बुरहानपुर। लाखों मजदूर परिवार का पेट पालने महाराष्ट्र, गुजरात समेत अन्य राज्यों में गए हुए थे, लेकिन कोरोना वायरस के बाद किए गए लॉकडाउन ने उन्हें इस दहलीज पर लाकर खड़ा कर दिया कि वो अब बेबस हो चुके हैं. पैसे खत्म होने के बाद घर की तरफ रुख करने वाले हजारों मजदूर बेहद परेशान हो रहे हैं. कोई पैदल ही हजारों किलोमीटर निकल गया तो चलत-चलते किसी के पैरों में छाले पड़ गए हैं.
लॉकडाउन के बाद मजदूरों का जीवन पूरी तरह बदल गया. फैक्ट्रियां, उद्योग, व्यापार बंद होने के बाद वे बेरोजगार हो गए और उन्हें ऐसे हालातों में घर वापस आना मुनासिब समझा, लेकिन उन्हें क्या पता था कि वो घर पहुंचेंगे या नहीं. मध्यप्रदेश में इन दिनों मजदूरों की लाचारी और मजबूरी की दर्दनाक तस्वीरें सामने आई हैं, जिनको देख हर किसी का दिल पसीज जाएगा. बुराहनपुर से होकर गुजरने वाले मजदूरों की मदद की जा रही है.
जिला प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारियों ने ऐसे मजदूरों का सहारा दिया है, जो सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने के बाद यहां पहुंचे. इस दौरान मजदूरों को भोजन, नाश्ता पीने का पानी उपलब्ध कराया गया. जिसके बाद मजदूरों के शरीर में जान आई. मजदूरों की मदद के लिए राहत शिविर लगाया गया है, जहां आने वाले हर एक मजदूर की चिंता की जा रही है.
सरकार द्वारा दूसरे राज्यों से बसों के द्वारा बुरहानपुर लाए जाने वाले मजदूरों को भोजन कराने के बाद उन्हें उनके घर तक भेजा जा रहा है. इस काम के लिए पहले सूची तैयार कर ली जाती है, इनमें पता लग जाता है कि कौन-कौन से जिले के कितने मजदूर हैं, लिस्टिंग होने के बाद मजदूरों को जिलेवार बसों में बैठाया जाता है, फिर बस में सवार कर आगे के लिए भिजवा दिया जाता है.