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वजूद खोने की कगार पर कुंडी भंडारा, स्थानीय प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान - etv bharat

कई बार प्रशासन की अनदेखी की वजह से ऐतिहासिक धरोहरें खत्म होने की कगार पर पहुंच जाते हैं. इन्हीं में से एक है बुराहनपुर जिले का कुंडी भंडारा. मुगलकालीन ये कुंडी आज बदहाली की कगार पर है.

कुंडी भंडारा को संरक्षित करने में प्रशासन की लापरवाही
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Published : Nov 1, 2019, 1:41 PM IST

बुरहानपुर। लालबाग से एक किमी दूर सतपुड़ा की पहाड़ियों में स्थित कुंडी भंडारा अपना वजूद खोने की कगार पर है. भूमिगत नहरों की सहायता से महल और शहर के कई इलाकों में पेयजल सप्लाई करने वाली एकमात्र जीवित जल वितरण प्रणाली है. आधुनिक युग में ये न सिर्फ अनूठी तकनीक है बल्कि पर्यटन के हिसाब से भी काफी महत्वपूर्ण है. बावजूद इसके प्रशासन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा.

कुंडी भडारा को सहेजने और विकसित करने की जिम्मेदारी नगर निगम को सौंपी गई थी, लेकिन नगर निगम इसे पर्यटन बनाना तो दूर, इसे सहेजने में भी में फिसड्डी साबित हो रहा है. इतना ही नहीं यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए बनाए गए विश्रामगृह भी लापरवाही के चलते बदहाल हैं.

ऐतिहासिक है कुंडी भंडारा

बता दें कि कुंडी भंडारे की भूमिगत जलप्रणाली में 100 कुंडिया हैं, जो करीब 80 फीट गहरी हैं. इनका निर्माण मुगलों के सूबेदार अब्दुल रहीम खानखाना ने 1615 ई. में कराया था. जिसकी सहायता से उनके सैनिकों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जाती थी. लेकिन नगर निगम और पुरातत्व विभाग की उदासीनता के चलते ये अनमोल धरोहर खोने की कगार पर है.

बुरहानपुर। लालबाग से एक किमी दूर सतपुड़ा की पहाड़ियों में स्थित कुंडी भंडारा अपना वजूद खोने की कगार पर है. भूमिगत नहरों की सहायता से महल और शहर के कई इलाकों में पेयजल सप्लाई करने वाली एकमात्र जीवित जल वितरण प्रणाली है. आधुनिक युग में ये न सिर्फ अनूठी तकनीक है बल्कि पर्यटन के हिसाब से भी काफी महत्वपूर्ण है. बावजूद इसके प्रशासन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा.

कुंडी भडारा को सहेजने और विकसित करने की जिम्मेदारी नगर निगम को सौंपी गई थी, लेकिन नगर निगम इसे पर्यटन बनाना तो दूर, इसे सहेजने में भी में फिसड्डी साबित हो रहा है. इतना ही नहीं यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए बनाए गए विश्रामगृह भी लापरवाही के चलते बदहाल हैं.

ऐतिहासिक है कुंडी भंडारा

बता दें कि कुंडी भंडारे की भूमिगत जलप्रणाली में 100 कुंडिया हैं, जो करीब 80 फीट गहरी हैं. इनका निर्माण मुगलों के सूबेदार अब्दुल रहीम खानखाना ने 1615 ई. में कराया था. जिसकी सहायता से उनके सैनिकों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जाती थी. लेकिन नगर निगम और पुरातत्व विभाग की उदासीनता के चलते ये अनमोल धरोहर खोने की कगार पर है.

Intro:बुरहानपुर। शहर के उपनगर लालबाग से 1 किमी दूर सतपुड़ा की पहाड़ियों में स्थित विश्व प्रसिद्ध कुंडी भंडारा बगैर किसी मोटर पंप के भूमिगत नहरों के सहायता से महल और शहर के विभिन्न इलाकों में शुद्ध पेयजल सप्लाई करने वाली विश्व की एकमात्र जीवित जल वितरण प्रणाली है, आधुनिक युग में यह न सिर्फ अनूठी तकनीक हैं बल्कि पर्यटन के हिसाब से भी बेहद महत्वपूर्ण है, बावजूद इसके विश्व प्रसिद्ध धरोहर को सहेजने और विकसित करने की जिम्मेदारी नगर निगम को सौंपी गई थी, किंतु नगर निगम इसे पर्यटन स्थल बनाना तो दूर सहजने में भी में फिसड्डी साबित हो रहा है, बता दें कि यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए बनाए गए विश्रामगृह भी अधिकारियों की हीलाहवाली के कारण बदहाल है, जिसके दरवाजे और स्थिति बद से बदतर है, जो कई वर्षों से टूटे फूटे है।


Body: गौरतलब है कि बुरहानपुर जिले का कुंडी भंडारा आज भी जीवित है, जबकि इराक ईरान की भूमिगत जल प्रणाली है बंद हो गई है, बता दें कि कुंडी भंडारे की भूमिगत जलप्रणाली में 100 कुंडिया है जो करीब 80 फीट गहरी है, जिसका निर्माण मुगलों के सूबेदार अब्दुल रहीम खानखाना ने सन 1615 ईसवी में कराया था, जिसकी सहायता से उनके सैनिकों को जहर रहित शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन नगर निगम और पुरातत्व विभाग की उदासीनता के चलते यह धरोहर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है, स्थानीय पार्षद और नगर निगम में उपनेता प्रतिपक्ष अमर यादव ने कुंडी भंडारा को सहजने और संरक्षण के लिए कई बार निगम से पत्राचार किया है, बावजूद इसके अधिकारियों के कान पर जूंह तक नहीं रेंग रही है, नतीजा यह है कि यह धरोहर अपना वजूद खोने की कगार पर है।


Conclusion:बाईट 01:- सुभाष, चौकीदार।
बाईट 02:- भगवानदास भूमरकर, आयुक्त नगर निगम।
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