बुरहानपुर। लालबाग से एक किमी दूर सतपुड़ा की पहाड़ियों में स्थित कुंडी भंडारा अपना वजूद खोने की कगार पर है. भूमिगत नहरों की सहायता से महल और शहर के कई इलाकों में पेयजल सप्लाई करने वाली एकमात्र जीवित जल वितरण प्रणाली है. आधुनिक युग में ये न सिर्फ अनूठी तकनीक है बल्कि पर्यटन के हिसाब से भी काफी महत्वपूर्ण है. बावजूद इसके प्रशासन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा.
कुंडी भडारा को सहेजने और विकसित करने की जिम्मेदारी नगर निगम को सौंपी गई थी, लेकिन नगर निगम इसे पर्यटन बनाना तो दूर, इसे सहेजने में भी में फिसड्डी साबित हो रहा है. इतना ही नहीं यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए बनाए गए विश्रामगृह भी लापरवाही के चलते बदहाल हैं.
ऐतिहासिक है कुंडी भंडारा
बता दें कि कुंडी भंडारे की भूमिगत जलप्रणाली में 100 कुंडिया हैं, जो करीब 80 फीट गहरी हैं. इनका निर्माण मुगलों के सूबेदार अब्दुल रहीम खानखाना ने 1615 ई. में कराया था. जिसकी सहायता से उनके सैनिकों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जाती थी. लेकिन नगर निगम और पुरातत्व विभाग की उदासीनता के चलते ये अनमोल धरोहर खोने की कगार पर है.