ETV Bharat / state

मिसाल है दिव्यांग शिक्षक! खुद अंधेरे में रहकर भविष्य को दिखा रहा ज्ञान का दीपक - शिक्षक रामलाल भिलावेकर

ईश्वर द्वारा मनुष्य को दी गई अनमोल नेमत आंखें न हो तो पूरा जीवन अंधेरे में डूब जाता है, ऐसे हालत में कई लोग जिंदगी से मायूस होकर गुमनामी के अंधेरे में खो जाते हैं, बुरहानपुर जिले के फतेहपुर गांव में शासकीय स्कूल के शिक्षक रामलाल भिलावेकर न सिर्फ नेत्रहीनता के चलते मायूस लोगों के लिए बल्कि उन शिक्षकों के लिए भी मिसाल हैं, जो नेत्रहीनता से डर कर जीते हैं.

burhanpur news
दिव्यांग शिक्षक
author img

By

Published : Feb 24, 2020, 5:06 PM IST

बुरहानपुर। बच्चों को वर्णमाला पढ़ाते इस शिक्षक को पहली नजर में देखकर कोई ये नहीं कह सकता है कि ये शिक्षक नेत्रहीन हैं, लेकिन अपनी परेशानियों और कमियों को पीछे छोड़ दिन-रात बच्चों को दोनों हाथों से विद्या रूपी संपदा लुटा रहे हैं. इन दिव्यांग शिक्षक का नाम रामलाल भिलावेकर है, जो अंधेरी दुनिया में खोकर भी भविष्य को ज्ञान का दीपक दिखा रहे हैं.

दिव्यांग शिक्षक के हौसले की कहानी

शिक्षक रामलाल भिलावेकर बीते 15 साल से फतेहपुर गांव के सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहे हैं, शिक्षक रामलाल बचपन से ही नेत्रहीन थे, लेकिन उन्होंने दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दी, तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होंने बड़ी शिद्दत से तालीम हासिल की और शिक्षक बन गए, अब वे सालों से लगातार बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

burhanpur news
रामलाल भिलावेकर

शिक्षक रामलाल कहते हैं कि वे लोगों को ये बताना चाहते थे कि नेत्रहीन भी बच्चों को ज्ञान दे सकता है, रामलाल ब्रेल लिपि के जरिए अक्षर के आकार को खुद पढ़ते हैं, फिर उससे बच्चों को रूबरू कराते हैं, जो सहज ही बच्चों के भी समझ में आ जाती है. रामलाल के सहयोगी बताते हैं कि दिव्यांग होने के बाद भी पढ़ाने की उनकी शैली कमाल की है, वे जिस तरह बच्चों को समझाते हैं, वह वाकई तारीफ के काबिल है.

burhanpur news
स्कूल जाते शिक्षक रामलाल भिलावेकर

रामलाल की बच्चों को पढ़ाने की ये लगन देखकर हर कोई उनकी तारीफ करता नजर आता है क्योंकि कुदरत की अनमोल नेमत आखें नहीं होने के बाद भी वे अपने हौसलों के दम पर न सिर्फ अपनी जिंदगी जी रहे हैं, बल्कि देश का भविष्य संवारने का काम भी कर रहे हैं, यही वजह है कि शिक्षक रामलाल की जिंदगी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है, जिंदगी में भटकाव तो बहुत आता है, लेकिन जिंदगी हमेशा हौसलों से जी जाती है.

बुरहानपुर। बच्चों को वर्णमाला पढ़ाते इस शिक्षक को पहली नजर में देखकर कोई ये नहीं कह सकता है कि ये शिक्षक नेत्रहीन हैं, लेकिन अपनी परेशानियों और कमियों को पीछे छोड़ दिन-रात बच्चों को दोनों हाथों से विद्या रूपी संपदा लुटा रहे हैं. इन दिव्यांग शिक्षक का नाम रामलाल भिलावेकर है, जो अंधेरी दुनिया में खोकर भी भविष्य को ज्ञान का दीपक दिखा रहे हैं.

दिव्यांग शिक्षक के हौसले की कहानी

शिक्षक रामलाल भिलावेकर बीते 15 साल से फतेहपुर गांव के सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहे हैं, शिक्षक रामलाल बचपन से ही नेत्रहीन थे, लेकिन उन्होंने दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दी, तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होंने बड़ी शिद्दत से तालीम हासिल की और शिक्षक बन गए, अब वे सालों से लगातार बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

burhanpur news
रामलाल भिलावेकर

शिक्षक रामलाल कहते हैं कि वे लोगों को ये बताना चाहते थे कि नेत्रहीन भी बच्चों को ज्ञान दे सकता है, रामलाल ब्रेल लिपि के जरिए अक्षर के आकार को खुद पढ़ते हैं, फिर उससे बच्चों को रूबरू कराते हैं, जो सहज ही बच्चों के भी समझ में आ जाती है. रामलाल के सहयोगी बताते हैं कि दिव्यांग होने के बाद भी पढ़ाने की उनकी शैली कमाल की है, वे जिस तरह बच्चों को समझाते हैं, वह वाकई तारीफ के काबिल है.

burhanpur news
स्कूल जाते शिक्षक रामलाल भिलावेकर

रामलाल की बच्चों को पढ़ाने की ये लगन देखकर हर कोई उनकी तारीफ करता नजर आता है क्योंकि कुदरत की अनमोल नेमत आखें नहीं होने के बाद भी वे अपने हौसलों के दम पर न सिर्फ अपनी जिंदगी जी रहे हैं, बल्कि देश का भविष्य संवारने का काम भी कर रहे हैं, यही वजह है कि शिक्षक रामलाल की जिंदगी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है, जिंदगी में भटकाव तो बहुत आता है, लेकिन जिंदगी हमेशा हौसलों से जी जाती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.