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आदिवासियों ने ढोल बजाकर किया विरोध, खारक डूब प्रभावितों के समर्थन में जारी है प्रदर्शन

बुरहानपुर के नेपानगर में खरगोन-बड़वानी के खारक बांध के डूब प्रभावितों के समर्थन में आदिवासियों ने विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के तीसरे दिन आदिवासियों ने ढोल बजाकर नाचकर विरोध दर्ज कराया.

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आदिवासियों का अनोखा प्रदर्शन
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Published : Dec 21, 2019, 8:09 PM IST

बुरहानपुर। खारक डूब प्रभावितों के समर्थन में बुरहानपुर के आदिवासियों के जेल भरो आंदोलन के तीसरे दिन संघर्ष और भी तेज कर दिया. आदिवासी अपने साथ ढोल-नगाड़ा लेकर प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे. जहां पारम्परिक गीत गाकर, हाथों में लाल झंडे लेकर ढोल बजाकर जमकर नाचे. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे नाच गाकर प्रशासन और सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.

आदिवासियों का अनोखा प्रदर्शन


बता दें खरगोन-बड़वानी के खारक बांध के डूब प्रभावितों की मांगों को लेकर 300 से अधिक आदिवासी किसान परिवार अपने पूर्नवास और मुआवजे की मांगों को लेकर 16 दिसंबर को खरगोन जिले में धरने प्रदर्शन हुआ था.18 दिसम्बर तक मांग पूरी नहीं होने पर आदिवासियों ने गिरफ्तारी दी थी.


वहीं इसके विरोध में बुरहानपुर जिले के दलित आदिवासी संगठन के तत्वाधान में आदिवासियों ने 19 दिसंबर को नेपानगर थाने पहुंचे और जेल भरो आंदोलन की शुरूआत की. जिसके बाद तीसरे दिन और आंदोलन तेज हो गया है. प्रशासन का कहा कि मामला खरगोन जिले के आदिवासी किसानों का है. आप लोग वहां जाकर प्रदर्शन करें. यहा आंदोलन करने से कोई मतलब नहीं है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक खरगोन के डूब प्रभावितों की मांगों को सरकार पूरी करने की कार्रवाई नहीं करेगी, तब तक हमारा जेल भरो आंदोलन जारी रहेगा.

बुरहानपुर। खारक डूब प्रभावितों के समर्थन में बुरहानपुर के आदिवासियों के जेल भरो आंदोलन के तीसरे दिन संघर्ष और भी तेज कर दिया. आदिवासी अपने साथ ढोल-नगाड़ा लेकर प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे. जहां पारम्परिक गीत गाकर, हाथों में लाल झंडे लेकर ढोल बजाकर जमकर नाचे. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे नाच गाकर प्रशासन और सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.

आदिवासियों का अनोखा प्रदर्शन


बता दें खरगोन-बड़वानी के खारक बांध के डूब प्रभावितों की मांगों को लेकर 300 से अधिक आदिवासी किसान परिवार अपने पूर्नवास और मुआवजे की मांगों को लेकर 16 दिसंबर को खरगोन जिले में धरने प्रदर्शन हुआ था.18 दिसम्बर तक मांग पूरी नहीं होने पर आदिवासियों ने गिरफ्तारी दी थी.


वहीं इसके विरोध में बुरहानपुर जिले के दलित आदिवासी संगठन के तत्वाधान में आदिवासियों ने 19 दिसंबर को नेपानगर थाने पहुंचे और जेल भरो आंदोलन की शुरूआत की. जिसके बाद तीसरे दिन और आंदोलन तेज हो गया है. प्रशासन का कहा कि मामला खरगोन जिले के आदिवासी किसानों का है. आप लोग वहां जाकर प्रदर्शन करें. यहा आंदोलन करने से कोई मतलब नहीं है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक खरगोन के डूब प्रभावितों की मांगों को सरकार पूरी करने की कार्रवाई नहीं करेगी, तब तक हमारा जेल भरो आंदोलन जारी रहेगा.

Intro:खारक डूब प्रभावितों के समर्थन में बुरहानपुर के आदिवासियों के जेल भरो आंदोलन के तीसरे दिन संघर्ष और अधिक तेज हुआ। आदिवासी अपने साथ दो बड़े ढोल लेकर प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे। अब ढोल बजाकर पारम्परिक भाषा मे गीत गाकर, मदल के ढोल की थाप पर हाथो में लाल झंडे लेकर नाच गाकर प्रशासन और सरकार तक अपनी आवाज पहुचाने की कोशिश कर रहे है।

Body:खरगोन-बड़वानी के खारक बाँध के डूब प्रभावितों की मांगों को लेकर 300 से अधिक आदिवासी किसान परिवार अपने पूर्नवास और मुआवजे की राषि नहीं मिले के विरोध में 16 दिसम्बर को खरगोन जिले में धरने पर बैठे हुए थे 18 दिसम्बर को हक नही तो जेल सही के नारे के साथ अपनी गिरफतारी दी थी। उसके विरोध में बुरहानपुर जिले के दलित आदिवासी संगठन के तत्वाधान में आदिवासी लोग 19 दिसम्बर को नेपानगर थाने पहुंचे और जेल भरो आंदोलन की शुरूआत की। जिसके बाद तीसरे दिन और आंदोलन तेज हुआ अब आदिवासी लोगो की संख्या अधिक होते जा रही है। प्रषासन का कहा कि मामला खरगोन जिले के आदिवासी किसान भाइयों का है आप लोग वहाँ जाकर प्रदर्शन करे यहा आंदोलन करने इसका कोई मतलब नही है। प्रदर्षनकारियों को कहना है जब तक खरगोन के डूब प्रभावितों की मांगो को सरकार पूरी करने की कार्यवाही नहीं करेंगी तब तका हमारा जेल भरो आंदोलन जारी रहेंगा।Conclusion:बाइट 01 मांगीलाल, आदिवासी
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