सकती है?
चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश ग्राम सभा के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी हो सकते हैं?
ग्रामसभा राजनीतिक एजेंडे पर बैठक करती है, तो क्या उन्हें चुनाव आयोग से ऐसा करने के लिए परमिशन लेनी पड़ेगी?
यदि ग्राम सभा के विवेक पर सवाल नहीं उठाया जा सकता, तो चुनाव आयोग जनहित में क्या कदम उठाएगा?

Intro:भोपाल। प्रदेश कांग्रेस ने ग्रामसभा की अनिवार्य बैठक की ओर निर्वाचन आयोग का ध्यान दिलाते हुए मार्गदर्शी हस्तक्षेप की मांग की है। कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर ध्यान दिलाया है कि ग्रामसभा की अनिवार्य बैठकें गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), गांधी जयंती( 2 अक्टूबर ) और अंबेडकर जयंती (14 अप्रैल ) को होती हैं। आगामी 14 अप्रैल को डॉ अंबेडकर जयंती पर होने वाली ग्रामसभा की अनिवार्य बैठक के संदर्भ में स्थिति स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग का हस्तक्षेप चाहते हुए मार्गदर्शन और स्पष्टीकरण की मांग की है। पत्र में आयोग का ध्यान दिलाया गया है कि ग्रामसभा एक संवैधानिक और स्थाई निकाय है। निचले स्तर पर लोकतंत्र की आधारशिला है। ग्राम सभा विकास कार्यक्रमों की योजना कार्यान्वयन और निगरानी गहरे से जुड़ी हुई है।


Body:भूपेंद्र गुप्ता ने चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में कहा है कि ग्रामसभा की अपनी संवैधानिक स्थिति है और वह सर्वोच्च संस्था है। यह संविधान से अपनी शक्तियों को लेती है, इसलिए इस पर किसी भी दिशा निर्देशों का अनुपालन थोपा नहीं जा सकता है। भारतीय संविधान में 73 वें संशोधन ने संविधान सभा में अनुच्छेद 40 के माध्यम से राज्य ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए कदम उठाया गया है। मध्य प्रदेश पंचायत राज अधिनियम और ग्राम स्वराज अधिनियम 1994 ने संवैधानिक आदेश का सम्मान किया है। ग्राम सभा को अधिकार दिया गया है जो एक कानूनी ईकाई है।

कांग्रेसी इन बिंदुओं के आधार पर चुनाव आयोग से मार्गदर्शन मांगा है।

- क्या चुनाव आचार संहिता लागू होने पर ग्राम सभा की बैठक हो सकती है?
- क्या चुनाव आयोग के दिशा निर्देश ग्राम सभा के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी हो सकते हैं?
- ग्रामसभा राजनीतिक एजेंडे पर बैठक करती है, तो क्या उन्हें चुनाव आयोग से ऐसा करने के लिए कहा जा सकता है?
- यदि ग्राम सभा के विवेक पर सवाल नहीं उठाया जा सकता तो चुनाव आयोग जनहित में क्या कदम उठाएगा?


Conclusion:..

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