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400 साल पहले मुगलों ने की ऐसी व्यवस्था देखकर वैज्ञानिक रह जाते हैं हैरान, अनोखा है बुरहानपुर का खूनी भंडारा

बुरहानपुर जिले में मुगल शासन काल की कला का वो बेजोड़ नमूना है जो 400 साल से जीवित है. यहां भूमिगत जल संरचना की ऐसी अनोखी प्रणाली जो कभी सिर्फ ईरान में देखने को मिलती थी, लेकिन वहां से भी विलुप्त हो चुकी यह अनूठी धरोहर अब केवल मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर में मौजूद है, जो वर्षों से यहां लोगों की प्यास बुझा रही है. जिसे कुंडी भंडारे के नाम से जाना जाता है.

कुंडी भंडारा
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Published : Mar 21, 2019, 2:43 AM IST

बुरहानपुर। 21वीं सदी में जब इंसान ने कुदरत से मिले हर संसाधन को अपने हिसाब से ढाल लिया है, तब भी वो पीने के साफ पानी की ऐसी व्यवस्था नहीं कर सका है, जिससे हर आम-ओ-खास को शुद्ध पेयजल मिल सके. ऐसे में क्या आप सोच सकते हैं कि आज से चार शताब्दी पहले कोई ऐसी व्यवस्था होगी जो हर शख्स तक न केवल पानी पहुंचाए बल्कि उस पानी की क्वालिटी मिनरल वॉटर जैसी हो. खास बात ये कि चार सौ साल पुरानी ये व्यवस्था अब तक जिंदा है.

जमीन से 80 फीट नीचे बनी नहर पूरे शहर में जल का वितरण करे, वो भी बिना किसी यंत्र के ऐसा सोचना आज के वक्त में भी मुश्किल है. लेकिन, हिंदुस्तान में इस सोच को सच करके दिखाया मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक अब्दुर्रहीम ख़ानखाना ने. रहीम ने मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर में खूनी भंडारा या कुंडी भंडारा नाम की ये व्यवस्था कराई थी, जो पूरे शहर में साफ पानी पहुंचाती थी.

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इस कुंडी का पानी मिनरल वॉटर से भी साफ माना जाता है. ये मुगल शासन काल की कला का वो बेजोड़ नमूना है जो 400 साल से जीवित है. इसे देखने के लिये लोग दूर-दूर से खिंचे चले आते हैं. भूमिगत जल संरचना की ऐसी अनोखी प्रणाली जो कभी सिर्फ ईरान में देखने को मिलती थी, लेकिन वहां से भी विलुप्त हो चुकी यह अनूठी धरोहर अब केवल मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर में मौजूद है, जो वर्षों से यहां लोगों की प्यास बुझा रही है.

रहीम ने बुरहानपुर शहर तक पानी पहुंचाने के लिये सतपुड़ा की पहाड़ियों से सटकर जमीन से 80 फीट नीचे घुमावदार नहरों का निर्माण कराया था. इन नहरों में पहाड़ियों से रिसने वाले पानी को एकत्रित किया जाता था. इन नहरों का निर्माण की तकनीक इतनी खास है कि जमीन के नीचे होकर भी इनका पानी हवा के दबाव की वजह से बहता है और कुंडी वाली जगह पर ऊपर की ओर बढ़ने लगता है, जिनसे लोग अपने इस्तेमाल के लिए पानी निकाल सकते हैं. उस वक्त इन नहरों से जुड़ी हुई 101 कुंडियों का निर्माण किया गया था, जिनमें से कुछ आज भी पानी का संचार कर रही हैं. रहीम की बनवाई हुई ये नायाब प्रणाली उस वक्त की इंजीनियरिंग की मिसाल है, जिसे देखने पर्यटक लगातार यहां आते रहते हैं.

बुरहानपुर। 21वीं सदी में जब इंसान ने कुदरत से मिले हर संसाधन को अपने हिसाब से ढाल लिया है, तब भी वो पीने के साफ पानी की ऐसी व्यवस्था नहीं कर सका है, जिससे हर आम-ओ-खास को शुद्ध पेयजल मिल सके. ऐसे में क्या आप सोच सकते हैं कि आज से चार शताब्दी पहले कोई ऐसी व्यवस्था होगी जो हर शख्स तक न केवल पानी पहुंचाए बल्कि उस पानी की क्वालिटी मिनरल वॉटर जैसी हो. खास बात ये कि चार सौ साल पुरानी ये व्यवस्था अब तक जिंदा है.

जमीन से 80 फीट नीचे बनी नहर पूरे शहर में जल का वितरण करे, वो भी बिना किसी यंत्र के ऐसा सोचना आज के वक्त में भी मुश्किल है. लेकिन, हिंदुस्तान में इस सोच को सच करके दिखाया मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक अब्दुर्रहीम ख़ानखाना ने. रहीम ने मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर में खूनी भंडारा या कुंडी भंडारा नाम की ये व्यवस्था कराई थी, जो पूरे शहर में साफ पानी पहुंचाती थी.

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इस कुंडी का पानी मिनरल वॉटर से भी साफ माना जाता है. ये मुगल शासन काल की कला का वो बेजोड़ नमूना है जो 400 साल से जीवित है. इसे देखने के लिये लोग दूर-दूर से खिंचे चले आते हैं. भूमिगत जल संरचना की ऐसी अनोखी प्रणाली जो कभी सिर्फ ईरान में देखने को मिलती थी, लेकिन वहां से भी विलुप्त हो चुकी यह अनूठी धरोहर अब केवल मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर में मौजूद है, जो वर्षों से यहां लोगों की प्यास बुझा रही है.

रहीम ने बुरहानपुर शहर तक पानी पहुंचाने के लिये सतपुड़ा की पहाड़ियों से सटकर जमीन से 80 फीट नीचे घुमावदार नहरों का निर्माण कराया था. इन नहरों में पहाड़ियों से रिसने वाले पानी को एकत्रित किया जाता था. इन नहरों का निर्माण की तकनीक इतनी खास है कि जमीन के नीचे होकर भी इनका पानी हवा के दबाव की वजह से बहता है और कुंडी वाली जगह पर ऊपर की ओर बढ़ने लगता है, जिनसे लोग अपने इस्तेमाल के लिए पानी निकाल सकते हैं. उस वक्त इन नहरों से जुड़ी हुई 101 कुंडियों का निर्माण किया गया था, जिनमें से कुछ आज भी पानी का संचार कर रही हैं. रहीम की बनवाई हुई ये नायाब प्रणाली उस वक्त की इंजीनियरिंग की मिसाल है, जिसे देखने पर्यटक लगातार यहां आते रहते हैं.

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400 साल पहले मुगलों ने की ऐसी व्यवस्था देखकर वैज्ञानिक रह जाते हैं हैरान, अनोखा है बुरहानपुर का खूनी भंडारा

 



बुरहानपुर। 21वीं सदी में जब इंसान ने कुदरत से मिले हर संसाधन को अपने हिसाब से ढाल लिया है, तब भी वो पीने के साफ पानी की ऐसी व्यवस्था नहीं कर सका है, जिससे हर आम-ओ-खास को शुद्ध पेयजल मिल सके. ऐसे में क्या आप सोच सकते हैं कि आज से चार शताब्दी पहले कोई ऐसी व्यवस्था होगी जो हर शख्स तक न केवल पानी पहुंचाए बल्कि उस पानी की क्वालिटी मिनरल वॉटर जैसी हो. खास बात ये कि चार सौ साल पुरानी ये व्यवस्था अब तक जिंदा है.

जमीन से 80 फीट नीचे बनी नहर पूरे शहर में जल का वितरण करे, वो भी बिना किसी यंत्र के ऐसा सोचना आज के वक्त में भी मुश्किल है. लेकिन, हिंदुस्तान में इस सोच को सच करके दिखाया मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक अब्दुर्रहीम ख़ानखाना ने. रहीम ने मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर में खूनी भंडारा या कुंडी भंडारा नाम की ये व्यवस्था कराई थी, जो पूरे शहर में साफ पानी पहुंचाती थी.



इस कुंडी का पानी मिनरल वॉटर से भी साफ माना जाता है. ये मुगल शासन काल की कला का वो बेजोड़ नमूना है जो 400 साल से जीवित है. इसे देखने के लिये लोग दूर-दूर से खिंचे चले आते हैं. भूमिगत जल संरचना की ऐसी अनोखी प्रणाली जो कभी सिर्फ ईरान में देखने को मिलती थी, लेकिन वहां से भी विलुप्त हो चुकी यह अनूठी धरोहर अब केवल मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर में मौजूद है, जो वर्षों से यहां लोगों की प्यास बुझा रही है.



रहीम ने बुरहानपुर शहर तक पानी पहुंचाने के लिये सतपुड़ा की पहाड़ियों से सटकर जमीन से 80 फीट नीचे घुमावदार नहरों का निर्माण कराया था. इन नहरों में पहाड़ियों से रिसने वाले पानी को एकत्रित किया जाता था. इन नहरों का निर्माण की तकनीक इतनी खास है कि जमीन के नीचे होकर भी इनका पानी हवा के दबाव की वजह से बहता है और कुंडी वाली जगह पर ऊपर की ओर बढ़ने लगता है, जिनसे लोग अपने इस्तेमाल के लिए पानी निकाल सकते हैं. उस वक्त इन नहरों से जुड़ी हुई 101 कुंडियों का निर्माण किया गया था, जिनमें से कुछ आज भी पानी का संचार कर रही हैं. रहीम की बनवाई हुई ये नायाब प्रणाली उस वक्त की इंजीनियरिंग की मिसाल है, जिसे देखने पर्यटक लगातार यहां आते रहते हैं. सोनू सोहले, ईटीवी भारत, बुरहानपुर,मध्यप्रदेश.


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