बुरहानपुर। बच्चों को वर्णमाला पढ़ाते इस शिक्षक को पहली नजर में देखकर कोई ये नहीं कह सकता है कि ये शिक्षक नेत्रहीन हैं, लेकिन अपनी परेशानियों और कमियों को पीछे छोड़ दिन-रात बच्चों को दोनों हाथों से विद्या रूपी संपदा लुटा रहे हैं. इन दिव्यांग शिक्षक का नाम रामलाल भिलावेकर है, जो अंधेरी दुनिया में खोकर भी भविष्य को ज्ञान का दीपक दिखा रहे हैं.
शिक्षक रामलाल भिलावेकर बीते 15 साल से फतेहपुर गांव के सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहे हैं, शिक्षक रामलाल बचपन से ही नेत्रहीन थे, लेकिन उन्होंने दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दी, तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होंने बड़ी शिद्दत से तालीम हासिल की और शिक्षक बन गए, अब वे सालों से लगातार बच्चों को पढ़ा रहे हैं.
शिक्षक रामलाल कहते हैं कि वे लोगों को ये बताना चाहते थे कि नेत्रहीन भी बच्चों को ज्ञान दे सकता है, रामलाल ब्रेल लिपि के जरिए अक्षर के आकार को खुद पढ़ते हैं, फिर उससे बच्चों को रूबरू कराते हैं, जो सहज ही बच्चों के भी समझ में आ जाती है. रामलाल के सहयोगी बताते हैं कि दिव्यांग होने के बाद भी पढ़ाने की उनकी शैली कमाल की है, वे जिस तरह बच्चों को समझाते हैं, वह वाकई तारीफ के काबिल है.
रामलाल की बच्चों को पढ़ाने की ये लगन देखकर हर कोई उनकी तारीफ करता नजर आता है क्योंकि कुदरत की अनमोल नेमत आखें नहीं होने के बाद भी वे अपने हौसलों के दम पर न सिर्फ अपनी जिंदगी जी रहे हैं, बल्कि देश का भविष्य संवारने का काम भी कर रहे हैं, यही वजह है कि शिक्षक रामलाल की जिंदगी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है, जिंदगी में भटकाव तो बहुत आता है, लेकिन जिंदगी हमेशा हौसलों से जी जाती है.