बुरहानपुर। जिले ने अपने दामन में न सिर्फ अनगिनत ऐतिहासिक विरासतों को समेट रखा है, बल्कि कई असाध्य रोगों को ठीक करने वाली बेशकीमती जड़ी बूटियों का भी खजाना यहां भरा पड़ा है, बावजूद इसके इस अनमोल खजाने का लाभ जिले और प्रदेश के लोगों को आज तक नहीं मिल पाया है.
बादलखोरा के जगंल में जुड़ी बूटियों का खजाना होने का किया गया दावा - bodarli forest area
बोदरली वन परिक्षेत्र के बादलखोरा के जंगल में जड़ी बूटियों का खजाना है, लेकिन आज तक सरकार ने यहां कोई रिसर्च नहीं कराई.
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बादलखोरा के जगंल में जुड़ी बूटियां
बुरहानपुर। जिले ने अपने दामन में न सिर्फ अनगिनत ऐतिहासिक विरासतों को समेट रखा है, बल्कि कई असाध्य रोगों को ठीक करने वाली बेशकीमती जड़ी बूटियों का भी खजाना यहां भरा पड़ा है, बावजूद इसके इस अनमोल खजाने का लाभ जिले और प्रदेश के लोगों को आज तक नहीं मिल पाया है.
बादलखोरा के जगंल में जुड़ी बूटियां
बादलखोरा के जगंल में जुड़ी बूटियां
Intro:बुरहानपुर। सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच बसे बुरहानपुर जिले ने अपने दामन में न सिर्फ अनगिनत ऐतिहासिक विरासतों को समेट रखा है, बल्कि कई असाध्य रोगों को ठीक करने वाली बेशकीमती जड़ी बूटियों का भी खजाना यहां भरा पड़ा है, बावजूद इसके इस अनमोल खजाने का लाभ जिले और प्रदेश को लोगों को आज तक नहीं मिल पाया है, इसका कारण प्रशासन और सरकार की उदासीनता को माना जा सकता है।
Body:बुरहानपुर जिला मुख्यालय 45 किमी दूर बोदरली वन परिक्षेत्र के बादलखोरा के जंगल में जड़ी बूटियों का खजाना है, लेकिन इतने वर्षों में न तो सरकार ने कोई रिसर्च कराई और न ही इस अनमोल खजाने को सहजने की पहल हुई, इस जंगल में रहने वाले संतों का मानना है कि यदि यहां रिसर्च कराई जाए तो कई असाध्य रोगों को ठीक करने वाली औषधियां मिल सकती है, इस वनक्षेत्र में बेशकीमती जड़ी बूटियों की मौजूदगी की कहानी भी कम रोचक नहीं है, संतो का दावा है कि ये जड़ी बूटियां यहां त्रेता युग से मौजूद हैं, किवदंती है कि जब रावण से युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी को शक्ति लगी और वे मूर्छित हो गए तो वैध सुखेण के कहने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी से भरा पर्वत उठा लाए थे, बताया जाता है कि वायु मार्ग से हनुमान जी के लंका जाते समय इस पर्वत का एक टुकड़ा इस जंगल में गिर गया था, तब से यहां पर अनमोल जड़ी बूटियों का भंडार है, बता दें कि इस जंगल मे खोरा बाबा की गुफा, शिव मंदिर और अन्य दार्शनिक स्थल भी है, जिसके चलते यहां भक्त पहुंचते हैं।
ईटीवी भारत रिपोर्टर सोनू सोहले पत्थरों के सहारे बाबा हंसदेव महाराज के बाद करीब 400 फिट ऊंचाई पर उस पत्थर तक पहुंचे, जिसे हनुमान जी के हाथ से गिरने का दावा किया जाता है, आज भी इस पत्थर पर झरने का धारा गिरती है, बाबा ने बताया कि भीषण गर्मी के दिनों में जंगल के अन्य पत्थरों की हरियाली सुख जाती हैं, लेकिन इस पत्थर पर हमेशा हरियाली रहती हैं।
Conclusion:भुतानंद भारती महाराज ने बताया कि यहां तक पहुंच मार्ग बेहद खराब हैं, यहां तक पहुंचने के लिए भक्तों को पथरीले उबड़ खाबड़ रास्ते से तीन बार नदियां पार कर मोटरसाइकिल या पैदल आना पड़ता हैं, जिला प्रशासन ने इस तरफ़ कोई ध्यान नहीं दिया है, हमारी मांग है कि यहां तक पहुंच मार्ग बनाया जाए, ताकि लोग आसानी से पहुंच सके।
पीटीसी सोनू सोहले, बाईट हंसदेव महाराज।
बाईट 01:- भुतानंद भारती महाराज, पुजारी।
बाईट 02:- श्रवण राठौड़, जनपद सदस्य।
बाईट 03:- होशंग हवलदार, इतिहासकार।
Body:बुरहानपुर जिला मुख्यालय 45 किमी दूर बोदरली वन परिक्षेत्र के बादलखोरा के जंगल में जड़ी बूटियों का खजाना है, लेकिन इतने वर्षों में न तो सरकार ने कोई रिसर्च कराई और न ही इस अनमोल खजाने को सहजने की पहल हुई, इस जंगल में रहने वाले संतों का मानना है कि यदि यहां रिसर्च कराई जाए तो कई असाध्य रोगों को ठीक करने वाली औषधियां मिल सकती है, इस वनक्षेत्र में बेशकीमती जड़ी बूटियों की मौजूदगी की कहानी भी कम रोचक नहीं है, संतो का दावा है कि ये जड़ी बूटियां यहां त्रेता युग से मौजूद हैं, किवदंती है कि जब रावण से युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी को शक्ति लगी और वे मूर्छित हो गए तो वैध सुखेण के कहने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी से भरा पर्वत उठा लाए थे, बताया जाता है कि वायु मार्ग से हनुमान जी के लंका जाते समय इस पर्वत का एक टुकड़ा इस जंगल में गिर गया था, तब से यहां पर अनमोल जड़ी बूटियों का भंडार है, बता दें कि इस जंगल मे खोरा बाबा की गुफा, शिव मंदिर और अन्य दार्शनिक स्थल भी है, जिसके चलते यहां भक्त पहुंचते हैं।
ईटीवी भारत रिपोर्टर सोनू सोहले पत्थरों के सहारे बाबा हंसदेव महाराज के बाद करीब 400 फिट ऊंचाई पर उस पत्थर तक पहुंचे, जिसे हनुमान जी के हाथ से गिरने का दावा किया जाता है, आज भी इस पत्थर पर झरने का धारा गिरती है, बाबा ने बताया कि भीषण गर्मी के दिनों में जंगल के अन्य पत्थरों की हरियाली सुख जाती हैं, लेकिन इस पत्थर पर हमेशा हरियाली रहती हैं।
Conclusion:भुतानंद भारती महाराज ने बताया कि यहां तक पहुंच मार्ग बेहद खराब हैं, यहां तक पहुंचने के लिए भक्तों को पथरीले उबड़ खाबड़ रास्ते से तीन बार नदियां पार कर मोटरसाइकिल या पैदल आना पड़ता हैं, जिला प्रशासन ने इस तरफ़ कोई ध्यान नहीं दिया है, हमारी मांग है कि यहां तक पहुंच मार्ग बनाया जाए, ताकि लोग आसानी से पहुंच सके।
पीटीसी सोनू सोहले, बाईट हंसदेव महाराज।
बाईट 01:- भुतानंद भारती महाराज, पुजारी।
बाईट 02:- श्रवण राठौड़, जनपद सदस्य।
बाईट 03:- होशंग हवलदार, इतिहासकार।
Last Updated : Dec 3, 2019, 3:10 PM IST