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युवा स्वाभिमान योजना में गड़बड़झाला, अभ्यर्थियों ने लगाया नगर निगम पर गंभीर आरोप

अभ्यार्थियों ने नगर निगम पर आरोप लगाते हुए कहा है कि नगर निगम ने उन्हें मानदेय चार हजार रूपये प्रतिमाह देने की बात कही गई थी लेकिन चार हजार की बजाए दो हजार से ढाई हजार रूपये प्रतिमाह दिया जा रहा है.

युवा स्वाभिमान योजना मामला
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Published : May 16, 2019, 9:22 AM IST

बुरहानपुर। मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार द्वारा चलाई जा रही युवा स्वाभिमान योजना में लापवाही का मामला सामने आया है. युवा स्वाभिमान योजना के तहत बेरोजगार लड़के-लड़कियों को कई ट्रेड का प्रशिक्षण दिए जाना था लेकिन बुरहानपुर जिले में अभ्यार्थियों को केवल सिलाई प्रशिक्षण ही दिया जा रहा है.

युवा स्वाभिमान योजना मामला

अभ्यार्थियों ने आरोप लगाया है कि नगर निगम ने उन्हें मानदेय चार हजार रूपये प्रतिमाह देने की बात कही गई थी लेकिन चार हजार की बजाए दो हजार से ढाई हजार रूपये प्रतिमाह दिया जा रहा है. इतना ही नहीं उनसे रोजाना 4 घंटे प्रशिक्षण के अलावा नगर निगम में दूसरे कार्य भी कराये जा रहे है.इस योजना के तहत बेरोजगार लड़के-लड़कियां अपनी पसंद से रोजगार चुन सकते हैं, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते बेरोजगार लड़के-लड़कियों का रोजगार बदल दिया गया. अभ्यार्थी निक्की शाह का कहना है कि उसने कम्प्यूटर सर्विस के लिए ट्रेड भरा था लेकिन उसे ट्रेलरिंग के लिए सेलेक्ट किया गया.

कांग्रेस प्रवक्ता अजय उदासीन का कहना है कि अगर कोई अभ्यार्थी उन्हें शिकायत करता है तो वह संबंधित अधिकारी की शिकायत भोपाल मुख्यालय से करेंगे और दोषी अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करेंगे. नगर निगम आयुक्त भगवानदास भूमरकर ने सफाई देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा ट्रेड तय किए गए है, स्थानीय निकाय स्तर पर ट्रेड तय करने का विकल्प नहीं है, लिहाजा जो विकल्प मौजूद है उन्हें ट्रेनिंग लेना है, मानदेय को लेकर गाइड लाइन है, अटेंडेंस के आधार ही मानदेय अकाउंट में आता हैं, क्योंकि पूरा मामला लिंक है. उन्होंने कहा कि अगर कोई खामी हो रही है तो अभ्यार्थी बताये तो समस्या का निवारण होगा.

बुरहानपुर। मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार द्वारा चलाई जा रही युवा स्वाभिमान योजना में लापवाही का मामला सामने आया है. युवा स्वाभिमान योजना के तहत बेरोजगार लड़के-लड़कियों को कई ट्रेड का प्रशिक्षण दिए जाना था लेकिन बुरहानपुर जिले में अभ्यार्थियों को केवल सिलाई प्रशिक्षण ही दिया जा रहा है.

युवा स्वाभिमान योजना मामला

अभ्यार्थियों ने आरोप लगाया है कि नगर निगम ने उन्हें मानदेय चार हजार रूपये प्रतिमाह देने की बात कही गई थी लेकिन चार हजार की बजाए दो हजार से ढाई हजार रूपये प्रतिमाह दिया जा रहा है. इतना ही नहीं उनसे रोजाना 4 घंटे प्रशिक्षण के अलावा नगर निगम में दूसरे कार्य भी कराये जा रहे है.इस योजना के तहत बेरोजगार लड़के-लड़कियां अपनी पसंद से रोजगार चुन सकते हैं, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते बेरोजगार लड़के-लड़कियों का रोजगार बदल दिया गया. अभ्यार्थी निक्की शाह का कहना है कि उसने कम्प्यूटर सर्विस के लिए ट्रेड भरा था लेकिन उसे ट्रेलरिंग के लिए सेलेक्ट किया गया.

कांग्रेस प्रवक्ता अजय उदासीन का कहना है कि अगर कोई अभ्यार्थी उन्हें शिकायत करता है तो वह संबंधित अधिकारी की शिकायत भोपाल मुख्यालय से करेंगे और दोषी अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करेंगे. नगर निगम आयुक्त भगवानदास भूमरकर ने सफाई देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा ट्रेड तय किए गए है, स्थानीय निकाय स्तर पर ट्रेड तय करने का विकल्प नहीं है, लिहाजा जो विकल्प मौजूद है उन्हें ट्रेनिंग लेना है, मानदेय को लेकर गाइड लाइन है, अटेंडेंस के आधार ही मानदेय अकाउंट में आता हैं, क्योंकि पूरा मामला लिंक है. उन्होंने कहा कि अगर कोई खामी हो रही है तो अभ्यार्थी बताये तो समस्या का निवारण होगा.

Intro:बुरहानपुर। सूबे में कांग्रेस की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा शुरू की गई युवा स्वाभिमान योजना के तहत बेरोजगार युवक-युवतियों को अनेको ट्रेड का प्रशिक्षण दिए जाना हैं, किंतु बुरहानपुर जिले में ऐसा नहीं हो रहा है, यहां युवक-युवतियों को केवल सिलाई प्रशिक्षण ही दिया जा रहा है, वही अभ्यार्थियों का आरोप हैं की इन्हें मानदेय ₹4000 प्रतिमाह देने के बजाए ₹2000 से ₹2500 प्रतिमाह दिया जा रहा हैं, इतना ही नहीं इनसे रोजाना 4 घंटे प्रशिक्षण के अलावा नगर निगम में अन्य कार्य भी कराया जा रहा है।



Body:इस योजना के तहत बेरोजगार युवक युवतियां अपने रूचि के अनुसार रोजगार चुन सकती है, किंतु अधिकारियों की लापरवाही के चलते इन युवक-युवतियों को अन्य रोजगार में बदल दिया जा रहा है, जैसे कि अभ्यार्थीं निक्की शाह ने कम्प्यूटर सर्विस के लिए ट्रेड भरा था किंतु उसे ट्रेलरिंग (कपड़े की सिलाई) के लिए सिलेक्ट किया गया, इसी प्रकार अन्य युवाओं के साथ भी छलावा किया जा रहा है, वहीं इन्हें प्रशिक्षण के साथ-साथ ₹4000 प्रतिमाह मानदेय देने का प्रावधान है, इनसे पूरे महीनेभर प्रशिक्षण के अलावा नगर निगम में अन्य कार्य भी कराए जा रहे है, किंतु मानदेय 2000 से 2500 रुपये तक ही मिल रहे हैं।


Conclusion:वही कांग्रेस प्रवक्ता अजय उदासीन ने कहा कि यदि कोई अभ्यार्थी उन्हें शिकायत करता है तो वह संबंधित अधिकारी की शिकायत भोपाल मुख्यालय से करेंगे, और दोषी अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्यवाही कराने की बात कही हैं।

तो वही नगर निगम आयुक्त भगवानदास भूमरकर ने बताया की मध्यप्रदेश शासन द्वारा ट्रेड तय किए गए हैं, स्थानीय निकाय स्तर पर ट्रेड तय करने का विकल्प नहीं है, लिहाजा जो विकल्प मौजूद है उन्हें ट्रेनिंग लेना है, मानदेय को लेकर गाइड लाइन हैं, अटेंडेंस के आधार ही मानदेय खाते में आता हैं, क्योंकि पूरा मामला लिंक हैं, मुझे नही लगता अटेंडेंस के विपरीत मानदेय मिल रहा होगा, फिर भी यदि कोई खामी है तो संज्ञान में लाए, अवश्य निराकरण होगा।
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