बुरहानपुर। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर जोरों से दोनों पार्टियां राज्य में सक्रिय हो गई हैं. बीजेपी और कांग्रेस पार्टी में उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल नेता मतदाताओं को साधने में जुट गए हैं. इस चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण (MP Constituency Analysis) लेकर आ रहा है. हम आपको प्रदेश की एक ऐसी ही विधानसभा सीट बुरहानपुर के बारे में जानकारी दे रहे हैं.
कुल कितने मतदाता: अगर मतदाताओं की संख्या पर नजर डालें, तो कुल मतदाता की संख्या 2 लाख 85 हजार है. इनमें पुरुष मतदाता 1,46,985 महिला मतदाता 1,38,462 और अन्य 17 मतदाता हैं. इनमें भी 40 प्रतिशत मुस्लिम, यानि 1 लाख 20 हजार वोटर्स हैं. इसके बाद 15% वोटर्स मराठा हैं, जिनकी संख्या 42 हजार 750 है. 5% गुजराती, जिनकी संख्या 14 हजार 250 हैं, 2% प्रतिशत सिंधी जिनकी संख्या 5 हजार 700 है. इनके अलावा 1% दाऊदी बोहरा शिया जिनकी संख्या 2 हजार 600 है.
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बुरहानपुर सीट पर क्या है राजनीतिक समीकरण: बुरहानपुर विधानसभा में साल 2018 के चुनाव में बीजेपी की कद्दावर नेता अर्चना चिटनीस को निर्दलीय प्रत्याशी ठाकुर सुरेन्द्रसिंह ने हराया था. अर्चना चिटनीस भाजपा से दो बार विधायक चुनाव जीत चुकी थी. तीसरे चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के मैदान में उतरने से सभी समीकरण बदल गए थे. अर्चना चिटनीस को 5120 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. इस सीट पर 2018 के चुनाव के परिणाम चौंकाने वाले थे. इस परिणाम के कयास किसी नहीं लगाए थे.
तब निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेंद्र सिंह को शहर के मुस्लिम वोट ज्यादा मिले थे. अर्चना चिटनीस को कुल 93 हजार 441 वोट मिले तो वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी ठाकुर सुरेंद्र सिंह ने कुल 98 हजार 561 विजयी वोट हासिल किए थे. वहीं, कांग्रेस का इस सीट पर प्रदर्शन काफी खराब रहा था.
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यहां से कांग्रेस की प्रत्याशी रविन्द्र महाजन को मात्र 15 हजार 369 मत मिले थे. इसके अलावा अन्य निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी बीजेपी, कांग्रेस के वोट काटे थे. इस चुनाव में नोटा को 5 हजार 726 मत मिले थे.
2023 में बदल चुके चुनावी समीकरण: इस सीट पर चुनावी समीकरण बदल चुके हैं. यहां अबतक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कोई बड़ा नाम सामने नहीं आया है. दोनों ही पार्टियों ने अबतक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. पूरा खेल कांग्रेस और बीजेपी पर निर्भर नजर आता है. बीजेपी से पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस प्रबल दावेदार नजर आती है. इनके अलावा हर्षवर्धनसिंह चौहान, पूर्व नगर निगम अध्यक्ष मनोज तारवाला समेत अन्य दावेदार भी टिकट की उम्मीद में हैं.
बीजेपी में पूर्व सांसद स्व. नंदकुमारसिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धनसिंह चौहान, पूर्व नगर निगम अध्यक्ष मनोज तारवाला सहित अन्य कुछ कार्यकर्ता दावेदारी पेश कर रहे हैं. कांग्रेस से प्रदेश कांग्रेस महासचिव अजयसिंह रघुवंशी, अमर यादव, पूर्व नगर निगम अध्यक्ष गौरी दिनेश शर्मा, ठा. सुरेंद्र सिंह और तारीका सिंह प्रबल दावेदार है, इन सब में रघुवंशी और यादव को टिकट मिलने की संभावना कार्यकर्ता जता रहे हैं.
चुनावी मुद्दों के नाम पर इस बार भाजपा के पास लाड़ली बहना योजना है. जिले में सवा लाख महिलाओं को लाड़ली बहना योजना के तहत राशि मिल रही है. दूसरी ओर कांग्रेस नारी सम्मान योजना के भरोसे है. कांग्रेस की इस योजना के हाल बुरे है. जिले में कांग्रेस महिलाओं के फार्म नहीं भरवा पा रही है. इसका नुकसान कांग्रेस को चुनाव में हो सकता है. भाजपा को लाड़ली बहना योजना का दुगना फायदा मिल सकता है।
पिछले तीन चुनाव में बुरहानपुर की विधानसभा सीट: यहां से पिछले तीन चुनावों में एक बार निर्दलीय और दो बार भाजपा के प्रत्याशी चुनाव जीत चुके हैं. इनमें 2018 में ठाकुर सुरेंद्र सिंह निर्दलीय मैदान में उतरे थे. उन्होंने बीजेपी की अर्चना चिटनीस को 5120 वोट से हराया था. इधर, 2013 में बीजेपी से चुनाव लड़ते हुए अर्चना चिटनीस ने जीत दर्ज की थी. अर्चना चिटनीस ने कांग्रेस के अजय सिंह रघुवंशी को 22,827 वोट से हराया था. इसके अलावा 2008 में अर्चना चिटनीस ही इस विधानसभा से विधायक चुनी गई. इस चुनाव में उन्होंने 32,854 वोट से एनसीपी के प्रत्याशी हमीद काजी को हराया था.
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बुरहानपुर विधानसभा के बड़े मुद्दे: इस सीट पर लोगों के कुछ जरूरी मुद्दे हैं. इनमें एनटीसी की ताप्ती मिल बंद पड़ी है. ये इस चुनाव में भी एक प्रमुख मुद्दा है. इसके अलावा यहां रहने वाले बुनकरों के विकास के कई मुद्दे हैं. इसमें बुरहानपुर को पावरलूम हब बनाना, बिजली की दर को कम करना, किसानों का फसल बीमा का मुद्दा देना. इंदौर-इच्छापुर हाइवे की बदहाली भी प्रमुख मुद्दों में शामिल है.
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बुरहानपुर का जातिगत समीकरण: अगर इस विधानसभा का जातिगत समीकरण निकालें तो एससी मतदाता 45 हजार 600 है. वहीं, अल्पसंख्यक मतदाता 1 लाख 35 हजार है, इनके अलावा गुजराती 45 हजार, सिंधी समाज 6 हजार, मराठा समाज 45 हजार, गुर्जर समाज 6 हजार, राजपूत 2500, ब्राह्मण 2 हजार, वृहद माली 25 हजार, बौद्ध समाज 35 हजार, एसटी 6 हजार और अन्य OBC मिलाकर 3 लाख 11 हजार वोटर्स हैं.